1.25 लाख एकड़ का लैंड बैंक तैयार

जीआईएस
  • जीआईएस में निवेश का बनेगा रिकॉर्ड

मप्र में औद्योगिक विकास के लिए अभी सात ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजित हुए हैं। आठवीं ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट राजधानी भोपाल में 24-25 फरवरी को होगी। इसमें निवेश का रिकॉर्ड बनेगा। रिकॉर्ड निवेश की संभावना को देखते हुए 1.25 लाख एकड़ का लैंड बैंक तैयार किया गया है।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
राजधानी भोपाल में आयोजित होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) में मप्र में उद्योगों के लिए नई पिच तैयार होगी। 24-25 फरवरी को आयोजित होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 21,000 भारतीय उद्योग प्रतिनिधि और 1000 विदेशी मेहमान शामिल होंगे। ये प्रदेश में निवेश की संभावनाएं तलाशेंगे। समिट में प्रदेश की आधारभूत सुविधाओं को देश-दुनिया के निवेशकों के सामने रखा जाएगा। प्रदेश में 20 नए इंडस्ट्रियल पार्क बनाने की योजना है। ये सडक़, बिजली और एसटीपी जैसी सुविधाओं से लैस होंगे। ये भोपाल, इंदौर, देवास, ग्वालियर, भिंड जिलों के आसपास बनेंगे। निजी निवेशकों को भी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए अनुदान मिलेगा। इससे वे खुद इंडस्ट्रियल पार्क बना सकेंगे। एमपी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के एमडी चंद्रमौलि शुक्ला ने बताया कि जीआईएस बेस्ड लैंड बैंक ऑनलाइन उपलब्ध है। आधुनिक जरूरतों को देखते हुए पीपीपी मोड पर 20 नए इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करेंगे। यहां निवेश पर सभी सुविधाएं मिलेंगी। समिट में निवेशकों को बताया जाएगा कि 1.25 लाख एकड़ का लैंड बैंक उपलब्ध है। प्रदेश की बिजली उत्पादन क्षमता 27,000 मेगावाट प्रतिदिन है। इसमें 6,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा शामिल है। दिसंबर में अधिकतम मांग 19,000 मेगावाट रही। प्रदेश में उद्योगों के लिए 1 हजार मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की व्यवस्था अलग से रखी गई है। राजधानी भोपाल में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट (जीआईएस)-2025 की तैयारी तेज होती जा रही है। भोपाल में 24-25 फरवरी को आयोजित होने वाली समिट में देश-विदेश की आईटी, आईटीईएस और ईएसडीएम सेक्टर की बड़ी कंपनियां शामिल होगी। इस पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मप्र इस सेक्टर में भी नई ऊंचाईयों को प्राप्त करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अब केवल एक सेक्टर नहीं, बल्कि हर उद्योग की आधारभूत आवश्यकता बन चुका है। स्वास्थ्य से लेकर कृषि, शिक्षा, उद्योग सहित हर क्षेत्र में आईटी की महत्वपूर्ण भूमिका है। मप्र इस बदलाव का केंद्र बन रहा है, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टार्ट-अप्स और अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी मिलकर नए अवसरों को जन्म दे रहे हैं। राज्य सरकार की आईटी और ईएसडीएम नीति, डेटा सेंटर पार्क, आईटी पाक्र्स और इनक्यूबेटर्स के विकास ने मप्र को तकनीकी निवेश के लिए आकर्षक स्थान बनाया है। इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर जैसे शहर आईटी कंपनियों के नए केंद्र बन रहे हैं। टीसीएस, इनफोसिस, यश टेक्नॉलोजीज, इंपीट्स जैसी कंपनियाँ यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कर चुकी हैं। मप्र सरकार ने जापान के उद्यमियों को प्रदेश में निवेश के लिए आमंत्रित किया है। फूड