मोहन होंगे और सशक्त, शिव-वीडी का बढ़ेगा कद

  • अब बदलेगा मप्र का राजनीतिक परिदृश्य

4 जून को जैसे ही लोकसभा के चुनाव परिणाम आएंगे, मप्र के राजनीतिक परिदृश्य में भी बदलाव की कवायद शुरू हो जाएगी। लोकसभा चुनाव में सक्रियता और प्रदर्शन को देखते हुए यह तो तय है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और सशक्त होंगे। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा का कद भी बढ़ेगा।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। भोपाल (डीएनएन)। विधानसभा में मिली बंपर जीत के बाद मप्र भाजपा लोकसभा चुनाव में भी प्रदेश की सभी 29 सीटें जीत कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन 400 पार को पूरा करने के लिए पूरा दमखम लगा दिया है। इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने सबसे अधिक मेहनत किया है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार की हैट्रिक बनने के बाद मप्र के पार्टी नेताओं की बल्ले-बल्ले होने जा रही है। हालांकि ये वो नेता हैं जिनका डंका तो पूरे देश में पहले से ही बोल रहा है, लेकिन मोदी की ताजपोशी के साथ इनका कद और अधिक कद्दावर हो जाएगा। चार जून को आने वाले परिणामों के साथ देश की सरकार और मप्र के दिग्गजों का भविष्य तय हो जाएगा। भाजपा सूत्रों का कहना है कि करीब 2 महीने तक चले लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान विधायकों की सक्रियता की रिपोर्ट भी तैयारी की गई है। भाजपा द्वारा नियुक्त प्रदेश लोकसभा चुनाव प्रदेश प्रभारी डॉ. महेन्द्र सिंह एवं सह-प्रभारी सतीश उपाध्याय मप्र में चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिल्ली रवाना हो गए है। जहां वे पार्टी आला कमान को विधायकों की रिपोर्ट देंगे। चौथे चरण के मतदान के बाद डॉ. सिंह एवं उपाध्याय अब दिल्ली में आलाकमान को विधायकों की रिपोर्ट देंगे। माना जा रहा है कि डॉ. सिंह एवं उपाध्याय ने चुनाव के दौरान प्रदेश के जिन क्षेत्रों का दौरा किया वहां भाजपा विधायकों द्वारा चुनाव के संबंध में किए गए कार्य के साथ ही पार्टी प्रत्याशी के लिए जनता के बीच जाने से लेकर सभा एवं संवाद के कितने काम किए इस संबंध में रिपोर्ट पेश करेंगे। इसके अलावा विधानसभा चुनाव में क्षेत्र में भाजपा को प्राप्त मत प्रतिशत और लोकसभा चुनाव में क्षेत्र में डाले गए मत प्रतिशत को लेकर भी रिपोर्ट दी जाएंगी। इस रिपोर्ट के आधार पर पार्टी आलाकमान भविष्य में विधायकों की जवाबदारी को तय करेगा।
मप्र में चार चरणों में 29 लोकसभा सीटों पर हुए चुनाव के प्रचार में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 197 सभाएं, 56 से अधिक रोड शो, 185 से अधिक विधानसभाओं में दस्तक और 13 जिलों में रात्रि विश्राम कर सबसे आगे रहे। लेकिन प्रदेश सरकार के दो उप मुख्यमंत्रियों समेत 30 मंत्रियों में कैलाश विजयवर्गीय सबसे आगे रहे। कैलाश विजयवर्गीय ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में कमल खिलाने के लिए सबसे अधिक मेहनत किया है। वे लगातार संसदीय क्षेत्र में सक्रिय रहे। वहीं मालवा-निमाड़ के साथ ही प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी जमकर चुनाव प्रचार किया। गौरतलब है कि इस बार भाजपा ने प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों को जीतने का लक्ष्य बनाया है। इसके लिए भाजपा ने पूरा दमखम भी लगाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से लेकर दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों, नेताओं और मप्र के मंत्रियों ने रात दिन एक किया है। चुनाव प्रचार में प्रदेश में सबसे अधिक सभा और रोड शो करने में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पहले नंबर पर रहे हैं। इसके बाद पूर्व सीएम शिवराज सिंह का नाम आता है, लेकिन कैबिनेट मंत्रियों में कैलाश विजयवर्गीय ने दोनों डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल को पीछे छोड़ दिया है। वैसे विजयवर्गीय को छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का प्रभारी बनाया था। इस कारण वहां उन्होंने ज्यादा समय दिया। लोकसभा चुनाव में डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने 