
- आरएसएस और भाजपा की रणनीति
देश के 21 राज्यों में भाजपा या गठबंधन की सरकार है। इन राज्यों में मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विकास का ऐसा झंडा गाड़ा है की वे अन्य राज्यों में भी विकास का पोस्टर बन गए हैं। ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा डॉ. मोहन को विकास का ब्रांड बनाने पर मंथन शुरू कर दिया है।
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कम समय में अपनी कार्यकुशलता से देशभर में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद भाजपा शासित राज्यों में सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री बन गए हंै। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन की कड़े और बड़े फैसलों और राज्य के विकास को लेकर लिए गए नीति निर्णयों से अलग छवि उभरी है। खासकर मातृशक्ति और युवा वर्ग में राज्य के हित में लिए गए फैसलों से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन खासे चहेते हैं। दरअसल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, न्यूज बेब साइट्स और यू-ट्यूब चैनल में योगी के बाद सबसे अधिक डॉ. मोहन को देखा, सुना और सर्च किया गया है। मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महज 14 महीने में विकास के साथ कानून व्यवस्था को लेकर बड़े फैसले लिए हैं। मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 14 महीने की सरकार के कार्यकाल में भाजपा के लिए अनेक राज्यों में सफल प्रचार किया। हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, ओडीशा और दिल्ली में उनकी अगुवाई में भाजपा को जीत मिली। उन्होंने लोकसभा में मप्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडीशा और आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों में प्रचार करके विजय पताका फहरा दी। यादव ने मप्र की सभी 29 लोकसभा सीटें भी जितवाईं। उनकी बढ़ती लोकप्रियता और ओबीसी मॉडल का असर हर जगह दिखा। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि डॉ. मोहन यादव की स्वीकार्यता केंद्रीय भाजपा नेतृत्व तक बढ़ी है। अब उनका राजनीतिक दायरा सिर्फ मप्र तक सीमित न होकर पूरे देश में फैल गया है। कुछ मामलों को देखकर तो ऐसा ही लगता है। दरअसल, केंद्रीय भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान डॉ. मोहन यादव के अंदर छिपा राजनीतिक रणनीतिक कौशल का लाभ उठाया। हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र और दिल्ली विधानसभा चुनाव में मप्र के सीएम ने जहां-जहां प्रचार किया, वे सभी सीटें भाजपा जीत गई।
13 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले डॉ. मोहन यादव ने पहली परीक्षा तब पास कर ली थी, पास क्या की, वे टॉप आए थे। जब उन्होंने 3 महीने के संक्षिप्त कार्यकाल में लोकसभा चुनाव में मप्र की सभी 29 सीटें जितवा दीं। प्रदेश के इतिहास का यह पहला कीर्तिमान रचने वाले डॉ. मोहन यादव ने कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा को ढहा दिया था। डॉ. मोहन यादव की लोकप्रियता केंद्रीय भाजपा नेतृत्व में भी बढ़ी है। भाजपा उनके ओबीसी यादव चेहरे का उचित लाभ ले रही है। मोहन यादव सभी जगह प्रभावी भी दिखे हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, यूपी, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडीशा, दिल्ली में तक एम वाय फैक्टर सफल रहा है। डॉ. मोहन यादव सिर्फ स्टार प्रचारक तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने सभाएं और रोड शो तो किया ही है, लेकिन इन सीटों में कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय और बैठकें भी कीं। इसका ज्यादा असर दिखाई दिया है। हरियाणा में जो सीटें जीती हैं, वे सिर्फ ओबीसी बाहुल्य नहीं हैं, वहां पर एससी समुदाय मतदाता भी कम नहीं है। डॉ. यादव ने पार्टी की तैयारी की समीक्षा बैठक भी की थी और उन्होंने यहां पर कार्यकर्ताओं