प्रोसेसिंग, आईटी, टूरिज्म, मेडिकल इक्विपमेंट, सोलर एनर्जी, फार्मा, टेक्सटाइल और ऑटोमोबाइल सहित 300 से ज्यादा सेक्टर्स में निवेश की संभावनाएं बताई गई हैं। खासतौर पर गारमेंट, लॉजिस्टिक्स, ई-कॉमर्स और मेडिकल डिवाइसेस के लिए विशेष नीतियां बनाई जा रही हैं। प्रदेश में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए सरकार फ्री जमीन दे रही है और पर्यटन क्षेत्र में निवेश करने वालों को 40 प्रतिशत तक की छूट दी जा रही है। इसके अलावा, सिमेन्स जैसी कंपनियों को मेडिकल डिवाइसेस निर्माण इकाइयां लगाने के लिए आमंत्रित किया गया है। जापान के व्यापार संगठन के अध्यक्ष सुमुगु काटाओका ने कहा कि भोपाल में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट जापानी कंपनियों के लिए बड़ा मौका है। इस मंच पर वो मप्र में निवेश के अवसरों को समझ सकेंगे और नई साझेदारियां बना सकेंगे।

प्रदेश बन रहा आईटी कंपनियों के लिए आदर्श स्थान
डिजिटल इंडिया मिशन के साथ कदम मिलाकर मप्र अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, बिग डेटा, ब्लॉक-चेन और साइबर सिक्योरिटी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। आज आईटी सेक्टर ही नहीं बल्कि मैन्युफैक्चरिंग, हेल्थकेयर, लॉजिस्टिक्स और एग्रीटेक सेक्टर में भी तकनीकी नवाचार हो रहे हैं। राज्य में 15 आईटी पार्क और 5 आईटी स्पेशल इकोनॉमिक जोन पहले से कार्यरत हैं और आने वाले वर्षों में इंदौर में क्रिस्टल आईटी पार्क-3 और 4, 50 एकड़ में डेटा सेंटर पार्क, जबलपुर में 1 लाख वर्गफुट का आईटी टॉवर और कई अन्य परियोजनाएँ डिजिटल विकास को नई गति देंगी। मप्र केवल आईटी निवेश के लिए नहीं, बल्कि वर्क-लाइफ बैलेंस, किफायती ऑपरेशनल लागत और सरकारी सहयोग के कारण भी स्टार्ट-अप्स और आईटी कंपनियों के लिए एक आदर्श स्थान बन रहा है।
मप्र अपने रणनीतिक स्थान, निवेश-अनुकूल नीतियों और अत्याधुनिक अवसंरचना के कारण तेजी से आईटी, आईटीईएस (इन्फोर्मेशन टेक्नॉलोजी इनेबल्ड सर्विसेज) और ईएसडीएम (इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिज़ाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग) के लिए एक प्रमुख हब बन रहा है। भोपाल में 24-25 फरवरी को होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस-2025) में इस क्षेत्र में निवेश की व्यापक संभावनाओं को प्रस्तुत किया जाएगा। मप्र की भौगोलिक स्थिति इसे पूरे देश के बाजारों तक सीधा और सुगम संपर्क प्रदान करती है। राज्य में 6 प्रमुख हवाई अड्डे और 6 इनलैंड कंटेनर डिपो मौजूद हैं, जिससे वैश्विक व्यापार को गति मिलती है। प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों और समर्पित फ्रेट कॉरिडोर से जुड़ा यह राज्य लॉजिस्टिक्स और परिवहन के लिए भी अनुकूल है। वर्तमान में 1 मिलियन वर्गफुट आईटी स्पेस उपलब्ध है, और 5 लाख वर्गफुट का नया आईटी अवसंरचना निर्माण कार्य जारी है। राज्य में डेटा सेंटर पार्क (50 एकड़) विकसित किया जा रहा है, जिससे एआई, क्लाउड कंप्यूटिंग और बड़े डेटा केंद्रों की स्थापना को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, इंदौर में क्रिस्टल आईटी पार्क 3 और 4 विकसित किए जा रहे हैं, जिससे नई आईटी कंपनियों के लिए बेहतरीन अवसर खुलेंगे। एलटीआई माइंड ट्री इंदौर में ?800 करोड़ रूपये का निवेश कर रहा है और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड रक्षा अनुसंधान एवं विकास के लिए उभरती तकनीकों का एक केंद्र स्थापित कर रहा है।

औद्योगिक सहयोग फोरम की स्थापना होगी