62, राजेंद्र शुक्ल ने 61, नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने 64 जबकि पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल ने 60 जनसभाएं की और कार्यकर्ता बैठक तथा सम्मेलनों को संबोधित किया। इसके अलावा अन्य मंत्रियों और सीनियर विधायकों ने चुनाव प्रचार में भाग लिया, लेकिन दोनों डिप्टी सीएम से ज्यादा सभाओं में पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा नजर आए। वे कांग्रेस नेताओं को भाजपा में लाने के साथ ही चुनाव प्रचार में जुटे रहे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने 72 जनसभा, 18 रोड शो, 16 रथ सभाएं और 65 सम्मेलन, बैठक और संवाद किया है। वहीं पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी ताबड़तोड़ प्रचार किया। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विदिशा सहित 21 लोकसभा क्षेत्रों को मिलाकर 66 जनसभाएं कीं। 16 रोड शो सहित कुल 3 लोकसभा क्षेत्रों के नामांकन कार्यक्रम में शामिल हुए। 5 स्थानों पर रात्रि विश्राम किया।

सबका मन मोहा मोहन ने
अगर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की बात करें तो मप्र में रिकॉर्ड सभाएं, रैली करने के बाद अब वे अन्य राज्यों में स्टार प्रचारक की भूमिका अदा कर रहे हैं। उन्होंने जहां अपने 5 माह के कार्यकाल में अपनी प्रशासनिक क्षमता का लोहा मनवा दिया है, वहीं लोकसभा चुनाव में कड़ी मेहनत करके सभी का मन मोह लिया है। प्रदेश में लोकसभा की सभी 29 सीटों के लिए मतदान पूर्ण हो चुका है। यहां हर चरण के मतदान के बाद भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं का अद्भुत आत्मविश्वास देखकर यह अनुमान लगाना गलत नहीं होगा कि मोदी की गारंटी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की कुशल चुनावी रणनीति और नेतृत्व कौशल ने राज्य में भाजपा की शानदार जीत की इबारत लिख दी है। राज्य में पार्टी के चुनाव अभियान की बागडोर थामे मुख्यमंत्री मोहन यादव पूरे चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह सहज दिखाई दिए वह भाजपा की शानदार जीत के पूर्वाभास की गवाही दे रहा था। मुख्यमंत्री यादव प्रदेश के जिस इलाके में गये वहां के लोगों ने उनके सामने दिल खोलकर भाजपा के लिए अपने समर्थन की अभिव्यक्ति करते हुए भरोसा दिलाया कि पिछले लोकसभा चुनावों की इस चुनाव में भी भाजपा को प्रचंड बहुमत से विजयी बनाने का फैसला तो वे पहले ही कर चुके हैं। मुख्यमंत्री ने चुनाव अभियान के दौरान प्रदेश भर में 139 चुनाव सभाओं को संबोधित किया और 49 रोड शो किए। 25 लोकसभा चुनाव क्षेत्रों में वे भाजपा प्रत्याशियों द्वारा नामांकन दाखिल करते वक्त मौजूद रहे। हर जगह मुख्यमंत्री यादव के रोड शो और चुनावी रैलियों में उमड़ी भीड़ उनकी अपार लोकप्रियता की गवाही दे रही थी। मोहन यादव की अपार लोकप्रियता का जादू अब मप्र की सीमाओं के बाहर भी सर चढक़र बोल रहा है। मुख्यमंत्री बनने के बाद वे दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्यों के प्रवास पर भी जा चुके हैं। मोहन यादव अपने मजबूत तर्कों और तथ्यों पर आधारित संबोधन से मतदाताओं को सहमत करने में सफल रहे। मुख्यमंत्री ने लोगों से जोर देकर कहा कि वे अपने प्रजातांत्रिक अधिकार का प्रयोग अवश्य करें और अपना बहुमूल्य मत उस दल के प्रत्याशी को दें जिसके पास देश को विकास के मार्ग पर तेजी से आगे ले जाने की इच्छा शक्ति और जज्बा हो। प्रधानमंत्री मोदी के अंदर यह इच्छा मौजूद है इसलिए जनता उन्हें तीसरी बार भी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहती है। मुख्यमंत्री यादव ने चुनावी रैलियों में उन्नत राज्यों की कतार में मप्र का अग्रणी स्थान सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रारंभ महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी दी वहीं दूसरी ओर विरोधी दलों पर भी तीखे प्रहार किए। मुख्यमंत्री यादव ने अपनी चुनावी रैलियों में कांग्रेस को इस बात के लिए आड़े हाथों लिया किस उसने अयोध्या में नवनिर्मित भव्य मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव का हिस्सा न बनने का फैसला किया जबकि भगवान राम के चरणों में तो करोड़ों हिंदुओं