को संगठन की सुझाव भी दिए थे। डॉ. मोहन यादव उस ओबीसी समुदाय से आते हैं, जिसकी आबादी देश में करीब 54 प्रतिशत है। प्रदेश में यह संख्या 52 प्रतिशत करीब है। ऐसा भी नहीं है कि डॉ. यादव ने सिर्फ ओबीसी की बात की हो। हरियाणा में उनके प्रचार वाली 4 सीटों के मतदाताओं का आंकलन किया जाये तो साफ हो जाता है कि यहां ओबीसी के अलावा अनुसूचित जाति के वोटर भी बहुतायत हैं। वहीं दिल्ली चुनाव में बीजेपी के लिए 12 सीटों पर प्रचार की कमान संभाली थी। इन 12 सीटों में से 11 सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशियों को जीत मिली है। सीएम मोहन यादव, दिल्ली में बीजेपी की जीत के बड़े सहभागी बनकर उभरे हैं। मालवीय नगर, नजफगढ़, उत्तम नगर, विकासपुरी, नांगलोई, त्रिनगर, बादली, मुस्तफाबाद, रोहिणी, मादीपुर, हरीनगर सीटों पर सीएम मोहन यादव के प्रचार का असर साफ दिखाई दिया है। 12 में से सिर्फ एक सीट शीलमपुर पर बीजेपी को हार मिली है।
स्पष्टवादी छवि ने बनाया लोकप्रिय
मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सख्त और स्पष्टवादी छवि ने उन्हें लोकप्रिय नेता बनाया है। उनके समर्थक उन्हें एक दृढ़ नेता मानते हैं जो राज्य के विकास और सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं। मजबूत और सख्त प्रशासक की छवि उन्हें अलग बनाती है। उन्होंने कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए कई कठोर कदम उठाए हैं। वहीं योजनाओं ने जनता के बीच उनकी लोकप्रियता को बढ़ाया है, खासकर महिलाओं और गरीब वर्गों के बीच। इतना ही नहीं, डॉ. मोहन ने राज्य में आपदाओं और अन्य संकटों के समय संवेदनशीलता दिखाई है। वे अक्सर जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनत और हल करने की कोशिश करते हैं, जिससे जनता के बीच उनकी छवि जननेता के रूप में बनी हुई है। यह दर्शाता है कि मुख्यमंत्री का प्रदर्शन लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतर रहा है, लेकिन सुधार की गुंजाइश अभी भी बाकी है। मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य की महिलाओं के बाच काफी प्रचलित हैं। लाडली बहना जैसी महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं के कारण शिवराज को प्रदेश की बहनों और बेटियों से खूबर प्यार मिला है। राज्य की जनता उन्हें मामा कहकर बुलाती है। अब मप्र के मामा की तरह डॉ. मोहन यादव भी बहनों के लाडले बन गए हैं। 10 सालों से वह अपने विधानसभा क्षेत्र की 20 हजार बहनों से राखी बंधवा रहे हैं। रक्षा बंधन के पहले से राखी बांधने का सिलसिला शुरू होता है और त्योहार के बाद तक जारी रहता है। बताया जाता है कि 10 साल पहले जब मोहन यादव दूसरी बार विधायक चुने गए थे तो उज्जैन को बागपुरा और गोपालपुरा इलाके में महिलाओं ने तिलक लगाकर मोहन यादव को राखी बांधी थी। उस वक्त रक्षा बंधन नहीं था, फिर भी 1000 महिलाओं ने उन्हें राखी बांधी थी और आज उन्हें राखी बांधने वाली बहनों की संख्या 20 हजार पहुंच गई है। मोहन यादव भी राखी बंधवाने के बाद क्षेत्र की बहनों को गिफ्ट देते हैं। मप्र की पूर्व राज्यपाल आनंदीबेन ने भी मोहन यादव को राखी बांधी थी। मोहन यादव की खुद की दो बहनें हैं। एक बहन का नाम ग्यारसी बाई और दूसरी बहन का नाम कलावती यादव है। उनके दो भाई नंदलाल यादव और नारायण यादव हैं। मोहन यादव अपने भाई के परिवार और बड़ी बहन कलावती यादव के साथ जॉइंट फैमिली में रहते हैं। कलावती यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं और उज्जैन के अलग-अलग इलाकों से 6 बार उन्होंने पार्षद का चुनाव जीता है। इस समय कलावती यादव उज्जैन में नगर निगम अध्यक्ष हैं।
डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मप्र में विभिन्न विकास योजनाओं और नीतियों को लागू किया गया है, जिससे उनकी लोकप्रियता में यह उछाल देखने को मिला है। मप्र के मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. मोहन यादव की लोकप्रियता में आई तेजी यह दर्शाती है कि उनकी नीतियां और प्रशासनिक फैसले जनता के बीच प्रभावी हो रहे हैं। आने वाले समय में उनके कार्यों का असर और व्यापक रूप से दिख सकता है। मोहन यादव ने जिस मजबूत इच्छाशक्ति के साथ जनता के हितों को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है, उससे पूरे राज्य में एक सकारात्मक संदेश गया है कि यह सरकार जनता की सेवा के लिए है। यह सरकार जनभावनाओं के अनुरूप विकास के पथ पर आगे बढ़ेगी। मुख्यमंत्री की शपथ लेने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का पहला फैसला मप्र में धार्मिक स्थानों पर जोर से लाउड स्पीकर बजाने और खुले में मांस और अंडे की बिक्री पर सख्ती से रोक का रहा। इस फैसले का सभी ने स्वागत किया। प्रदेश के धार्मिक स्थलों में लगाए गए कानफोड़ू लाउड स्पीकर लंबे समय से आम जनता की परेशानी का सबब बन गए थे। चूंकि यह मामला धार्मिक था, इसलिए इसके खिलाफ कोई कुछ नहीं कर पाता था, लेकिन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक झटके में इस पर एक्शन लेकर अपने मजबूत इरादों को पहले दिन ही जता दिया। यही नहीं, खुले में मांस से लेकर अंडा बेचने पर भी उन्होंने रोक लगा दी। विपक्षी दलों ने इस आदेश में भाजपा और उसके अनुषांगिक संगठनों का साम्प्रदायिक एजेंडा देखा और इसे मुसलमानों के खिलाफ बताने की भी कोशिश की, लेकिन प्रदेश की आम जनता ने इसका स्वागत ही किया, क्योंकि यह नियम प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों के लिए समान रूप से लागू किया गया था। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इस फैसले को देखें, तो खुल में मांस को बिक्री सेहत के लिए हानिकारक है। यही वजह रही कि जनता की तरफ से इस फैसले की सराहना हुई। इसके अलावा सरकार ने अन्य कई निर्णय लिए हैं जिसने जनता का मन मोह लिया है।
संवेदनशील मुखिया
डॉ. मोहन यादव जबसे मुख्यमंत्री बने हैं उनकी प्राथमिकता में प्रदेश की जनता है। उनकी छवि एक संवेदनशील मुखिया के तौर पर उभरी है। संवेदनशील मुखिया का ऐसा भरोसा जनता में भी नई आशा को जगाता है। डॉ. मोहन यादव का स्वभाव ऐसा है कि वह जनता की समस्याओं के प्रति हर पल बेहद संवेदनशील रहते हैं। जनता की सेवा के लिए वह देर रात में भी औचक निरीक्षण करने से भी परहेज नहीं करते। जनता को किसी भी तरह का कष्ट न हो, इसके लिए उनकी मुस्तैदी देखते ही बनती है। वह खुद गरीबी में पले हैं और जनता के कष्टों को अपना कष्ट समझते हैं। इसके साथ ही उनकी संवेदना इसमें जुड़ जाती है। साथ ही सामाजिक सहभागिता के अवसर भी जुटाते हैं। मोहन सरकार ने नौकरशाही पर नकेल कसते हुए पारदर्शी प्रशासन और जीरो टॉलरेंस नीति के माध्यम से सुशासन का संदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने इस दौरान सभी को यह संदेश दिया है कि जनता को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए और जनता की समस्याएं अधिकारी तत्परता के साथ सुलझाने की कोशिश करें। दरअसल सुशासन के मंत्र को आत्मसात कर आगे बढ़ती भाजपा सरकार को इस बात पर गहराई से ध्यान देना होगा कि योजनाओं और घोषणाओं से परे आमजन की छोटी-छोटी समस्याओं के निराकरण की समयावधि कितनी है। जो नियम सरकार ने बनाए हैं, उनका लाभ आमजन को मिल भी पा रहा है या नहीं। नियमों के पालन करवाने के लिए जिम्मेदार तंत्र उसके प्रति कितना सजग है। ध्वनि विस्तारक यंत्र के कभी भी कहीं भी इस्तेमाल पर रोक लगाने संबंधी आदेश तो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते वर्षों में दिए जा चुके थे, लेकिन इनका पालन करवाने की इच्छाशक्ति नहीं होने की वजह से जनता अब तक ध्वनि प्रदूषण की पीड़ा भोग रही थी। नई सरकार ने इच्छाशक्ति दिखाई वैसे ही जनता को राहत मिलना शुरू हो गई। जन की ऐसी कई आकांक्षाएं-समस्याएं हैं, जो अगले पांच वर्ष में वे नई सरकार के माध्यम से हल होते या पूरा होते देखना चाहते हैं। सडक़-बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से अब भी आलीराजपुर और बड़वानी जिले के दर्जनों गांव वंचित हैं। सुविधाएं धीरे-धीरे अंतिम व्यक्ति तक पहुंच भी रही हैं, लेकिन इसकी गति सही रहे और विस्तार सही तरीके से हो इसकी निगरानी बेहद जरूरी है। प्रदेश के बड़े शहरों के फ्लायओवर से लेकर गांव की छोटी सडक़ों तक निर्माण कार्य तो हो रहे हैं, लेकिन ये तय समय सीमा में हों और आमजन इस वजह से परेशानी नहीं भोगे, इसकी चिंता भी नई सरकार को करनी होगी। