
- औद्योगिक विकास के नए दौर में मप्र
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मप्र को औद्योगिक हब बनाने के लिए जो अभियान शुरू किया है उसके परिणाम भोपाल में आयोजित ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के बाद नजर आने लगे हैं। जीआईएस-भोपाल के बाद मप्र ने कौशल विकास और रोजगार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय साझेदारियों को मूर्त रूप दिया है। इन समझौतों से युवाओं को उद्योग-रेडी बनाया जा रहा है। साथ ही तकनीकी शिक्षा को इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के अनुरूप उन्नत किया जा रहा है। इन सहयोगों के माध्यम से प्रदेश के युवाओं को ग्रीन एनर्जी, आईटी, तकनीकी और वैश्विक रोजगार के क्षेत्रों में नए अवसर प्राप्त होंगे।
विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मप्र की राजधानी भोपाल में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट न केवल मप्र बल्कि पूरे भारत की अर्थव्यवस्था के लिए मील का पत्थर साबित हुई। मप्र अब औद्योगिक विकास के नए दौर में प्रवेश कर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए लोकल से ग्लोबल दृष्टिकोण को अपनाया गया है। इस रणनीति के तहत रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव और रोड शो जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से निवेशकों और उद्योगपतियों को आकर्षित करने के ठोस प्रयास किए गए हैं। यह पहल न केवल राज्य की आर्थिक समृद्धि को गति दे रही हैं, बल्कि स्थानीय उद्योगों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान भी दिला रही हैं। जीआईएस-भोपाल से निवेश भी आकर्षित हुआ है और लाखों युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। प्रदेश सरकार और उद्योग जगत के इस सहयोग से मप्र एक सशक्त, आत्म-निर्भर और इंडस्ट्री-रेडी वर्क फोर्स का केंद्र बन रहा है। भोपाल में पहली बार हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का सफल आयोजन बेहतर टीमवर्क और समन्वय से संभव हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ ही बड़ी संख्या में विदेशी राजनायिकों, वाणिज्यिक प्रतिनिधियों और देश के प्रमुख औद्योगिक समूह के प्रतिनिधियों के एक साथ आगमन और जीआईएस में सहभागिता का प्रबंध चुनौती पूर्ण था। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट सुप्रबंधन का पर्याय बनी। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट भोपाल में प्राप्त निवेश प्रस्तावों के क्रियान्वयन के लिए मंत्रालय में आयोजित समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जीआईएस के सफल आयोजन के लिए सभी विभागों के अधिकारियों और टीम को बधाई दी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में निवेश और औद्योगिक गतिविधियों के विस्तार का यह कारवां निरंतर जारी रहेगा। प्रदेश में उद्योगों के लिए विद्यमान बेहतर अधोसंरचना और निवेश वातावरण के परिणामस्वरूप उद्योग समूह त्वरित रूप से अपनी गतिविधियों का विस्तार कर रहे हैं। अगले सप्ताह 850 करोड़ रूपए के निवेश से स्थापित होने वाली नीमच सौर परियोजना की आधारशिला रखी जाएगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि समिट में कुल 30 लाख 77 हजार करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिससे लगभग 21 लाख 40 हजार रोजगार के अवसर सृजित होंगे। जीआईएस में 25 हजार से अधिक लोगों ने भागीदारी की। इसमें 9 पार्टनर कंट्री और 60 से अधिक देशों से 100 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय डेलिगेट शामिल हुए। जीआईएस में 300 से अधिक प्रमुख उद्योगपतियों और उद्योगों की भागीदारी रही। जीआईएस में 10 सेक्टरल सत्र, 6 कंट्री