40 मामलों को सालों से चालान की अनुमति का इंतजार

  • 55 में से महज 15 मामलों में ही दी गई अभियोजन की स्वीकृति

गौरव चौहान
स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू में दर्ज मामलों में सरकार की ओर से अभियोजन की स्वीकृति देने में सालों का समय लग रहा है। मार्च 2020 से अब तक लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू, सीबीआई, ईडी में स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज मामलों की जानकारी कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने मांगी थी। डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल ने जयवर्धन सिंह को दिए जवाब में बताया कि ईओडब्ल्यू में 6 मामले दर्ज हुए हैं और लोकायुक्त में 55 मामले पिछले 5 सालों में दर्ज किए गए हैं।
ईओडब्ल्यू में आधा दर्जन प्रकरण
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो  ने पिछले पांच सालों में 6 मामले दर्ज किए। इनमें से सिर्फ एक केस में ही अभियोजन की स्वीकृति मिली। बाकी 5 मामलों में अभी जांच जारी है। इन मामलों में 25 मई 2021 को सीहोर सीएमएचओ कार्यालय के स्टोर कीपर केबी वर्मा के खिलाफ 420, 120 बी, 201 के तहत केस दर्ज किया गया था। मामले की जांच चल रही है। 10 मार्च 2022 को नरसिंहपुर जिला अस्पताल के फार्मासिस्ट अमित तिवारी, और तत्कालीन सिविल सर्जन विजय मिश्रा के खिलाफ 409, 420, 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था। मामले की जांच चल रही है।
15 मार्च 2022 को जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ अशोक साहू और उनकी पत्नी प्रोफेसर डॉ तृप्ति गुप्ता के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था। इस मामले में दोनों आरोपियों की अभियोजन की स्वीकृति मिलने के बाद इस साल 18 फरवरी को चालान पेश किया गया है। 26 जुलाई 2022 को भोपाल के चिकित्सा,शिक्षा संचालनालय में सहायक ग्रेड 2 हीरो केसवानी के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने केस दर्ज किया था। मामले की जांच चल रही है। हीरो केसवानी के घर छापेमारी में 85 लाख से ज्यादा कैश जब्त हुआ था। बड़े पैमाने पर प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले थे। 14 सितंबर 2022 को सीधी के रामपुर नैकिन सीएचसी के बीएमओ डॉ प्रशांत तिवारी और आउटसोर्स कर्मचारी प्रमोद कुशवाहा के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। अब तक मामला जांच में ही है। 16 दिसंबर 2022 को ग्वालियर के रिटायर्ड सर्जन डॉ जेपी गुप्ता के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। मामले में अब तक जांच ही चल रही है।
2021 में दर्ज मामले
21 जनवरी को धार जिले के बाग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी अकाउंटेंट धीरज टेम्भूर्णे के खिलाफ केस दर्ज हुआ 6 मार्च 2023 को अभियोजन की मंजूरी मांगी 5 जुलाई 2023 को मंजूरी मिली मामला फिलहाल कोर्ट में लंबित है।
7 फरवरी 2021 को पन्ना जिला अस्पताल के सर्जन डॉक्टर गुलाब तिवारी के खिलाफ केस दर्ज हुआ। 10 मई 2022 को अभियोजन की स्वीकृति मांगी। 11 जुलाई 2023 को मंजूरी मिली। लेकिन, मामला कोर्ट में पेंडिंग है। डॉ गुलाब तिवारी एक मरीज से ऑपरेशन करने के एवज में 4 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार हुए थे। 20 जुलाई को भोपाल के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में सदस्य संविदा कार्यपालन यंत्री ऋषभ कुमार जैन के खिलाफ केस दर्ज हुआ। 15 जून 2023 को अभियोजन की स्वीकृति मांगी 15 अक्टूबर 2024 में मंजूरी मिली। इस मामले में अब चालानी कार्रवाई की जा रही है।
2020 में दर्ज हुए मामले
4 मार्च को इंदौर के रिटायर्ड मलेरिया इंस्पेक्टर और पीसी एंड पीएनडीटी के नोडल ऑफिसर (संविदा) सतीश जोशी पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज हुआ था। 7 जुलाई 2022 को अभियोजन की स्वीकृति मांगी गई, 15 फरवरी 2023 को शासन ने मंजूरी दी। मामला कोर्ट में विचाराधीन है।3 मार्च को जबलपुर के रांझी अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर डॉ शैलेन्द्र दीवान के खिलाफ पीसी एक्ट में केस दर्ज किया गया था। विभाग ने 28 मार्च 2023 को अभियोजन की स्वीकृति मांगी। 26 जून को अभियोजन की मंजूरी मिल गई। मामला कोर्ट में चल रहा है।18 मार्च को नरसिंहपुर के सीएमएचओ ऑफिस में पदस्थ सहायक ग्रेड 3 सुनील कुमार नेमा के खिलाफ केस दर्ज हुआ। मामले में 18 अगस्त को अभियोजन की स्वीकृति मांगी गई। करीब आठ महीने बाद 21 अप्रैल 2022 को मंजूरी मिली। मामला कोर्ट में पेंडिंग है।6 जून को नर्मदापुरम जिले के बाबई की बीएमओ डॉ शोभना चौकसे और प्राइवेट कंपाउंडर मिलन यादव के खिलाफ केस दर्ज किया था। मामले में 4 मई को अभियोजन की स्वीकृति मांगी। तीन महीने बाद 3 अगस्त को मंजूरी मिल गई। मामला कोर्ट में विचाराधीन है। 27 जुलाई को भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के विभागाध्यक्ष डॉक्टर मुरली लालवानी के खिलाफ केस दर्ज हुआ। 19 जनवरी 2022 को अभियोजन की स्वीकृति मांगी करीब 2 साल बाद 2 दिसंबर 2024 को मंजूरी मिली। अब मामले में चालानी कार्रवाई की जा रही है। ललवानी ने अपने ही एक छात्र को पास करने के एवज में रिश्वत मांगी थी। और घूस लेते गिरफ्तार हुए थे।20 अगस्त को ग्वालियर के हस्तिनापुर अस्पताल के कंपाउंडर बनवारी सिंह यादव के खिलाफ केस दर्ज हुआ 23 सितंबर 2022 को अभियोजन की मंजूरी मांगी गई। 16 मई 2023 को मंजूरी मिली। मामला कोर्ट में पेंडिंग है।

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