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- सब्सिडी के लिए चक्कर काट रहे किसान
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। कृषि विभाग में किसानों के लिए अनुदान की योजनाएं कई संचालित हो रही हैं। इसका लाभ किसान उठाते हैं। लेकिन सब्सिडी के लिए महीनों दौड़ लगानी पड़ती है। इस बार तो एक साल हो गया, लेकिन किसानों को बीज खरीदी के बाद सब्सिडी लेने दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
प्रदेश के करीब दो लाख किसानों को करीब पांच करोड़ से अधिक अनुदान राशि सरकार ने एक साल बाद भी नहीं दी है। ऐसे में बीज खरीद चुके किसान अनुदान लेने दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, प्रदेश के कई जिलों में किसानों को शासन की पंजीकृत संस्था से मूंग और उड़द प्रमाणित बीज दिया गया था।
किसानों को उम्मीद थी कि अधिकतम दो माह में शासन की ओर से दी जाने वाली अनुदान राशि उनके खातों में जमा हो जाएगी, लेकिन एक साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी किसानों को अनुदान राशि नहीं मिली है। अनुदान राशि का पता करने के लिए किसान लगातार कृषि विभाग के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन यह राशि शासन की ओर से किसानों के खातों में सीधे जमा की जानी है, इसके चलते अधिकारी भी किसानों से कुछ भी कहने से बच रहे हैं। समाधान के तौर पर वह एक ही बात कर रहे हैं कि राशि जल्द खातों में जमा हो जाएगी।
खातों में नहीं पहुंच रही किसान की सब्सिडी
बता दें कि यह बीज अनुदान भारत सरकार की योजना के तहत किसानों को दिया जाता है। प्रदेश के हरदा, होशंगाबाद सहित आठ-दस जिलों में ग्रीष्मकालीन मूंग, उड़द की खेती की जाती है। कृषि विभाग ने मूंग और उड़द के बीज किसानों को समितियों के जरिए उपलब्ध कराया था। बीज खरीदते समय किसानों से पूरी राशि ली थी, जिसमें उन्हें अनुदान की राशि किसानों के बैंक खाते में वापस करने के लिए का वादा किया था। किसानों ने एक साल पहले बीज समितियों से खरीदा था, लेकिन उन्हें उनके खाते में आज तक अनुदान की राशि नहीं ट्रांसफर की गई है। ऐसा तब है, जबकि किसान कृषि विभाग के मुख्यालय से लेकर स्थानीय कार्यालयों के कई बार चक्कर लगा चुके हैं।
बदली व्यवस्था से रुका अनुदान
किसानों को बीज खरीदी में प्रति वर्ष अनुदान दिया जाता है। पहले ट्रेजरी से उनके खाते में अनुदान राशि दी जाती थी। इस वर्ष केन्द्र सरकार ने निर्देश दिए कि बीज अनुदान योजना के लिए जिले स्तर पर किसानों के बैंक खाते अलग से खोले जाएं और जिला स्तर पर अधिकारी खाते में अनुदान की राशि ट्रांसफर करें। अब जाकर कृषि विभाग ने जिला कृषि अधिकारियों के नाम से खाते खोलने के संबंध में वित्त विभाग से अनुमति मांगी है, ताकि किसानों के खाते में राशि ट्रांसफर कर दी जाए।