सेशंस, 6 समिट, 70 से अधिक वन-टू-वन बैठकें, 5 हजार से अधिक बी-टू-बी मीटिंग और 600 से अधिक बी-टू-जी मीटिंग्स संपन्न हुईं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 18 नई निवेश नीतियां लांच की गई और 89 एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। यह प्रदेश में अब तक हुईं ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में सबसे अधिक भागीदारी थी। जीआईएस की पूर्व तैयारी के लिए देश-विदेश में इंटरेक्टिव सत्र किए गए। ऑटो-एक्सपो, टेक्सटाइल एक्सपो, ऑक्सफोर्ड, वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट एग्जीबिशन के साथ ही एमपी पवेलियन और डिजिटल एक्सपीरियंस जोन, जीआईएस में आकर्षण का विशेष केंद्र रहे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि विभिन्न सेक्टरों में बड़ी संख्या में निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा में 8 लाख 94 हजार 301 करोड़ निवेश के 441 प्रस्ताव, इंफ्रास्ट्रक्चर में 3 लाख 37 हजार 329 करोड़ रूपए निवेश के 870 प्रस्ताव, खनन और खनिज क्षेत्र में 3 लाख 25 हजार 321 करोड़ रूपए के 378 निवेश के प्रस्ताव, रक्षा-विमानन और एयरोस्पेस में 3 लाख 01 हजार 681 करोड़ के 8 प्रस्ताव और पेट्रोकेमिकल्स-रसायन-प्लास्टिक व संबद्ध क्षेत्र में 1 लाख 4 हजार 158 करोड़ रूपए निवेश के 237 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इसी प्रकार आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स आदि में 78 हजार 314 करोड़ रूपए के 193 प्रस्ताव, पर्यटन तथा हॉस्पिटेलिटी में 68 हजार 824 करोड़ रूपए के 303 प्रस्ताव, कृषि और खाद्य प्र-संस्करण में 63 हजार 383 करोड़ रूपए के 957 प्रस्ताव, शिक्षा में 52 हजार 294 करोड़ रूपए के 191 प्रस्ताव, हेल्थ केयर, फार्मा और चिकित्सा उपकरण के लिए 41 हजार 986 करोड़ रूपए के 345 प्रस्ताव, ऑटोमोबाइल क्षेत्र में 41 हजार 590 करोड़ रूपए के 349 प्रस्ताव, इंजीनियरिंग क्षेत्र के 26 हजार 277 करोड़ रूपए के 203 प्रस्ताव, कपड़ा-टेक्सटाइल और परिधान क्षेत्र में 21 हजार 833 करोड़ रूपए के 171 प्रस्ताव, लॉजिस्टिक्स और वेयर हाऊसिंग से संबंधित 9 हजार 112 करोड़ रूपए के 67 प्रस्ताव, पैकेजिंग क्षेत्र में 1 हजार 697 करोड़ रूपए के 51 प्रस्ताव तथा अन्य क्षेत्रों में 83 हजार 720 करोड़ रूपए के 1 हजार 96 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।
छह स्तरीय कार्य योजना बनाई गई
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मिले निवेश प्रस्तावों के प्रभावी फॉलो-अप के लिए छह स्तरीय कार्य योजना बनाई गई है। इसके अंतर्गत एमपीआईडीसी द्वारा निवेश प्रस्तावों की स्क्रीनिंग और डेटा प्रविष्टि कर उनका विभागवार वर्गीकरण किया जाएगा। संबंधित विभाग निवेश राशि के आधार पर क्षेत्रीय कार्यालय, मुख्यालय और विभाग स्तर पर प्रस्तावों का फॉलो-अप करेंगे। प्रत्येक विभाग द्वारा रिलेशनशिप मैनेजर की नियुक्ति की जाएगी। फॉलोअप के लिए मॉनीटरिंग और रिपोर्टिंग की पुख्ता व्यवस्था की गई है। संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव प्रति सप्ताह प्रगति की समीक्षा कर मुख्य सचिव को रिपोर्ट देंगे। इसके साथ ही मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री स्तर पर भी निश्चित अंतराल पर मॉनीटरिंग की व्यवस्था की गई है। निवेश प्रस्तावों को साकार करने के लिए भूमि आवंटन, अनुमोदन और आवश्यक मंजूरियों के लिए संबंधित विभाग द्वारा आवश्यक समन्वय और सहयोग किया जाएगा। इसके साथ ही निवेशकों की प्रतिक्रिया के विश्लेषण और समाधान के लिए उनसे फीडबैक प्राप्त करने की भी व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि प्रस्तावों को वास्तविक निवेश में परिवर्तित