जापान की चार दिवसीय यात्रा के बाद स्वदेश लौटे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि टोक्यो और ओसाका में आयोजित बैठकों-रोड-शो में जापानी कंपनियों ने मप्र में गहरी रुचि दिखाई है। राज्य में जापान-मप्र औद्योगिक सहयोग फोरम की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। प्रदेश में जल्द जापानी इंडस्ट्रियल पार्क, कौशल विकास केंद्र और स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग हब की स्थापना हो सकती है। सीएम मोहन यादव ने कहा कि इसके अलावा सरकार ने राज्य में जापान प्लस सेल स्थापित करने का फैसला किया है। इसके तहत एक डेडिकेटेड टीम जापान के निवेशकों के साथ संपर्क और फॉलोअप करेगी। इतना ही नहीं, प्रदेश के विकास के लिए अब यहां जापानी मॉडल अपनाया जाएगा। इस तरह मोहन सरकार के मिशन ज्ञान (गरीब-युवा-अन्नदाता-नारी शक्ति) को पूरा करने में जापान बड़ी भूमिका अदा कर सकता है। जापान के निवेश करने से प्रदेश में औद्योगिक विकास, रोजगार, स्व-रोजगार सहित कई सेक्टर में जबरदस्त बदलाव आ जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस यात्रा के दौरान जापान के उद्योगपतियों-निवेशकों को ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का न्योता भी दिया।
सीएम डॉ. मोहन यादव ने बताया कि टोक्यो की गवर्नर युरिको कोइके के साथ बैठक में शहरी विकास के नए आयामों पर चर्चा हुई। टोक्यो मेट्रोपॉलिटन गवर्नमेंट की विशेषज्ञता का लाभ प्रदेश के शहरों को मिलेगा। भोपाल और इंदौर के लिए मेट्रो रेल प्रौद्योगिकी, स्मार्ट सिटी समाधान, जल प्रबंधन और कचरा प्रबंधन में विशेष सहयोग प्राप्त होगा। टोक्यो के विकास मॉडल को प्रदेश में अपनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि जापान के विदेश मंत्रालय में संसदीय उप-मंत्री हिसाशी मात्सुमोतो के साथ भी अहम बैठक हुई। इस बैठक में प्रदेश में जापानी निवेश को सुगम बनाने के लिए विशेष प्रयास करने पर सहमति बनी। व्यापार मिशन का आदान-प्रदान, कौशल विकास में जापानी विशेषज्ञों की भागीदारी, जापान-मप्र औद्योगिक सहयोग फोरम की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। सीएम ने बताया कि जापान के भूमि-बुनियादी ढांचा मंत्रालय के मंत्री यासुशी फुरुकावा के साथ बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। मप्र में हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर की संभावनाओं का अध्ययन किया जाएगा। स्मार्ट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम के विकास और लॉजिस्टिक्स में जापानी मॉडल को अपनाने पर सहमति बनी। ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर में विशेष सहयोग से प्रदेश में सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा। जापान एक्सटर्नल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष सुसुमु काताओका के साथ बैठक में व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए विशेष फ्रेमवर्क पर सहमति बनी। जेट्रो से प्रदेश में अपना कार्यालय स्थापित करने की अपील की गई है। जापान इंटरनेशनल कॉपरेशन एजेंसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शोहेई हारा के साथ बैठक में विकास परियोजनाओं पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। सरकार ने जेआईसीए के सामने भोपाल-इंदौर-उज्जैन शहरी परिवहन, जापानी औद्योगिक पार्क, जल संरक्षण, शहरी नवीनीकरण, कौशल विकास और कृषि तकनीक में नई परियोजनाओं का प्रस्ताव रखा। इनके अलावा सरकार की टोयोटा, ब्रिजस्टोन, सिस्मैक्स, पैनासोनिक एनर्जी, यूनिक्लो, एबारा कॉर्पोरेशन, नितोरी होल्डिंग्स, योकोगावा इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन, हेल्थ केयर कंवनी एएनडी, जापान बिजनेस फेडरेशन, टेक्नोक्राफ्ट लिमिटेड कंपनियों से भी वन-टू-वन बातचीत हुई। सीएम ने बताया कि मप्र में पहले से ही कई जापानी कंपनियां सफलतापूर्वक काम कर रही हैं। ब्रिजस्टोन ने पीथमपुर में विश्वस्तरीय टायर प्रोडक्शन प्लांट लगाया है। यह प्लांट रोजगार सृजन और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। पैनासोनिक जैसी दिग्गज कंपनी ने प्रदेश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। एनएसके, सानोह और कामात्सु जैसी जापानी कंपनियां भी प्रदेश में काम कर रही हैं। ये कंपनियां ऑटोमोटिव और मशीनरी क्षेत्र में अहम योगदान दे रही हैं। मप्र से जापान को होने वाला निर्यात निरंतर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जापान यात्रा के दौरान बैठकों से इन व्यापारिक संबंधों को और मजबूती मिलेगी। साथ ही नए निवेश और व्यापारिक अवसर भी खुलेंगे।

4 लाख करोड़ से अधिक के प्रस्ताव
सीएम ने बताया कि रीजनल इंडस्ट्री कॉनक्लेव और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में मप्र में 4 लाख करोड़ से अधिक के निवेश के प्रस्ताव मिले। राज्य सरकार ने 30 हजार करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव को भूमि आवंटित की है। उन्होंने बताया कि जीआईएस में जापान और अन्य देशों की दिग्गज कंपनियों की सक्रिय भागीदारी इस समिट की विशेषता होगी। जापान यात्रा के दौरान टोयोटा, ब्रिजस्टोन, योकोगावा, यूनिक्लो, और पैनासोनिक जैसी विश्वस्तरीय कंपनियों ने समिट में भाग लेने की पुष्टि की है। जीआईएस 2025 न केवल निवेश का मंच होगा, बल्कि यह भारत-जापान औद्योगिक सहयोग का एक नया अध्याय लिखेगा। इसमें मप्र केंद्रीय भूमिका निभाएगा। मप्र के लिए खुशखबरी सामने आई है. राज्य में जापान-मप्र औद्योगिक सहयोग फोरम की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है. ऐसे में अब सूबे के विकास के लिए जापान मॉडल अपनाया जाएगा. वहीं, मेट्रो स्मार्ट सिटी में भी जापान का सहयोग मिलेगा. इसके अलावा भोपाल और इंदौर के लिए मेट्रो रेल प्रौद्योगिकी स्मार्ट सिटी समाधान जल प्रबंधन और कचरा प्रबंधन में विशेष सहयोग प्राप्त होगा. दरअसल, जापान की कई बड़ी कंपनियों ने मप्र में निवेश करने में गहरी रुचि दिखाई है।
बता दें कि 1 फरवरी की शाम सीएम डॉ. मोहन यादव जापान से स्वदेश लौटे. उन्होंने नई दिल्ली में मीडिया से रूबरू होते हुए बताया कि जापानी कंपनियों ने मप्र में निवेश करने की गहरी रुचि दिखाई है और कई प्रमुख कंपनियां आगामी समिट में हिस्सा लेंगी. उन्होंने जापान के विभिन्न उद्योगपतियों, निवेशकों के साथ बिजनेस टू बिजनेस (बी-टू-बी) और जापान सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट (जी-टू-जी) मुलाकात की और प्रदेश में निवेश की संभावनाओं पर विस्तार से बात की.सीएम ने कहा कि जापान-मप्र औद्योगिक सहयोग फोरम की स्थापना के प्रस्ताव को स्वीकृति मिली, जिससे प्रदेश में जल्द ही जापानी इंडस्ट्रियल पार्क, कौशल विकास केंद्र और स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग हब स्थापित किए जाएंगे. इसके लिए जापान प्लस सेल की भी स्थापना की जाएगी, जो जापानी निवेशकों के साथ निरंतर संपर्क और फॉलोअप करेगी. मुख्यमंत्री ने जापान के उद्योगपतियों और निवेशकों को फरवरी में आयोजित होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में आमंत्रित किया, जिससे निवेश के नए अवसर खुलेंगे।

जीआई समिट से पहले सज रहा भोपाल