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में इंदौर और भोपाल के बाद ग्वालियर और जबलपुर में भी पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू करने की बात कही है। नए शहरों को इस सिस्टम से जोडऩे के बजाय पहले इंदौर-भोपाल में पुलिस कमिश्नरी की सभी बिंदुओं के साथ पड़ताल करना आवश्यक है। क्या इन शहरों में कानून व्यवस्था अधिक जवाबदेह और बेहतर हुई है? क्या पुलिस कमिश्नरी अपने तय मानकों के साथ संचालित हो पा रही है? क्या पर्याप्त बल और शक्तियां इस नए सिस्टम को प्राप्त हैं? जैसे सवाल अब भी अनसुलझे ही हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं को संतोषजनक स्थिति तक लाने में भी अभी लंबा रास्ता तय करना होगा। मेडिकल कालेजों में सीटें बढ़ाने, नए मेडिकल कालेज खोलने और हर संभाग में मध्य प्रदेश इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस खोलने की घोषणाएं अपनी जगह है लेकिन वर्तमान सेवाओं में आवश्यक दवाओं की कमी और अस्पताल में डाक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करना इस क्षेत्र की सबसे बड़ी मांग है। इस क्षेत्र को ये दो कदम ही बहुत बड़ी राहत दे सकते हैं।
सबसे आगे निकले
11 दिसंबर 2024 को जब उनके नाम का ऐलान हुआ था, तब कई बुद्धिजीवियों का सवाल था कि लगभग 20 साल सरकार चलाने वाले शिवराज सिंह चौहान के मुकाबले उन्हें मुख्यमंत्री क्यों बनाया गया। लेकिन अपने अब तक के कार्यकाल में ही डॉ. मोहन यादव ने यह साबित कर दिया है कि आलाकमान ने जो फैसला लिया था वह सौ टका टंच था। चाहें शिवराज सिंह चौहान हों या उमा भारती, स्व. बाबूलाल गौर हों या कमलनाथ सबको मात देकर डॉ. मोहन आगे निकल गए हैं। डॉ. मोहन यादव ने अपने एक साल के कार्यकाल में कई काम ऐसे किए हैं, जो उन्हें शिवराज सिंह चौहान से आगे लाकर खड़ा करते हैं। मसलन छिंदवाड़ा की सीट, जिसे जीतने के लिए भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया था लेकिन उनके कार्यकाल में जीत नहीं पाए। वहीं, जब कमान सीएम यादव के हाथ में आई तो उन्होंने 26 साल बाद कमलनाथ के अभेद किले को ढ़हा दिया। लगता है कि उन्होंने सरकार चलाने के लिए अपनी प्राथमिकताएं तय कर ली हैं। वो उद्योग, शहरी विकास और राजस्व बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं, नारी, किसानों और गरीबों के अभावग्रस्त जीवन के आर्थिक उन्नयन के साथ उनमें आत्म-विश्वास भरने और उनके जीवन को बेहतर बनाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि मप्र सरकार इन वर्गों के आर्थिक विकास के लिए ठोस पहल कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने दशकों से उपेक्षा के शिकार रहे समाज के विभिन्न वर्गों के जीवन को बदलने का संकल्प लिया है। हमारी सरकार युवा, नारी, किसान और गरीब वर्ग के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए मिशन मोड में प्रतिबद्धतापूर्वक कार्य करने जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प को पूरा करने की पहल करने वाला मप्र पहला राज्य है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि युवा शक्ति मिशन में युवाओं को रोजगार, कौशल विकास और नेतृत्व के अवसर प्रदान कर सशक्त बनाने का कार्य किया जायेगा। गरीब कल्याण मिशन में गरीब और वंचित वर्गों को सामाजिक सुरक्षा, रोजगार और बुनियादी सुविधाएँ प्रदान की जायेंगी। नारी सशक्तिकरण मिशन में महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाने के साथ उन्हें आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से सशक्त बनायेंगे। किसान कल्याण मिशन में किसानों की आय में वृद्धि करने के साथ कृषि को और अधिक लाभकारी व्यवसाय बनाने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को साकार करने के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष में साढ़े 3 लाख करोड़ से अधिक राशि का लोक कल्याणकारी बजट पारित किया गया। सरकार ने तय किया है कि आने वाले वर्षों में बजट को दोगुना किया जायेगा। सरकार का प्रयास है कि प्रदेश को सशक्त बनाने के लिये किये जाने वाले कार्यों में जनता की सहभागिता सुनिश्चित रहे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मप्र को देश में अग्रणी राज्य बनाने में प्रदेश की जनता का विश्वास हमें संबल प्रदान करता है। हमारे साढ़े 8 करोड़ प्रदेशवासी मिलकर विकास की दिशा में जब काम करेंगे, तो विकास के नये आयाम प्रदेश में रचे जाएंगे। जहां तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान पिछड़े, नए सीएम ने वहीं से अपना काम शुरु किया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का पूरा जोर मप्र को सशक्त राज्य बनाने पर है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मप्र ने पिछले 14 माहों के सुशासन के प्रयासों से यह जाहिर कर दिया है कि प्रदेश की जनता ही असली शासक है। इसका प्रमाण इससे मिलता है कि अगर किसी अफसर ने आमजन के सामने अपनी अफसरी दिखाने की कोशिश की तो उसे कुर्सी से उतारने में तनिक भी देरी नहीं की गई। वहीं माफिया, अपराधी ने अगर कानून-व्यवस्था तोडऩे की कोशिश की तो सरकारी बुल्डोजर ने इसका जवाब दिया। ऐसे में प्रदेश की करीब साढ़े आठ करोड़ जनता को इस बात का अहसास हो रहा है जैसे प्रदेश में उसी का शासन चल रहा है। संवेदनशील मुखिया का ऐसा भरोसा जनता में भी नई आशा को जगाता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का स्वभाव ऐसा है कि वह जनता की समस्याओं के प्रति हर पल बेहद संवेदनशील रहते हैं। जनता की सेवा के लिए वह देर रात में भी औचक निरीक्षण करने से भी परहेज नहीं करते। जनता को किसी भी तरह का कष्ट न हो, इसके लिए उनकी मुस्तैदी देखते ही बनती है। वह खुद गरीबी में पले हैं और जनता के कष्टों को अपना कष्ट समझते हैं। साथ ही उनकी संवेदना इसमें जुड़ जाती है। साथ ही सामाजिक सहभागिता के अवसर भी जुटाते हैं। कुल मिलाकर मोहन सरकार ने अपने एक साल के कार्यकाल में कई साहसिक फैसलों के द्वारा जनता के दिल में विशेष छाप छोडऩे में सफलता पाई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण के लिए सरकार ने प्रतिबद्धता जाहिर की है। सबका साथ, सबका विकास,सबका विश्वास तथा सबका प्रयास का नारा वंचितों के जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से नीतियों की आधारशिला बन गया है। जरूरतमंदों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान कर उनके जीवन स्तर में सुधार लाने में सहायता दी जा रही है। मप्र के बेरोजगारों के लिए के लिए ऐसा विजनरी प्लान बना लिया गया है जिससे एक लाख से अधिक युवाओं का शासकीय नौकरी करने का सपना पूरा हो जाएगा।
विकास और सुशासन प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों से कहा है कि विकास और सुशासन सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कलेक्टर और एसपी से कहा है कि विधायकों द्वारा किए गए सवालों के जवाब लेने और विधायकों के जनहितैषी मामलों में सुनवाई करने के लिए कहा गया। मुख्यमंत्री ने कहा है कि विकास और सुशासन सरकार की प्राथमिकता है। इसलिए विधायक और अफसर मिलकर इस दिशा में काम करें। उन्होंने कहा है कि डॉक्यूमेंट में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, स्वच्छता, बुनियादी ढांचे और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार करके क्षेत्र के नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने पर फोकस किया जाए। एक जिला एक उत्पाद योजना से रोजगार के अवसर प्रदान करने को भी शामिल करें। गौरतलब है कि मप्र में तेजी से आर्थिक विकास हो रहा है। पिछले 20 वर्षों में राज्य में तेज गति से आर्थिक विकास देखने को मिला है। अब प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार पांच साल में विकास की गति दोगुना बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके लिए पांच वर्ष बाद यानी वर्ष 28-29 में प्रदेश का बजट सात लाख करोड़ करने का लक्ष्य तय किया गया है। यानी वर्तमान मप्र सरकार ने अगले पांच साल में अपने बजट का आकार बढ़ाकर दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। मप्र जहां केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में सभी राज्यों से आगे है, वहीं प्रदेश सरकार ने हर क्षेत्र में विकास के लिए योजनाएं बनाई है और उनका सफल क्रियान्वयन किया है। इसी का परिणाम है कि मप्र ने वर्ष-2024 में अनेक क्षेत्रों में परचम फहराया है, जिसके कारण इसे कई पुरस्कार मिले हैं। यह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समर्पित भाव और कुशल रणनीति के कारण ही संभव हो पाया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का भी कहना है कि सुशासन के जरिए लोक कल्याण ही सरकार का मूल ध्येय है। हमारी सरकार यह सुनिश्चित करती है कि हमारे प्रयासों का अधिकतम लाभ जनता को ही मिले। राज्य सरकार इसी दिशा में आगे बढ़ रही है। जनता के कल्याण के लिए हम दिन-रात काम कर रहे हैं। सरकार इस काम से कभी पीछे नहीं हटेगी। हम अपनी ऊर्जा का अधिकतम उपयोग जनकल्याण के लिए करेंगे। जनता की शत-प्रतिशत संतुष्टि ही हमारा पुण्य फल और पारितोषिक है। मुख्यमंत्री की इसी सोच का परिणाम है कि मप्र ने वर्ष-2024 में अनेक क्षेत्रों में अपना परचम फहराया है जिसके कारण प्रदेश को कई पुरस्कार मिले हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दूरदृष्टि और मन में विकास की ललक से वर्ष-2024 में अनेक ऐसे अनूठे कार्य हुए है, जिससे मप्र राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान बनकर उभरा है। प्रदेश ने अनेक क्षेत्रों में कई राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने के साथ केन्द्र सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी अग्रणी भूमिका निभाई है। मप्र केन्द्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में भी देश में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। पीएम स्व-निधि योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना, पीएम आवास योजना, कृषि अवसंरचना निधि, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, स्वामित्व योजना, नशा मुक्त भारत अभियान, आयुष्मान भारत योजना, मछुआ क्रेडिट कार्ड योजना, राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना, राष्ट्रीय आजीविका मिशन और स्वच्छ भारत मिशन के क्रियान्वयन में भी राज्य अग्रणी है।
मप्र द्वारा देश में सर्वाधिक खनिज ब्लॉकों की नीलामी कर राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान हासिल किया। मप्र टूरिज्म बोर्ड को देश के बेस्ट टूरिज्म बोर्ड के रूप में सम्मानित किया गया है। राज्यों की स्टार्ट-अप रैंकिंग और राष्ट्रीय स्टार्ट-अप पुरस्कार के अंतर्गत मप्र को लीडर के रूप में पुरस्कृत किया गया। डिजिटल प्रणाली लागू करने पर मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को गवर्नमेंट इंडिया पीएसयू आईटी फोरम अवार्ड मिला। एक जिला-एक उत्पाद’ के अंतर्गत बुरहानपुर को केला प्रसंस्करण क्षेत्र में विशेष कार्य के लिए राष्ट्रीय सम्मान मिला। पंडित खुशीलाल शासकीय स्वशासी आयुर्वेद महाविद्यालय के चिकित्सालय को एनएबीएच सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ। आयुष्मान आरोग्य मंदिर केन्द्र को क्रियाशील करने पर मप्र को देश में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है। एग्री एंड हॉर्टी एक्सपो में मप्र को हॉर्टिकल्चर, फूड प्रोसेसिंग में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रथम पुरूस्कार मिला। मप्र पर्यटन को मिला बेस्ट सस्टेनेबल स्टेट टूरिज्म श्रेणी में प्रतिष्ठित ग्लोबल टूरिज्म अवॉर्ड। प्राणपुर (चंदेरी) सावरवानी एवं लाडपुरा खास को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम का पुरस्कार मिला। 5वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार से पश्चिम जोन के अंतर्गत इंदौर को सर्वश्रेष्ठ जिले के तौर पर पुरस्कृत किया गया। मप्र को प्रतिष्ठित ट्रेवल एंड टूरिज्म कॉन्क्लेव एंड अवाड्र्स में बेस्ट टूरिज्म स्टेट ऑफ द ईयर से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नवाचारों से प्रेरित होकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में मप्र सरकार माइनिंग में नवाचार कर रही है। प्रदेश में सबसे पहले क्रिटिकल मिनरल के 2 ब्लॉक्स को नीलामी में रखा गया है। सबसे अधिक खनिज ब्लॉक्स की नीलामी कर मप्र देश में पहले स्थान पर आ गया है। प्रदेश की समृद्ध खनिज सम्पदा और नई खनन नीतियों से राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। खनिज संसाधनों के उपयोग से न केवल राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी, बल्कि रोजगार के नये अवसर भी पैदा होंगे। प्रदेश में कोयला, चूना पत्थर, डोलोमाइट और बॉक्साइट जैसे खनिजों का विशाल भण्डार है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में प्रदेश खनन के क्षेत्र में अधिक राजस्व प्राप्त कर नई ऊंचाइयां छू रहा है। प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2023-24 के मुकाबले खनिज राजस्व संग्रह में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई, प्रदेश में पहली बार खनिज राजस्व संग्रह 5 अंकों में पहुंच गया। जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस अवधि में 4 हजार 958 करोड़ 98 लाख रुपये प्राप्त हुए थे। जबकि वर्ष 2024-25 में यह प्राप्ति 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त किया गया है। मप्र मुख्य खनिज ब्लॉकों की सर्वाधिक संख्या में नीलामी करने में देश में प्रथम स्थान पर है। भारत सरकार द्वारा वर्तमान में स्ट्रैटेजिक एवं क्रिटिकल मिनरल पर देश की आत्म-निर्भरता बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे इन खनिजों की आयात पर निर्भरता कम हो सके। प्रदेश द्वारा इस खनिज समूह के अंतर्गत अभी तक ग्रेफाइट के 8 खनिज ब्लॉक, रॉक-फॉस्फेट खनिज के 6 ब्लॉक सफलतापूर्वक नीलाम किये गये हैं। मुख्य खनिज के 20 ब्लॉकों की नीलामी के लिये विभाग द्वारा 9 अगस्त, 2024 को निविदा आमंत्रण सूचना-पत्र जारी की गयी है, जिसकी कार्यवाही प्रचलन में है। इसके अतिरिक्त महत्वपूर्ण खनिज गोल्ड के 4 ब्लॉक, मैग्नीज खनिज के 16 ब्लॉक एवं कॉपर का एक ब्लॉक अभी तक सफलतापूर्वक नीलाम किये गये हैं। भारत सरकार द्वारा जनवरी-2024 में एक्सप्लोरेशन नीति प्रभावशील की गयी। इस नीति के तहत मप्र राज्य द्वारा क्रिटिकल मिनरल के 2 ब्लॉक नीलामी में रखे गये हैं। मप्र केंद्र सरकार की इस नीति का क्रियान्वयन करने वाला पहला राज्य बन गया है। खनिज अन्वेषण के क्षेत्र में भी प्रदेश प्रथम स्थान पर है। प्रदेश में स्ट्रेटेजिक एवं क्रिटिकल मिनरल, मुख्यत: रॉक-फास्फेट, ग्रेफाइट, ग्लूकोनाइट, प्लेटिनम एवं दुर्लभ धातु (आरईई) के लिये कार्य किया जा रहा है। इसके अंतर्गत 11 क्षेत्रों पर अन्वेषण कार्य किया गया। प्रदेश में जिला खनिज विभाग के अंतर्गत विभिन्न विकास कार्य, जिसमें पेयजल, चिकित्सा, शिक्षा, महिला एवं बाल कल्याण, स्वच्छता, कौशल विकास और वृद्ध, विकलांग कल्याण के लिये 16 हजार 452 परियोजनाएँ स्वीकृत की गयी हैं, जिनकी लागत 4406 करोड़ रुपये है। इनमें से 7 हजार 583 परियोजना लागत 1810 करोड़ रुपये का कार्य पूर्ण हो गया है।