करने के लिए रणनीति बनाकर कार्य होगा। इसके लिए प्राथमिकता पर प्रस्तावित औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जाएंगे और सेक्टर फोकस्ड औद्योगिक सेक्टरों का भी विकास होगा। जिला स्तर पर कलेक्टर्स को भूमि और जल की आवश्यकता से अवगत कराकर समय-सीमा में उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। निवेशक अपनी इकाई का शीघ्रता से संचालन शुरू कर सकें, इसके लिए प्लग-एंड-प्ले सुविधा विकसित की जाएगी। प्रदेश में एमपी इन्वेस्टर पोर्टल का उन्नयन किया गया है। इसके साथ ही एमपीआईडीसी में विशेष सेल अंतर विभागीय समन्वय सुनिश्चित करेगा। उद्योग और रोजगार वर्ष 2025 के अंतर्गत संचालित होने वाली गतिविधियों की जानकारी देते हुए बताया गया कि सेक्टर फोकस्ड समिट के साथ ही कौशल संवर्धन कार्यक्रम, आईटीआई और उद्योगों के समन्वय, इज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए ईओडीबी क्लीनिक के आयोजन सहित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रमों में सहभागिता की जाएगी।
औद्योगिक विकास की नींव तब मजबूत होती है जब स्थानीय उद्योगों को आवश्यक संसाधन, तकनीकी सहायता और निवेश का अवसर मिलता है। इसी सोच के साथ मप्र सरकार ने बीते कुछ महीनों में संभाग स्तर पर 7 रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित किए, जिनका उद्देश्य स्थानीय व्यापारियों और उद्यमियों को निवेशकों और बड़े उद्योगपतियों से जोडऩा था। रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के कारण स्थानीय उद्योगों को राष्ट्रीय पहचान मिली। छोटे और मध्यम उद्यमों को बड़े व्यापारिक नेटवर्क से जोड़ा गया। इससे निवेशकों ने मप्र में उद्योग स्थापित करने की रुचि दिखाई। इसके साथ ही उद्योगों को और अधिक अनुकूल माहौल देने के लिए आवश्यक बदलावों पर विचार किया गया। बढ़ते उद्योगों के कारण युवाओं के लिए नए रोजगार सृजित हुए। इन कॉन्क्लेव्स के माध्यम से एमएसएमई सेक्टर को विशेष बढ़ावा मिला, जिससे छोटे और मझोले उद्योगों को नई उड़ान मिली। प्रदेशभर में रिजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के सफल आयोजन ने निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया और मप्र को निवेश के लिए एक मजबूत विकल्प के रूप में स्थापित किया। रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव और रोड शो जैसे आयोजनों के माध्यम से मप्र सरकार ने यह साबित कर दिया है कि वह न केवल स्थानीय उद्योगों को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि वैश्विक निवेश को भी आकर्षित करना चाहती है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य तेजी से औद्योगिक प्रगति की ओर बढ़ रहा है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, आधारभूत संरचना मजबूत होगी और प्रदेश की आर्थिक स्थिति और अधिक सुदृढ़ होगी।
विकास की नई उड़ान
औद्योगिक क्रांति के इस नए दौर में, मप्र सिर्फ निवेशकों के लिए एक संभावनाओं से भरा प्रदेश नहीं, बल्कि एक ऐसा हब बन गया है जहां उद्योग, व्यापार और नवाचार एक साथ विकसित हो रहे हैं। आने वाले वर्षों में इन प्रयासों का प्रभाव और अधिक स्पष्ट होगा, जिससे प्रदेश न केवल आत्मनिर्भर भारत अभियान में योगदान देगा, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम करेगा। राजधानी में आयोजित ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के आयोजन पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और उनके मंत्रिमण्डल सहयोगी तथा अफसरों के टीमवर्क की हौसला अफजाई करते हुए देश के गृहमंत्री अमित शाह ने इस अवसर पर कहा कि यह आयोजन देश को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा। प्रधानमंत्री ने विकास की नई उड़ान थीम