की आस्था है। वे जन जन के आराध्य हैं। कांग्रेस ने जिस तरह अयोध्या में नवनिर्मित भव्य मंदिर में आयोजित प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव से दूरी बनाई उससे क्षुब्ध होकर तो कांग्रेस के ही कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ दी। इसीलिए जनता का भी कांग्रेस से मोहभंग हो चुका है। मुख्यमंत्री यादव ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शराब घोटाले में गिरफ्तारी के बावजूद उनके पद न छोडऩे के फैसले को ग़लत बताते हुए कहा कि उन्हें नैतिकता के आधार पर तत्काल ही अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए था। केजरीवाल को यह समझना चाहिए कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने दोषमुक्त नहीं किया है, बल्कि केवल अंतरिम जमानत दी है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने जिन कठोर शर्तों पर जमानत दी है उनका उन्हें पूरी तरह पालन करना चाहिए।

मंत्री-विधायकों के प्रदर्शन पर नजर
मप्र की 29 लोकसभा सीटों के लिए हुए मतदान में जिन मंत्रियों और विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों में कम वोट मिलेंगे, उन पर पार्टी संगठन कार्रवाई कर सकता है। पार्टी का स्पष्ट मत है मात्र छह महीने पहले चुने गए विधायक और मंत्री लक्ष्य के अनुरूप मतदान में वृद्धि भी नहीं करवा पाए और वोटों में कमी आई तो इसकी वजह उनकी लोकप्रियता या संवाद में कमी ही है। पार्टी नेताओं का मानना है कि प्रत्याशी चयन में कई जगह संगठन को छोड़ विधायकों की पसंद का भी ध्यान रखा गया है, ऐसे में उन्हें जिताने की जिम्मेदारी भी उनकी ही है। हार-जीत के अंतर में उनकी भूमिका नजर आनी चाहिए। इस तरह लोकसभा चुनाव के परिणाम विधायकों के लिए भी अग्निपरीक्षा साबित होंगे। मंत्रियों का पद छिने जाने की आशंका है तो विधायकों को कड़ी चेतावनी मिल सकती है। इस लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीटों पर 66.87 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया है।
पांच माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में हजारों मतों के अंतर से जीतने वाले विधायक और मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्र में हुए मतदान की तुलना हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव से की जाए तो इसमें 22 प्रतिशत की कमी आई है। मतदान में इस कमी को देखते हुए पार्टी नेताओं को आशंका है कि अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के लोकसभा प्रत्याशियों को मिलने वाले वोटों में भी कमी आएगी। इसके लिए मौजूदा विधायक या मंत्री सीधे तौर पर दोषी तो नहीं लेकिन कहीं न कहीं उनकी गिरती लोकप्रियता के कारण भी भाजपा के वोटबैंक में कमी आ सकती है। पार्टी नेताओं ने मतदान का विश्लेषण कराया है इसमें सौ से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में मतदान गिरा है। इसी से अनुमान लगाया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव की तुलना में वोटों में भी कमी आएगी। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को 58 प्रतिशत वोट मिले थे। सबसे बड़ी गिरावट मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी के निर्वाचन क्षेत्र जबेरा में हुई। यहां विधानसभा चुनाव में 80.36 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया था, जो लोकसभा चुनाव में घटकर 58.39 प्रतिशत रहा गया। यानी 21.97 प्रतिशत की कमी आई। इस दृष्टि से सबसे बेहतर प्रदर्शन वन मंत्री नागर सिंह चौहान की विधानसभा सीट आलीराजपुर में रहा। यहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मतदान में अंतर केवल 1.4 प्रतिशत रहा। गौरतलब है कि भाजपा ने मंत्रियों और विधायकों को अपने-अपने क्षेत्रों में मतदान बढ़ाने की जिम्मेदारी दी थी। मतदान केंद्र स्तर पर पन्ना और अद्र्ध पन्ना प्रभारियों को उतारा गया। घर-घर संपर्क का दौर चला और मतदान के दिन एक-एक मतदाता की चिंता की गई। इसके बाद भी मंत्री अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में मतदान को संभाल नहीं पाए। भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि केंद्र एवं प्रदेश में संगठन और सरकार के नेतृत्व द्वारा लगातार कार्यकर्ता के नाते जनप्रतिनिधियों का अलग-अलग स्तर पर आकलन होता रहता है। इसी आकलन के आधार पर स्थान और सम्मान सुनिश्चित भी होता है। अग्रवाल का मानना है कि मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव जी का मंत्रिमंडल के बारे में विशेषाधिकार है।

