सरकार को उसके ही मातहत संस्थान नहीं लौटा रहे 430 अरब

मातहत संस्थान

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। अगर सरकार को उसके मातहत आने वाले संस्थान ही अग्रिम के रुप में की गई आर्थिक मदद की राशि को लौटा दें, तो प्रदेश सरकार का खजाना न केवल भर जाएगा, बल्कि सरकार को इस साल कर्ज लेने की नौबत का सामना तक नहीं करना पड़ेगा। इसकी वजह है इन संस्थानों पर सरकार का लगभग 44 हजार करोड़ की बकाया राशि। यह राशि इन संस्थानों को सरकार द्वारा या तो जरुरत पड़ने पर कर्ज के रुप में दी गई है या फिर बतौर अग्रिम। इन स्ंस्थाओं में विभिन्न निगम-मंडलों, स्थानीय निकाय, पंचायतों, प्राधिकरण और गृह निर्माण मंडल शामिल हैं। खास बात यह है कि यह राशि बीते कई सालों में दी गई है, जिन्हें अब तक लौटाया ही नहीं गया है। यही वजह है कि अब यह आंकड़ा लगभग 44 हजार करोड़ तक पहुंच चुका है। बीते साल जहां यह आंकड़ा 42 हजार 143 करोड़ का था जो अब बढ़कर 44 हजार करोड़ रुपए के आसपास हो गया है। कोराना संकट और वित्तीय कुप्रबंधन की वजह से प्रदेश सरकार को कर्ज दर कर्ज लेना पड़ रहा है, जिसकी वजह से अब सरकार के वित्त विभाग ने इसके हिसाब-किताब पर काम शुरू किया है। दरअसल राज्य सरकार, सरकारी संस्थाओं को विकास कार्यों के लिए कर्ज देती है। साथ ही विदेशी और राष्ट्रीयकृत  बैंकों से कर्ज दिलाने की गारंटी भी लेती है। कई बार जरूरत पड़ने पर इन संस्थाओं को अग्रिम राशि का भी भुगतान किया जाता है। सरकार द्वारा दिए गए कर्ज को यह सालों वापस नहीं लौटाते या फिर किश्तों में इसका समावेश करते हैं, लेकिन वर्ष 2019-20 में इन संस्थानों पर मप्र सरकार का 42 हजार 143 करोड़ रुपए बकाया था, जो बढ़कर 20- 21 में 43 हजार 85 करोड़ हो गया है। इस मामले में सीएजी ने वित्त विभाग को पत्र लिखकर इन संस्थानों पर बकाया राशि का हिसाब-किताब तलब किया है। सीएजी से पत्र मिलने के बाद वित्त विभाग ने भी विभागों से जानकारी तलब करना शुरू की है। इसकी वजह है सीएजी द्वारा हर साल इसका रिकॉर्ड तैयार किया जाना ।
सहकारी कंपनियों पर है आधी रकम का बकाया
अगर सरकारी आंकड़ों की माने तो सहकारी कंपनियों पर ही इस बकाया रकम का आधा हिस्सा पड़ा हुआ है। उन पर करीब 25,521.85 करोड़ रुपए का बकाया है। इसी तरह से विवि और अन्य शैक्षणिक संस्थाओं पर 265.06 करोड़, नगरीय निकायों पर 714.91 करोड़, सहकारी निगम और बैंकों पर 1,593.79 करोड़, विकास प्राधिकरणों पर 1,642.68 करोड़ , गृह निर्माण मंडल पर 175.49, संवैधानिक संस्थाओं पर 6,290.98 करोड़ ,अन्य संस्थानों पर 6,859.96 करोड़ और कर्मचारियों पर अग्रिम के रुप में19.11 करोड़ की राशि बकाया है।

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