पर जोर देते हुए कहा कि मप्र भारत के औद्योगिक और आर्थिक भविष्य का अहम स्तंभ बनेगा। नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज जब दुनिया भारत की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है, तब मप्र जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक निवेशकों को आकर्षित कर रही है। प्रधानमंत्री ने पांच प्रमुख बिंदुओं पर बल दिया, जो निवेशकों को मप्र में निवेश के लिए आकर्षित कर रही हैं।। उन्होंने कहा कि यहां पिछले 10 वर्षों में 5 लाख किलोमीटर से अधिक सडक़ें बनीं। 100 प्रतिशत रेलवे विद्युतीकरण का कार्य पूरा हुआ। राज्य में नए लॉजिस्टिक्स हब और औद्योगिक क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं। रीवा और ओंकारेश्वर सोलर प्रोजेक्ट्स से मप्र भारत की ग्रीन एनर्जी कैपिटल बन रहा है। मप्र में 31,000 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता है, जिसमें 30 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा शामिल है। मप्र को देश का फूड प्रोसेसिंग हब बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि मप्र अपने समृद्ध टैक्सटाइल और परिधान उद्योग के कारण एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में उभर रहा है। प्रदेश की कृषि समृद्धि, पारंपरिक बुनकर समुदायों की उत्कृष्ट कला, आधुनिक औद्योगिक आधार और निवेशक-अनुकूल नीतियां राज्य में टैक्सटाइल सेक्टर को सशक्त बना रही हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट भोपाल में टैक्सटाइल उद्योग में निवेश को बड़े पैमाने पर बढ़ावा मिला। प्रदेश में एमएसएमई क्षेत्र के लिए 21 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव में अधिकांश टैक्सटाइल उद्योग को प्राप्त है। इससे युवाओं के लिये 1.3 लाख से अधिक रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। उद्योग और निवेश संवर्धन विभाग के अंतर्गत 8,616 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित हुआ है। वर्तमान में मप्र में 60 से अधिक बड़ी टैक्सटाइल मिलें संचालित हैं। साथ ही इंदौर के रेडीमेड गारमेंट और अपैरल क्लस्टर में 1,200 से अधिक इकाइयां उत्पादन कर रही हैं। मप्र के धार जिले में बन रहा पीएम मित्र पार्क देश का सबसे बड़ा टैक्सटाइल पार्क है। इसमें एक लाख से अधिक प्रत्यक्ष और दो लाख से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित होंगे। पीएम-मित्र पार्क प्रदेश को टैक्सटाइल उद्योग में नये सिरे से स्थापित करेगा। मप्र में भारत के 43 प्रतिशत जैविक कपास का उत्पादन होता है। विश्व में प्रदेश के कपास उत्पादन का योगदान 24 प्रतिशत है। प्रदेश में कपास का उत्पादन 31 हजार 700 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष है। इसलिए इसे कॉटन कैपिटल कहा गया है। मलबरी सिल्क को मिलाकर 200 मीट्रिक टन सिल्क का उत्पादन होता है।
देश का फूड बास्केट बनेगा मप्र
मप्र की समृद्ध कृषि परंपरा और सतत विकास की नीति अब वैश्विक निवेशकों का ध्यान आकर्षित कर रही है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट भोपाल में निवेशकों ने कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्रस्तुत किए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इसे प्रदेश की हरित और श्वेत क्रांति के लिए मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि जीआईएस भोपाल में प्राप्त निवेश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत को वैश्विक फूड बास्केट बनाने के संकल्प को साकार करने में मप्र अहम भूमिका निभाएगा। गौरतलब है कि मप्र पहले ही देश का सबसे बड़ा जैविक खेती वाला राज्य बन चुका है। देश की कुल जैविक खेती में 40 प्रतिशत योगदान देने