टीम मोदी में शामिल होंगे शिवराज-वीडी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र में सरकार के हैट्रिक बनाने पर मप्र के नेताओं को भी अहम जिम्मेदारी मिलेगी। मप्र में चार चरणों के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। देश में सात चरणों में चुनाव हो रहे है। उसके बाद चार जून को रिजल्ट आएगा। इन चुनाव में भाजपा की सरकार बनती है तो प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का भी केंद्र में अहम जिम्मेदारी मिलना तय माना जा रहा है। शिवराज को केंद्र में बड़े मंत्रालय की कमान मिल सकती है। वहीं, वीडी को केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी मिलना तय माना जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को केंद्र में भाजपा की सरकार बनने पर बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। प्रदेश के चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बड़े नेता है। उन्होंने हमेशा शीर्ष नेतृत्व के निर्देशों का पालन किया है। पूर्व सीएम के राज्य से लेकर केंद्र के नेताओं से अच्छे संबंध है। उनकी लाड़ली लक्ष्मी और लाड़ली बहना जैसी योजनाओं से प्रदेश में भाजपा ने महिलाओं के बीच में अच्छी पकड़ बनाई है। अब केंद्र में उनको बड़ी भूमिका देकर इनाम दिया जा सकता है। चर्चा है कि शिवराज को कृषि मंत्री बनाया जा सकता है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को प्रदेश की कमान मिलने के बाद से पार्टी लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही है। विधानसभा चुनाव में करीब 18 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की। इसका श्रेय भाजपा के मजबूत संगठन को जाता है। वीडी शर्मा के नेतृत्व में भाजपा ने उप चुनाव से लेकर नगरीय निकाय चुनाव में भी उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया। वीडी की तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक रूप से कर चुके हैं। वह अमित शाह के भी विश्वनीय है। शर्मा का दो साल का कार्यकाल पहले ही पूरा हो चुका है। ऐसे में तय माना जा रहा है कि केंद्र में उनको कोई गुना-शिवपुरी से प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी अगली सरकार बनने पर कद बढऩा तय माना जा रहा है। सिंधिया भाजपा के साथ-साथ अब आरएसएस के भी करीब पहुंच रहे है। वह कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने के बाद से ही मोदी-शाह के करीबी रहे है। वहीं, इसके अलावा प्रदेश से चुनाव जीतने वाले दो से तीन सांसदों को भी केंद्र में कद बढ़ सकता है। मप्र भाजपा के लिए जीत का शुभंकर बने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर आलाकमान तक काफी खुश है। ऐसे में उन्हें केंद्र सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिलने की संभावना जताई जा रही है। खजुराहो से वीडी शर्मा की बड़े अंतर से जीत तय मानी जा रही है। विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली भारी जीत का ईनाम उन्हें मिलना तय है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद मंच से उनकी तारीफ कर चुके है। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, इसे लेकर अभी से अटकलें शुरू हो गई है। वैसे भी वीडी शर्मा का कार्यकाल पूरा हो हो चुका है। शर्मा के अलावा प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद को भी बदले जाने की चर्चाएं हैं। नरेन्द्र मोदी के पिछले कार्यकाल में प्रदेश से नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, वीरेन्द्र खटीक, ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्रीय मंत्री थे, इनमे तोमर और पटेल अब प्रदेश की राजनीति में आ चुके है। ऐसे में सभावना जताई जा रही है कि वीडी शर्मा को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।

सत्ता-संगठन में बदलाव!
