वर्किंग प्लान का चैप्टर नहीं लिखना पड़ सकता है महंगा

वर्किंग प्लान
  • वेतन रोकने की सिफारिश

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मंत्रालय में पदस्थ अपर सचिव अशोक कुमार को रायसेन वर्किंग प्लान का चैप्टर नहीं लिखना महंगा पड़ सकता है। फिलहाल तो अपर सचिव कुमार के वेतन रोकने की सिफारिश की गई है। जबकि एक आईएफएस अधिकारी द्वारा वर्किंग प्लान नहीं लिखने पर उनको डीएफओ से आगे कोई प्रमोशन नहीं दिया गया था। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक क्षेत्रीय वर्किंग प्लान भोपाल कोमिलिका मोहन्ता ने वर्किंग प्लान ऑफिसर सागर अशोक कुमार का वेतन रोकने की सिफारिश की है। इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि कुमार को अगस्त 22 तक रायसेन वर्किंग प्लान चैप्टर लिखकर किताब जमा करनी थी, लेकिन वह अब तक जमा नहीं की गई है। यानी वर्किंग प्लान नहीं लिखने की वजह से उनका वेतन रोकने के साथ अन्य सुविधाओं से भी वंचित करने की सिफारिश की है। उल्लेखनीय है कि अपर सचिव वन अशोक कुमार की पदस्थापना मंत्रालय में की गई है। वर्किंग प्लान लिखने वाले अधिकारियों की सूची में अपना नाम दर्ज कराने की मंशा से कुमार ने अपर सचिव की पदस्थापना के साथ ही रायसेन वर्किंग प्लान लिखने की जिम्मेदारी भी ले ली। हालांकि तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक वर्किंग प्लान राजेश कुमार ने फरवरी 22 में ही नोटशीट लिखकर उन्हें वर्किंग प्लान अफसर और अपर सचिव दोनों जिम्मेदारी नहीं निभा पाने के लिए आगाह किया था। उनसे यह भी कहा गया था कि राज्य शासन की जिम्मेदारियां निभाते हुए वर्किंग प्लान लिखने की जिम्मेदारी नहीं निभा सकते हैं।
सीसीएफ सागर ने भी की है शिकायत
रायसेन वर्किंग प्लान बनाने के लिए उनकी पदस्थापना डब्ल्यूपीओ ( कार्य योजना ऑफिस) सागर में कर दी गई थी। डब्ल्यूपीओ की हैसियत से कुमार ने वाहन और अन्य सुविधाएं हासिल की किंतु पदस्थापना के बाद से लगातार कार्यालय से नदारद बने रहे। इसकी  शिकायत सीसीएफ सागर ने की है। सीसीएफ सागर ने वनबल प्रमुख आरके गुप्ता को लिखा है कि  वर्किंग प्लान ऑफिसर कुमार के सागर मुख्यालय में लगातार गैरहाजिर रहने की वजह से कर्मचारियों से संबंधित मामले लंबे समय से लंबित है।

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