वाले राज्य ने अब इस क्षेत्र का विस्तार कर 17 लाख हेक्टेयर से 20 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। सरकार किसानों को नि:शुल्क सोलर पंप उपलब्ध करा रही है ताकि वे पर्यावरण अनुकूल तरीकों से उत्पादन कर सकें। राज्य में उद्यानिकी क्षेत्र में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बीते वर्षों में बागवानी फसलों का रकबा 27 लाख हेक्टेयर से बढक़र 32 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। इससे राज्य के फल-सब्जी उत्पादकों को भी सीधा लाभ मिलेगा। प्रदेश दूध उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो चुका है। वर्तमान में देश के कुल दुग्ध उत्पादन में 9 प्रतिशत योगदान देने वाला मप्र अब इसे 20 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि सांची ब्रांड ने राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी मजबूत पहचान बना ली है। प्रदेश में वर्तमान में प्रतिदिन 591 लाख किलो दूध का उत्पादन हो रहा है। इससे प्रदेश देश में तीसरा सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक राज्य बन गया है।
जीआईएस-भोपाल में सीड-टु-शेल्फ थीम पर केंद्रित एक विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसमें निवेशकों ने प्रदेश की अपार संभावनाओं को पहचाना। राज्य में 8 फूड पार्क, 2 मेगा फूड पार्क, 5 एग्रो-प्रोसेसिंग क्लस्टरऔर एक लॉजिस्टिक्स पार्क स्थापित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्र-संस्करण योजना के तहत 930 करोड़ रुपये की सहायता राशि स्वीकृत की गई है। यहां 70 से अधिक बड़ी औद्योगिक इकाइयां और 3,800 से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम इकाइयां पहले ही सक्रिय हैं। इनके जरिए कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश में सिंचित रकबा तेजी से बढ़ा है। वर्ष 2003 में केवल 3 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित थी, जो अब 50 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है। सरकार ने वर्ष 2028-29 तक इसे 1 करोड़ हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। नर्मदा, चंबल, ताप्ती, बेतवा, सोन, क्षिप्रा, कालीसिंध और तवा जैसी सदानीरा नदियों पर बनी सिंचाई परियोजनाओं से यह लक्ष्य संभव हो सकेगा। जीआईएस-भोपाल में खाद्य प्र-संस्करण क्षेत्र में आये 4,000 करोड़ रुपये के निवेश से प्रदेश में 8,000 से अधिक रोजगार के अवसर सृजित होंगे। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के बढऩे से किसान सीधे अपने उत्पाद का बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकेंगे, जिससे राज्य की आर्थिक मजबूती को और बढ़ावा मिलेगा। जीआईएस-भोपाल में हरित और श्वेत क्रांति को लेकर मिले निवेश प्रस्तावों ने मप्र को देश का फूड बास्केट बनाने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाने का अवसर दिया है। कृषि, जैविक खेती, खाद्य प्रसंस्करण और दुग्ध उत्पादन में हुए ये निवेश प्रदेश के विकास की नई इबारत लिखने को तैयार हैं।
युवाओं और उद्योगों के बीच की दूरी होगी कम
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-भोपाल रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव और रोड-शो के परिणामस्वरूप, मप्र निवेशकों के लिए एक आकर्षक केंद्र बना। साथ ही कुशल मैन पॉवर उपलब्ध कराने वाला आदर्श स्थान पर बन गया है। प्रदेश सरकार ने इंडस्ट्री और स्किल डेवलपमेंट को आपस में जोड़ते हुए इंडस्ट्री-रेडी वर्क फोर्स तैयार करने की दिशा में कई रणनीतिक साझेदारियां की हैं। इससे लाखों युवाओं को प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार के अवसर सृजित होंगे। जीआईएस-भोपाल में कौशल विभाग ने कई देशी-विदेशी एजेंसियों के साथ एमओयू किये। ये एजेंसियां आधुनिक तकनीक को ध्यान में रखते हुए एडवांस ट्रेड्स एवं विधाओं का कौशल प्रशिक्षण देंगी। