- एससी-एसटी के फरियादियों मिली 136.81 करोड़ की राहत राशि
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए निरंतर कार्य कर रही है। इस कारण प्रदेश में इस वर्ग का विकास तेजी से हो रहा है। यही नहीं प्रदेश में इस वर्ग को कानूनी सुरक्षा भी प्रदान की गई है। प्रदेश में अनूसूचित जाति और अनूसूचित जनजाति के वर्ग के लोगों के खिलाफ आपराधिक कृत्य करने वालों पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है। इसी का परिणाम है कि प्रदेश में तीन महीने में एट्रोसिटी एक्ट में 2679 केस दर्ज किए गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में अनूसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम में राज्य सरकार ने एक साल यानी 1 अप्रेल 2021 से 31 मार्च 2022 तक 136.81 करोड़ रुपए की राहत राशि फरियादियों को दी है। इनमें से अनुसूचित जाति के प्रकरणों में 106.83 करोड़ रुपए तो अनुसूचित जनजाति के प्रकरणों में ये राशि 29.98 करोड़ रुपए है।
वर्ष 2022 के तीन महीने में प्रदेशभर में एट्रोसिटी एक्ट में 2679 केस दर्ज हुए हैं। इनमें अनुसूचित जाति के खिलाफ 1955 तो अनुसूचित जनजाति के खिलाफ हुए अपराध 724 हैं। अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के खिलाफ अपराधों में सरकार अपराध की प्रकृति और गंभीरता के हिसाब से राहत राशि देती है। अधिकतर केस में एफआईआर दर्ज होने पर 25 फीसदी राशि तो चालान होने पर 50 फीसदी और फैसला आने पर शेष 25 फीसदी राशि फरियादी को देते हैं।
राहत राशि लेकर कोर्ट में मुकर गए फरियादी
इस साल शुरुआती तीन महीनों जनवरी, फरवरी और मार्च में कोर्ट में चल रहे प्रकरणों में से 1239 का निराकरण किया गया, जिसमें से 35 मामलों में फरियादी पक्षविरोधी (मुकरे) हुए और इनमें खात्मा लगा। खास बात है ये वे फरियादी हैं, जिन्हें राहत राशि के रूप में 75 फीसदी तक पैसा दिया जा चुका है। एट्रोसिटी एक्ट में समझौते की व्यवस्था नहीं है। सरकार ने 2022 में इस एक्ट के तहत राहत राशि के लिए 137 करोड़ का प्रावधान किया है। इस साल 1 जनवरी से 31 मार्च तक अलग-अलग न्यायालयों में विचाराधीन 1239 प्रकरणों में फैसला आया। सबसे अधिक जबलपुर में 16 फरियादी मुकर गए। अनूपपुर खरगोन में तीन-तीन, खंडवा, रतलाम, छिंदवाड़ा, बालाघाट में दो दो तो पन्ना, शिवपुरी, शाजापुर, झाबुआ और रीवा में एक-एक फरियादी पक्षविरोधी हुए हैं। इस दरमियान कोर्ट से 909 आरोपियों को बरी किया गया, 275 दोषी करार दिए गए। वर्ष 2021 में कोर्ट में खात्मा हुए प्रकरणों की संख्या 229 रही।