- स्थानीय निधि संपरीक्षा की ऑडिट पर मेहनत हो रही है जाया
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। नगरीय प्रशासन तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के जिम्मेदार आला अफसरों द्वारा स्थानीय निधि संपरीक्षा से ऑडिट तो करवा लेते है, लेकिन ऑडिट आपत्तियों में सामने आने वाली करोड़ों की गड़बडिय़ों और गबन के मामलों में कार्रवाई करने से गुरेज करते हैं। अफसरों की अनदेखी की वजह से 22 लाख 84 हजार से अधिक आपत्तियों का निराकरण नहीं कराया जा सका है। दरअसल, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के ऑडिट का काम स्थानीय निधि संपरीक्षा से कराया जाता है। इन ऑडिट आपत्तियों का प्रतिवेदन समय-सीमा में प्रस्तुत न किए जाने की वजह से सरकार द्वारा जारी की गई बजट राशि में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कार्यवाही नहीं हो पा रही है। तकरीबन पांच दशक से ज्यादा समय से ऑडिट किए जाने की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे स्थानीय निधि संपरीक्षा के ऑडिटर द्वारा समय-समय पर नगरीय विकास विभाग में ऑडिट किया गया। लेकिन दशकों से नगरीय विकास विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अलावा अन्य विभागों के द्वारा इन ऑडिट आपत्तियों की अनदेखी की वजह से 2023- 24 में नगरीय निकाय के नगर निगम आवासीय संपरीक्षा में आपत्तियों की संख्या 33,253, नगर पालिका परिषद आवासीय संपरीक्षा में 42,066, पश्चातवर्ती संपरीक्षा 43,339, नगर परिषद संपरीक्षा की 1,01,542 इसके अलावा अन्य आवासीय संपरीक्षा 31,655, पश्चातवर्ती संपरीक्षा की 1,04,116, संवर्ती संपरीक्षा की 15,826 आपत्तियां लंबित हैं।
आपत्तियों के निराकरण में लेतलाली
इसके अलावा कृषि उपज मंडी समितियों की 12,006 लंबित हैं, जबकि पुरानी संपरीक्षा 47,977, जिला पंचायत 9,247, जनपद पंचायत 84,723, ग्राम पंचायतों की ऑफ लाइन 11,58,804 एवं ऑनलाइन की 1,63,607 आपत्तियों सहित कुल संख्या 18 लाख 48 हजार 161 थी। इनकी संख्या में इजाफा होकर अब 22 लाख 83 हजार 217 आपत्तियों का निराकरण 31 मार्च 2024 तक नहीं हो सका है। स्थानीय निधि संपरीक्षा द्वारा नगरीय विकास विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, विश्वविद्यालयों, विकास प्राधिकरण, मंडी समितियां और ग्राम पंचायतों के अलावा समय-समय पर अन्य संस्थाओं का ऑडिट किया जाता है। ऑडिट के समय आने वाली आपत्तियों का प्रतिवेदन निराकरण के लिए संबंधित विभाग को प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित क्रिया जाता रहा है।