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और निवेशकों को कुशल वर्क फोर्स मिलेगा। जीआईएस में युवाओं के कौशल विकास एवं रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिये संत शिरोमणि रविदास ग्लोबल स्किल पार्क एवं तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा 8 एमओयू साइन किये गये। इंडो-जर्मन ग्रीन स्किल्स (जीआईजेड) और कंपनी श्नाइडर इलेक्ट्रिक के सहयोग से ग्रीन एनर्जी क्षेत्र में सिमुलेशन-बेस्ड ट्रेनिंग शुरू की जा रही है। इससे इलेक्ट्रिशियन और सोलर तकनीशियन जैसे ट्रेड्स में कुशल युवाओं की मांग पूरी होगी। इसी प्रकार, जीआईजेड और सिमेंस इंडिया की साझेदारी आईटी प्रशिक्षुओं को इंडस्ट्री-रेडी ग्रीन स्किल्स प्रदान करेगी। इससे प्रदेश में सतत् और समावेशी व्यावसायिक कार्यक्रमों को मजबूती मिलेगी। साइन्टेक टेक्नोलॉजीज और अपनाटाइम टेक प्रा. लि. के साथ मिलकर ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग और अपस्किलिंग की पहल की जा रही है। इससे इंडस्ट्री की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रतिभा को विकसित किया जा सकेगा। यह कंपनी अपने डिजिटल भर्ती प्लेटफॉर्म से प्रदेश के युवाओं को संभावित नियोक्ताओं से जोड़ेगी, इससे रोजगार प्राप्त करने की प्रक्रिया सरल और व्यापक होगी।
ग्वालियर के सरकारी डिविजनल आईटीआई में इलेक्ट्रिशियन ट्रेड के प्रशिक्षुओं को मार्तंडक सोलर एनर्जी प्रा. लि. द्वारा प्रशिक्षित एवं प्रायोजित किया जाएगा। इससे तकनीकी शिक्षा और उद्योग की मांग के बीच संतुलन स्थापित होगा। उन्नति फाउंडेशन स्वयम पोर्टल के माध्यम से रोजगार उन्मुख ऑनलाइन पाठ्यक्रम, साइकोमेट्रिक विश्लेषण और कैरियर गाइडेंस प्रदान कर रही है, जिससे युवाओं की रोजगार क्षमता बढ़ेगी। प्रदेश के युवाओं को वैश्विक अवसरों से जोडऩे के लिए वन वल्र्ड एलायंस जापान के सहयोग से जापानी भाषा और आवश्यक कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे वे जापान में भी रोजगार के लिए तैयार हो सकेंगे। मप्र में ग्रीन स्किल्स और इंडस्ट्री-रेडी वर्क फोर्स को बढ़ावा देने के लिए बहुपक्षीय सहयोग जीआईएस-भोपाल के प्रभावी परिणामों के रूप में, मप्र में कौशल विकास और रोजगार अवसरों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग स्थापित किए गए हैं। इंडस्ट्री-फोकस्ड प्रशिक्षण कार्यक्रमों और व्यावसायिक शिक्षा को सशक्त बनाने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण साझेदारियों को मूर्त रूप दिया गया है। इंडो-जर्मन ग्रीन स्किल्स (जीआईजेड) और कंपनी श्नाइडर इलेक्ट्रिक ने सिमुलेशन-बेस्ड वोकेशनल ट्रेनिंग फॉर ग्रीन एनर्जी जॉब्स (ग्रीन स्किल्स) परियोजना के तहत प्रदेश में इलेक्ट्रिशियन और सोलर तकनीशियन ट्रेड के व्यावसायिक प्रशिक्षण की गुणवत्ता को उन्नत करने के लिए एसएसआर ग्लोबल स्किल पार्क और कौशल विकास निदेशालय के साथ समझौता किया है। जीआईजेड और सिमेंस इंडिया के सहयोग से, मप्र में आईटी प्रशिक्षुओं को इंडस्ट्री-प्रासंगिक ग्रीन स्किल्स से लैस करने, जेंडर समावेशन को बढ़ावा देने और वर्क-रेडीनेस को सशक्त करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। यह सहयोग प्रदेश में सतत और समावेशी व्यावसायिक कार्यक्रमों को मजबूत करेगा।
ग्लोबल हुआ प्रदेश का स्टार्ट-अप
