गरीबों के हक पर डाल रहे थे 24 हजार उपभोक्ता डाका

  • एक पखवाड़े में करना होंगे अतिरिक्त बिजली कनेक्शन सरेंडर

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में इन दिनों बिजली महकमा पूरी तरह से सक्रिय बना हुआ है। वह हर हाल में बिलों की बकाया राशि वसूलने से लेकर हर वो काम कर  रहा है, जिससे होने वाले घाटे को कम किया जा सके। इसी क्रम में अब बिजली कंपनी  उन उपभोक्ताओं को भी निशाने पर लिए हुए है, जो आलीशान कोठियों में रहने के बाद भी सरकार की रियायती बिजली योजना का फायदा उठाकर गरीबों के हक पर डाका डालने का काम कर रहे हैं।
बिजली बिल में छूट का फायदा उठाने के लिए इनके द्वारा एक ही मकान में एक से अधिक बिजली के मीटर लगवा रखे हैं, जिससे तय सीमा से कम बिजली का उपयोग होने से उन्हें महज सौ रुप तक का बिल ही भरना पड़ता है। बिजली कंपनी द्वारा चलाए गए सर्वे अभियान में अब तक ऐसे 32 हजार उपभोक्ता मिल चुके हैं। अब इन्हें नोटिस देकर 15 दिन के अंदर एक से अधिक अपने अतिरिक्त बिजली कनेक्शन सरेंडर करने का कहा है। इनमें आठ हजार कनेक्शन ऐसे हैं, जो 54 साल पुराने हैं। अब ये उपभोक्ता कंपनी से सवाल कर रहे हैं, 1970 में कनेक्शन वैध तरीके से कंपनी ने दिए थे तो अब 2021 के नियम के अनुसार कनेक्शन अवैध कैसे हो गए? कंपनी फिलहाल इनके इस सवाल का कोई जवाब देने की स्थिति में नहीं है।  
यह है वजह
बिजली कंपनी उपभोक्ताओं को 150 यूनिट बिजली खपत पर छूट दे रही है। कंपनी को आशंका है कि लोग एक परिसर में एक से अधिक कनेक्शन लेकर अलग मीटर से बिजली खपत को बांट रहे है। इसलिए ही एक परिसर में एक कनेक्शन सुनिश्चित कराया जा रहा है। बीते दिनों इस मामले में एसीएस मनु श्रीवास्तव ने अरेरा में कुछ परिसरों का निरीक्षण भी किया था। जिस परिसर में अलग गैस कनेक्शन व समग्र आइडी अलग है, उन्हें छूट दी जा रही है, बाकी के कनेक्शन काटे जा रहे है।
यह स्थिति
शहर के अरेरा कॉलोनी में 54 साल से लेकर 30 साल पुराने कनेक्शन है। यहां लोगों ने सात हजार से आठ हजार वर्गफीट में चार अलग-अलग यूनिट्स की अनुमति ली थी और निर्माण किया था। हर यूनिट के लिए अलग कनेक्शन भी लिया। अब इन्हें अवैध करार दे दिया गया है। ईदगाह हिल्स पर पांच हजार वर्गफीट तक के भूखंड पर तीन से चार यूनिट्स की अनुमति ली। इनके लिए अलग- अलग कनेक्शन लिए। अब ये अवैध करार देकर पंद्रह दिन में हटाने का कहा है।
इस तरह के सवाल उठा रहे उपभोक्ता
पुराने कनेक्शन धारी सवाल उठाते हुए कह रहे हैं कि जब भवन को अलग-अलग नामों से टीएंडसीपी व नगर निगम की अनुमति मिली है और उसी आधार पर बिजली कंपनी ने 1970 व इसके बाद कनेक्शन दिए हैं तो फिर अब इन्हें अवैध क्यों करार दिया जा रहा। उपभोक्ताओं को जो नोटिस दिए, उसकी भाषा पर भी आपत्ति है। इसमें इस तरह दर्ज है कि उपभोक्ता ने चोरी की है, जबकि ये कंपनी ने खुद जांच पड़ताल कर सालों पहले कनेक्शन दिए थे। जब एक प्लॉट पर टीएंडसीपी, नगर निगम ने अलग-अलग अनुमति दी है और निर्माण भी उसी तरह हुआ तो फिर अतिरिक्त मीटर हटाने का नोटिस किस आधार पर थमा रहे हैं।

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