मप्र में जुलाई में विधानसभा का मानसून सत्र आयोजित होगा। इस सत्र से पहले मप्र में सत्ता और संगठन में बदलाव होगा। भाजपा सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव और अब तक के कार्यकाल के आधार पर मंत्रियों, विधायकों और पदाधिकारियों की परफॉर्मेंस का आकलन शुरू हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि डॉ. मोहन यादव की पांच महीने पुरानी सरकार में बड़े बदलाव हो सकते हैं। मौजूदा मंत्रिमंडल में कुछ वरिष्ठ विधायकों को भी जगह दी जा सकती है। वहीं जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान बेहतर प्रदर्शन किया है उन्हें भी जगह दी जाएगी। साथ ही खराब प्रदर्शन वाले मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। सत्ता के साथ ही संगठन में भी बड़ा बदलाव होगा। दिसंबर 2023 में वजूद में आई प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार में इस समय मुख्यमंत्री और दो उप मुख्यमंत्रियों के अलावा 28 मंत्री मौजूद हैं। इनमें 18 कैबिनेट मंत्री, छह स्वतंत्र प्रभार वाले और चार राज्यमंत्री का ओहदा रखने वाले मंत्री शामिल हैं। प्रदेश मंत्रिमंडल के आकार के लिहाज से फिलहाल इसमें कुछ और मंत्रियों को शामिल किए जाने की गुंजाइश है। इसके मुताबिक मंत्रिमंडल विस्तार को आकार दिए जाने की चर्चाएं चल पड़ी हैं। सूत्रों का कहना है विस्तार कवायद में पहली तरजीह उन विधायकों को दी जाएगी, जो कांग्रेस से पलायन कर भाजपा की शरण में आए हैं। इनमें रामनिवास रावत और कमलेश शाह का नाम प्राथमिकता से गिनाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि संभवत: इन विधायकों की भाजपा आमद की शर्तों में एक बिंदु शामिल रहा होगा। शिवराज सरकार के दौरान हर बार अपनी बारी आने से चूकते रहे इंदौर से विधायक रमेश मेंदोला इस विस्तार में उपकृत किए जा सकते हैं।
गौरतलब है कि अमित शाह ने लोकसभा चुनाव के दौरान मंत्रियों को हिदायत दी थी कि वे अपने अपने क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए काम करें। उन्होंने साफ कहा था कि जिन मंत्रियों के क्षेत्र में वोटिंग कम रहेगी, उनके बारे में संगठन फैसला लेगा। शाह की बात पर अगर अमल हुआ तो आधा दर्जन मंत्रियों की कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। इसके अलावा केंद्रीय नेतृत्व ने निजी एजेंसी से मंत्रियों की लोकसभा चुनाव में सक्रियता और पिछले छह महीनों के काम की परफार्मेन्स रिपोर्ट भी तैयार करवाई है। जिन मंत्रियों का काम ठीक नहीं है या जो विवादों में रहे हैं। संगठन की सलाह पर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय नेतृत्व इस बात पर भी विचार कर रहा है कि कुछ पुराने चेहरों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए। ये पार्टी के सीनियर विधायक हैं। इनमें सबसे पहला नाम नौ बार के विधायक और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव का है। भार्गव भाजपा की हर सरकार में मंत्री रहे हैं पर इस बार उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। इसके अलावा जिन नेताओं के नाम पर विचार हो रहा है, उनमें भूपेन्द्र सिंह, प्रदीप लारिया भी शामिल हैं। इसके अलावा कांग्रेस छोडकऱ भाजपा में आए सीनियर विधायक रामनिवास रावत को भी मंत्रिमंडल में लेने की चर्चाएं हैं। माना जा रहा है कि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करने के बाद उपचुनाव लड़ाया जाएगा।

मंत्रियों की सीटों पर कम वोटिंग
प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटों पर मतदान के अंतिम आंकड़े आ गए हैं। वर्ष 2019 की तुलना में इस बार 4.25 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। वहीं, 30 मंत्रियों की सीटों पर विधानसभा चुनाव की तुलना में वोटिंग 22 प्रतिशत तक कम हुई है। इसमें 13 मंत्रियों की सीट पर वोटिंग का अंतर 10 प्रतिशत से अधिक है। मंत्रियों की सीटों पर सबसे ज्यादा अंतर दमोह के जबेरा सीट से विधायक और मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी के यहां रहा। यहां पर विधानसभा चुनाव में मतदान 80.63प्रतिशत हुआ था, लेकिन लोकसभा चुनाव में यह सिर्फ 58.39प्रतिशत रहा। यानी यहां पर वोटिंग में 22 प्रतिशत का अंतर रहा। वहीं, सबसे कम अंतर वन मंत्री नागर सिंह चौहान की सीट आलीराजपुर में रहा। यहां पर सिर्फ 1.4प्रतिशत कम मतदान हुआ है। 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 66.87 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2019 में मतदान प्रतिशत 71.12प्रतिशत रहा था। प्रदेश में पहले और दूसरे चरण में मतदान प्रतिशत घटने के बाद चुनाव आयोग के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपने कार्यकर्ताओं को सयि किया था। भाजपा ने अपने बूथ के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन मंत्रियों के क्षेत्र में ही कम मतदान से भाजपा के बूथ मैनेजमेंट पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के विधानसभा क्षेत्र उज्जैन दक्षिण सीट पर लोकसभा चुनाव में 67.31 प्रतिशत मतदान हुआ। जबकि विधानसभा चुनाव में 70.59 प्रतिशत मतदान हुआ था। यानी लोकसभा चुनाव में 3.28 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। इसी प्रकार उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल की रीवा सीट पर लोकसभा चुनाव में 54.84 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव-64.34 प्रतिशत