मप्र की राजधानी भोपाल में 24 और 25 फरवरी को ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का आयोज किया जाएगा। भोपाल में होने जा रही पहली इंवेस्टर्स समिट की तैयारी को लेकर प्रदेश सरकार पूरी क्षमता लगा रही है। समिट से पहले भोपाल को पूरी तरह सजाया जा रहा है। अगले 15 दिन के भीतर पूरा शहर अलग ही नजर आएगा। समिट में भारत के प्रमुख उद्योगपति अंबानी, अडाणी, महिंद्रा, टाटा सहित कई बड़े बिजनेस लीडर्स शामिल होंगे। साथ ही, जापान, स्पेन और अन्य देशों से विदेशी निवेशक भी आएंगे। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के लिए शहर को संवारने में नगर निगम और पीडब्ल्यूडी मिलकर 12 करोड़ से ज्यादा खर्च करेंगे। इस दौरान सबसे ज्यादा खर्च लाईटिंग और सडक़ों को सुधारने पर किया जा रहा है। शहर की सभी सरकारी और हैरिटेज इमारतों पर लाइटिंग की व्यवस्था की जा रही है। वहीं एयरपोर्ट से लेकर लालघाटी, वीआईपी रोड, पॉलीटेक्निक चौराहा, राजभवन और मंत्रालय के आसपास की सभी सडक़ों को सुधारने का काम तेजी से चल रहा है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए ऐसा मेन्यू तैयार किया जा रहा है, जिससे मप्र की सांस्कृतिक और खानपान विरासत की ब्रांडिंग भी हो। मेन्यू को प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों की खास डिशेस के आधार पर तैयार किया जा रहा है। इसमें मालवा, निमाड़, बुंदेलखंड और बघेलखंड की पारंपरिक और लोकप्रिय डिशेस शामिल होंगी। कुल 50 तरह के व्यंजन परोसे जाएंगे, जिनमें इंडियन, कॉन्टिनेंटल और चाइनीज जैसे इंटरनेशनल फूड भी रहेंगे। इस खास मेन्यू का उद्देश्य विदेशी और भारतीय मेहमानों को एमपी के स्वाद और व्यंजनों से रूबरू कराना है, ताकि राज्य की खानपान संस्कृति को वैश्विक मंच पर पहचान मिले।

शार्क टैंक की तर्ज पर निवेश
मप्र में काम कर रहे स्टार्टअप के लिए भोपाल में होने जा रहा ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट बड़ा मौका साबित हो सकता है। समिट से अलग-अलग सेक्टर में काम कर रहे स्टार्टअप को ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से बड़ा निवेश मिल सकेगा। इस माह 24 और 25 फरवरी को होने जा रही समिट में देश-विदेश के बड़े उद्योगपति शामिल होने जा रहे हैं। इन उद्योगपतियों के सामने चुनिंदा स्टार्टअप का ‘शार्क टैंक की तर्ज पर प्रजेंटेशन होगा और अच्छे स्टार्टअप को बड़ा निवेश मिल सकेगा। इसके लिए मप्र में काम शुरू करने वाले स्टार्टअप इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में देश के बड़े उद्योगपति अंबानी, अड़ानी सहित देश और विदेश के करीबन 5 हजार उद्योगपति और प्रतिनिधि शामिल होने जा रहे हैं। इसमें मप्र में बड़े निवेश के प्रस्ताव उद्योगपतियों की तरफ से रखे जाएंगे। वहीं, मप्र के स्टार्टअप को भी ग्लोबल अटेंशन मिल सकेगा। मप्र में काम कर रहे नए स्टार्टअप का उद्योगपतियों के सामने प्रजेंटेशन कराया जाएगा। मप्र स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड और आईआईटी इंदौर के सहयोग से इन्वेस्ट स्टार्टअप पिचिंग कंपटीशन कराया जा रहा है। इसमें चुने गए 10 स्टार्टअप को अपने प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन जीआईएस में आने वाले उद्योगपतियों के सामने देने का मौका मिलेगा। यह स्टार्टअप उद्योगपतियों से इंवेस्टमेंट का प्रस्ताव रखेंगे। यह ठीक टीवी शो शार्क टैंक की तरह होगा। अभी तक इसके लिए 87 स्टार्टअप ने अपने प्रस्ताव भेज दिए हैं।