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि जीआईएस-भोपाल में देश के औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजऩ पर काम करते हुए मप्र भी तेजी के साथ एक मजबूत स्टार्ट-अप हब के रूप में उभर रहा है। प्रदेश सरकार नवाचार, उद्यमिता और रोजगार सृजन को प्राथमिकता देते हुए युवा उद्यमियों की आकांक्षाओं के अनुकूल स्टार्ट-अप कल्चर को विकसित करने की दिशा में प्रभावी रणनीति अपना रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारा प्रयास मप्र को स्टार्ट-अप और नवाचार का केंद्र बनाना है, जहां युवा उद्यमियों के आइडियाज को सफल व्यवसायों में बदलने के लिए अनुकूल माहौल और पूरा सहयोग मिले। जीआईएस-भोपाल में आयोजित ‘फ्यूचर-फ्रंटियर: स्टार्ट-अप पिचिंग’ सेशन नें प्रदेश के स्टार्ट-अप्स इकोसिस्टम को पंख दे कर ग्लोबल बना दिया है। आधुनिक तकनीक के इस युग में देश के स्टार्ट-अप जगत में मप्र बहुत तेजी से अपनी उपस्थिति दर्ज चुका है। जीआईएस-भोपाल में 20 से अधिक यूनिकॉर्न के संस्थापकों की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है। स्टार्ट-अप पर फोकस्ड सेशन ‘फ्यूचर-फ्रंटियर : स्टार्ट-अप पिचिंग’ में शामिल होने के लिए कुल 180 स्टार्ट-अप्स ने पंजीकरण कराया था। इनमें से 25 हाईली पोटेंशियल स्टार्ट-अप्स ने प्रस्तुतियां दीं। प्रस्तुतियों के विश्लेषण के बाद उन्हें जरूरी मार्गदर्शन और निवेश के अवसर भी मिले। इस सेशन में कुल 47 स्टार्ट-अप शामिल हुए थे। इनमें से 19 स्टार्ट-अप्स को एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट प्राप्त हुए। आईआईसीई ने 4 स्टार्ट-अप्स में रुचि दिखाई, एसजीएसआईटीएस ने 3 स्टार्ट-अप्स में, सिल्वर नीडल वेंचर्स ने 3 स्टार्ट-अप्स में, आईटीआई ग्रोथ ने 3 स्टार्ट-अप्स में, ईज़ीसीड ने 7 स्टार्ट-अप्स में, सीफंड ने 3 स्टार्ट-अप्स में, वेंचर कैटालिस्ट्स ने 10 स्टार्ट-अप्स में, वीएएसपीएल इनिशिएटिव्स ने 4 स्टार्ट-अप्स में, एआईस-आरएनटीयू ने 5 स्टार्ट-अप्स में तथा इक्वैनिमिटी इन्वेस्टमेंट्स ने 5 स्टार्ट-अप्स में निवेश की अभिरुचि प्रदर्शित की।
मप्र में स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिये महिलाओं, अनुसूचित जाति, जनजाति के उद्यमियों के स्टार्ट-अप्स को पहले निवेश पर 18 फीसदी, अधिकतम 18 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता मिल रही है। अन्य स्टार्ट-अप्स को पहले निवेश पर 15 प्रतिशत सहायता, अधिकतम 15 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है। इसके साथ इन्क्यूबेटर विस्तार के लिए 5 लाख रुपये का एक मुश्त अनुदान, स्टार्ट-अप्स के ऑफिस किराए में 50 फीसदी राशि की वापसी (तीन वर्षों तक प्रतिमाह 5,000 रुपये) की भी व्यवस्था की गई है। नीति में पेटेंट कराने पर 5 लाख रुपये तक की सहायता और पेटेंट फाइल करने की प्रक्रिया में आवश्यक सहायता का भी प्रावधान किया गया है। मप्र में इस समय 4,900 से अधिक स्टार्ट-अप संचालित हो रहे हैं। इनमें से करीब 44 प्रतिशत स्टार्ट-अप्स महिलाओं द्वारा संचालित हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारा लक्ष्य स्टार्ट-अप इंडिया के तहत पंजीकृत स्टार्ट-अप्स की संख्या को 100 प्रतिशत तक बढ़ाना और कृषि एवं खाद्य क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स को 200 प्रतिशत तक बढ़ावा देना है। इसके लिए प्रदेश में 72 इनक्यूबेटर कार्यरत हैं और उत्पाद-आधारित स्टार्ट-अप्स को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य सरकार की स्टार्ट-अप नीति और क्रियान्वयन योजना के अंतर्गत स्टार्ट-अप्स को वित्तीय मदद, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में सहायता और नीतिगत मदद मुहैया कराई जा रही है। नई स्टार्ट-अप नीति के तहत वित्तीय अनुदान के पात्र स्टार्ट-अप्स को कुल निवेश का 18 फीसदी (अधिकतम 18 लाख रुपये) का अनुदान दिया जा रहा है। नई नीति में वित्तीय प्रोत्साहन, अधोसंरचना सहायता और क्षमता निर्माण कार्यक्रम शामिल हैं।