हुआ। उधर, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा की मल्हारगढ़ सीट पर लोकसभा चुनाव में 78.01 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 86.33 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की इंदौर-1 सीट पर लोकसभा चुनाव में 60.93 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 72.28 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री प्रह्लाद पटेल की नरसिंहपुर सीट पर लोकसभा चुनाव में 67.01 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 83.11 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री विजय शाह की हरसूद सीट पर लोकसभा चुनाव में 68.13 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 79.58 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री तुलसी सिलावट की सांवेर सीट पर लोकसभा चुनाव में 67.10 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 80.24 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री राकेश सिंह की जबलपुर पश्चिम सीट पर लोकसभा चुनाव में 59.20 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 71.63 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री राव उदय प्रताप सिंह की गाडरवारा सीट पर लोकसभा चुनाव में 67.60 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 83.30 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की सुरखी सीट पर लोकसभा चुनाव में 67.04 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 76.05 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की ग्वालियर सीट पर लोकसभा चुनाव में 58.74 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 65.29 प्रतिशत मतदान हुआ।
उधर, मंत्री विश्वास सारंग की नरेला सीट पर लोकसभा चुनाव में 60.80 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 65.48 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री एंदल सिंह कंसाना की सुमावली सीट पर लोकसभा चुनाव में 54.04 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 72.22 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री करण सिंह वर्मा की इछावर सीट पर लोकसभा चुनाव में 80.27 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 86.74 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री इंदर सिंह परमार की शुजालपुर सीट पर लोकसभा चुनाव में 75.73 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 84.70 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री चैतन्य कश्यप की रतलाम सिटी सीट पर लोकसभा चुनाव में 71.34 प्रतिशत,विधानसभा चुनाव में 73.49 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री लखन पटेल की पथरिया सीट पर लोकसभा चुनाव में 57.48 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 78.30 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी की जबेरा सीट पर लोकसभा चुनाव में 58.39 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 80.63 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री संपत्तियां उइके की मंडला सीट पर लोकसभा चुनाव में 72.95 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 82.34 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री राकेश शुक्ला की मेहगांव सीट पर लोकसभा चुनाव में 53.91 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 64.97 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री निर्मला भूरिया की पेटलावद सीट पर लोकसभा चुनाव में 75.02 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 79.39 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री दिलीप अहिरवार की चंदला सीट पर लोकसभा चुनाव में 50.15 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 67.80 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री कृष्णा गौर की गोविंदपुरा सीट पर लोकसभा चुनाव में 61.39 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 63.03 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री नारायण कुशवाह की ग्वालियर दक्षिण सीट पर लोकसभा चुनाव में 62.27 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 63.83 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री राधा सिंह की चितरंगी सीट पर लोकसभा चुनाव में 56.59 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 71.84 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री प्रतिमा बागरी की रैगांव सीट पर लोकसभा चुनाव में 61.8 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 70.82 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल की उदयपुरा सीट पर लोकसभा चुनाव में 60.64 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 81.69 प्रतिशत मतदान हुआ। इसी प्रकार मंत्री नारायण सिंह पंवार की ब्यावरा सीट पर लोकसभा चुनाव में 75.92 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 84.33 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री नागर सिंह चौहान की अलीराजपुर सीट पर लोकसभा चुनाव में 68.86 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 70.26 प्रतिशत मतदान हुआ। मंत्री गौतम टेटवाल की सारंगपुर सीट पर लोकसभा चुनाव में 78.69 प्रतिशत, विधानसभा चुनाव में 84.34 प्रतिशत मतदान हुआ।

Related Articles