दृष्टि फाउंडेशन के वैभव जैन बताते हैं कि मप्र के स्टार्टअप के लिए एक सुनहरे मौके की तरह है। इसमें उनके बिजनेस आईडिया को उड़ान के लिए पंख लग सकते हैं। आने वाले प्रस्तावों में से करीबन 20 प्रस्तावों को प्रजेंटेशन का मौका दिया जाएगा। इसमें से करीबन 10 स्टार्टअप को सिलेक्ट करके ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में प्रेजेंटेशन के लिए भेजा जाएगा। इसमें टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, हेल्थ टेक, इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग और फिनटेक के एरिया में काम करने वाले स्टार्टअप अपने आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए स्टार्टअप इंडिया में उनके स्टार्टअप का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए। साथ ही बिजनेस आइडिया इनोवेटिव होना चाहिए। वे बताते हैं कि प्रेजेंटेशन के दौरान एस्टपट्र्स के रूप में वेंचर कैपिटलिस्ट, एंजेल इन्वेस्टर्स और निवेशक मौजूद होंगे।

जापान सहयोगी भूमिका निभाएगा
भोपाल में 24 और 25 फरवरी को आयोजित ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट (जीआईएस)में निवेश का रिकॉर्ड बनेगा। मोहन सरकार को जीआइएस से लाखों करोड़ के निवेश की उम्मीद है। अधिकारियों का कहना है कि मप्र के पास हर क्षेत्र में निवेश की असीमित संभावनाएं हैं। यह निवेशक जानते हैं इसलिए अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। जीआईएस में यूके, जर्मनी और जापान ही नहीं, बल्कि अमरीका, जर्मनी और चीन जैसे 61 देशों के निवेशक व बड़े औद्योगिक घरानों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इसके लिए सरकार ने कई देशों के निवेशकों को निमंत्रण भेज दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खुद यूके, जर्मनी व जापान जाकर वहां के निवेशकों को न्योता दे चुके हैं। अब अन्य देशों के प्रमुखों को न्योता देने राज्य के आईएएस अधिकारियों का दल जाएगा। ज्यादातर को न्योता भेजा जा रहा है। भोपाल के राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में आयोजित होने वाली समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। इसकी तैयारी प्रदेश सरकार ने शुरू कर दी है। सरकार की ओर से जिन देशों के उद्योगपतियों को बुलावा भेजा जा रहा है उनमें कनाडा, जर्मनी, जापान, पोलैंड, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, आयरलैंड, यूके, इटली, स्लोवेनिया, कोरिया, हांगकांग, थाईलैंड, रोमानिया, श्रीलंका, टोगो, मलेशिया, मंगोलिया, मोरक्को, बुर्किना फासो, यांमार, जबिाब्वे, ताइवान, सिंगापुर, नेपाल, बुल्गारिया, अंगोला, युगांडा, मेक्सिको, उज्बेकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, चीन, एस्टोनिया, संयुक्त राज्य अमरीका, साइप्रस, अर्जेंटीना, नाइजीरिया, सऊदी अरब, बहरीन, चेक गणराज्य, कुवैत, ओमान, फिलीपींस, गुयाना और स्वीडन जैसे अन्य देश शामिल हैं। अफसरों का कहना है कि अन्य देशों के निवेशकों से बातचीत चल रही है। सहमति बनी तो संया 61 से ज्यादा हो सकती है।
जीआईएस मानव संग्रहालय परिसर में पीएम मोदी 24 फरवरी को शुभारंभ करेंगे। इसमें 21 हजार निवेशकों के शामिल होने का अनुमान है। ज्यादातर अलग-अलग राज्यों के होंगे तो 1500 से ज्यादा निवेशक 61 देशों के आएंगे। 25 फरवरी को पहली समिट एमएसएमई और स्टार्टअप को लेकर होगी। प्रदेश के एमएसएमई और स्टार्टअप परिदृश्य की ब्रांडिंग की जाएगी। माइनिंग की दूसरी समिट में प्रदेश में उपलब्ध क्रिटिकल मिनरल जैसे ग्रेफाइट, रॉक फॉस्फेट, ग्लूकोनाइट आदि की ब्रांडिंग होगी। एक्सप्लोरेशन और खनिज संबंधी उद्योगों की स्थापना पर फोकस रहेगा। तीसरी समिट नगरीय विकास की होगी। शहरों के विकास, मूलभूत सुविधाओं, बड़ी कचरा प्रबंधन परियोजनाओं, सीवेज ट्रीटमेंट परियोजनाओं आदि के लिए निवेश आमंत्रित किया जाएगा। यह सम्मेलन उद्योगपतियों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि समिट के व्यवस्थित आयोजन के लिए योजना बनाकर प्रतिभागियों की अपेक्षा एवं आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयास करें। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में पांच सेक्टर एमएसएमई, खनिज, आईटी, ऊर्जा और नगरीय विकास में सबसे ज्यादा निवेश प्रस्ताव आकर्षित करने के लिए अलग-अलग समिट कराई जाएंगी। इन क्षेत्रों से संबंधित विभाग तैयारी में जुटे हैं। इन समिट में कम से कम एक हजार उद्योगपतियों और निवेशकों को लाने का टारगेट दिया गया है। हालांकि इन समिट में बड़ी संया में लोगों के शामिल होने की संभावना है। 24 को दो विभागीय समिट होंगी। पहनी आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की तैयारी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और मप्र इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉर्परिशन द्वारा की जा रही है। टीसीएस, इंफोसिस, आईबीएम जैसी कंपनियों को भी न्योता दिया जा रहा है। डाटा सेंटर में निवेश के प्रयास भी किए जा रहे हैं। पहले दिन ही दूसरी समिट ऊर्जा एवं नवकरणीय ऊर्जा की होगी। इसमें खासतौर पर मोहासा बाबई में बन रहे ऊर्जा पार्क को प्रोजेक्ट कर उसमें बड़ी कंपनियों से निवेश आमंत्रित किया जाएगा। हाल ही में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर और एवीजीसी-एक्सआर पॉलिसियों को लॉन्च किया गया है। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। नगर निगम व लोक निर्माण विभाग शहर को संवार रहे हैं। इसी तरह मप्र टूरिज्म बोर्ड मेहमानों की खातिरदारी की व्यवस्था में लगा हुआ है।

भोपाल को मिलेगी नई पहचान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मप्र औद्योगिक विकास के नए दौर में प्रवेश कर रहा है और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025 इस बदलाव का सबसे बड़ा प्रमाण बनेगी। पहली बार राजधानी भोपाल में हो रहे इस आयोजन को लेकर यह न सिर्फ एक निवेश सम्मेलन है, अपितु भोपाल को औद्योगिक राजधानी के रूप में स्थापित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राजधानी के पास पहले से ही औद्योगिक विकास के लिए मजबूत आधार मौजूद है। जीआईएस-2025 से भोपाल का प्रमुख औद्योगिक केंद्र बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ेगा। भोपाल न केवल मप्र का प्रशासनिक केंद्र है, बल्कि भौगोलिक रूप से भी एक आदर्श औद्योगिक हब बनने की पूरी क्षमता रखता है। यह प्रदेश के केंद्र में स्थित है, जिससे लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्थान है। भोपाल के चारों ओर कई प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र पहले से विकसित हैं, जो इस समिट के माध्यम से नए निवेश को आकर्षित करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। मंडीदीप, बगरोदा, पीलुखेड़ी, मक्सी, गोविंदपुरा, अचारपुरा और फंदा औद्योगिक क्षेत्र न केवल छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यहां स्थापित इकाइयां प्रदेश की औद्योगिक शक्ति को मजबूती भी देती हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार औद्योगिक बुनियादी ढांचे के व्यापक विकास पर काम कर रही है और भोपाल में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं लागू की जा रही हैं। राजधानी के पास पहले से ही सुपर कॉरिडोर, आईटी पार्क और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर जैसी परियोजनाएं चल रही हैं, जो इसे निवेशकों के लिए एक पसंदीदा स्थान बना रही हैं। इसके अलावा, भोपाल में उत्कृष्ट शैक्षिक और अनुसंधान संस्थानों की उपस्थिति इसे कुशल मानव संसाधन का केंद्र भी बनाती हैं, जो औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक है। जीआईएस-2025 में इस बार एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में सेक्टर-विशेष सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें निवेशकों को उनके क्षेत्र के अनुसार सीधे संबंधित विभागों के साथ संवाद करने का अवसर मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह समिट पहली बार 20 से अधिक निवेश और उद्योग नीतियों को प्रस्तुत करने जा रही है, जो देश में अपनी तरह की अनूठी पहल होगी। सरकार ने निवेश प्रक्रिया को तेज़ और सुगम बनाने के लिए नीति सुधार, अनुकूल औद्योगिक वातावरण और व्यापार सुगमता पर विशेष ध्यान दिया है। भोपाल की औद्योगिक क्षमता को सशक्त करने के लिए सरकार बुनियादी सुविधाओं को भी लगातार विस्तार दे रही है। राजधानी से जुडऩे वाले राष्ट्रीय राजमार्ग, आधुनिक लॉजिस्टिक्स सेंटर, एयर कनेक्टिविटी और रेल नेटवर्क के विस्तार से यह औद्योगिक दृष्टि से और भी अधिक प्रभावी बन रहा है। हाल ही में रीवा हवाई अड्डे के शुरू होने से प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी को और मजबूती मिली है, जिससे उद्योगों को तेज़ी से अपने बाजारों तक पहुंचने में सुविधा होगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जीआईएस-2025 केवल बड़े निवेशकों के लिए ही नहीं, बल्कि स्थानीय उद्योगों, स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई के लिए भी नए अवसर लेकर आएगी। भोपाल के पास स्थित परंपरागत उद्योगों को वैश्विक बाजार से जोडऩे और उन्हें नई तकनीक व पूंजी से सशक्त करने की दिशा में भी यह समिट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जीआईएस-2025 के बाद भोपाल केवल मप्र का प्रशासनिक केंद्र ही नहीं, अपितु यह व्यवसाय, नवाचार और निवेश के प्रमुख गंतव्य के रूप में उभरेगा। साथ ही भोपाल को एक औद्योगिक राजधानी के रूप में स्थापित करने की दिशा में निर्णायक कदम होगा, जो प्रदेश के आर्थिक परिदृश्य को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्लोबल समिट का आयोजन सफल बनाने के लिए सभी आवश्यक प्रयास किए जा रहे हैं। हम सब का सौभाग्य है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट पहली बार भोपाल में हो रही है। उद्योग एवं रोजगार वर्ष 2025 नए दौर की नई कहानी लिखेगा। भोपाल एक सुंदर शहर और राजधानी भी है। समिट में आने वाले अतिथियों को यहां की बड़ी झील भी आकर्षित करेगी। मप्र सबसे बड़ा जनजातीय बहुल प्रदेश है। यहां जनजातीय समुदाय ने अपनी हजारों वर्ष पुरानी जीवन शैली और संस्कृति को सुरक्षित रखा है। भोपाल के राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में मप्र सहित अन्य राज्यों की विविध प्रकार की जनजातीय संस्कृति का चित्रण किया गया है। समिट के प्रतिभागी इस विविधता के दर्शन कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि समिट में चार प्रमुख विभागीय सम्मेलन, प्रवासी सत्र, सेक्टोरल सैशन और बायर-सेलर मीट के साथ ही ऑटो और टेक्सटाइल एक्सपो की नई प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया जाएगा। एक जिला एक उत्पाद की अनूठी प्रदर्शनी लगाई जाएगी। मप्र पवेलियन विशेष आकर्षण का केन्द्र होगा।

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