- रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव से बदला औद्योगिक परिदृश्य
रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव ने मप्र का औद्योगिक परिदृश्य बदल दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के इस नवाचार ने प्रदेश में औद्योगिक क्रांति के नए द्वार खोल दिए हैं। सरकार की सरल नीतियों का असर यह हो रहा है कि बड़ी संख्या में देशी और विदेशी निवेश मप्र में निवेश करने के लिए उमड़ पड़े हैं।
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। उद्योगों के लिए आवश्यक सडक़, बिजली, पानी, और अधोसंरचना सहित सुशासन के हर पैमाने में मप्र निवेशकों के लिए पहली पसंद बन रहा है। किसी समय बीमारू के नाम से बदनाम मप्र अब विकासशील राज्य की तरफ बढ़ गया है। यहां के उद्योग मित्र माहौल का ही परिणाम है कि बड़ी संख्या में उद्योगपति निवेश के लिए आकर्षित हो रहे हैं। औद्योगिक घरानों का भरोसा जीतने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों को लगातार सफलता मिल रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर प्रदेश के विभिन्न अंचलों में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के आयोजनों से प्रदेश में औद्योगिक क्रांति के नए द्वार खोल दिए है। उनके औद्योगिक प्रगति के नए मंत्र से आंचलिक उद्यमियों को नई ऊर्जा मिली है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने लघु और मध्यम श्रेणी (एमएसएमई) के उद्यमियों को प्रोत्साहित करने की महत्वपूर्ण और सामयिक पहल की है। इसी का परिणाम है कि मप्र में निवेश करने के लिए देश-विदेश से उद्योगपति आ रहे हैंं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने अब तक के शासनकाल में दिखा दिया है कि प्रदेश नवाचारों से आगे बढ़ेगा।
गौरतलब है कि मप्र में बेरोजगारी को जड़ से मिटाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेशभर में एक सामान विकास और औद्योगिक विस्तार की रणनीति बनाई है उससे मप्र अब औद्योगिक विकास के क्षेत्र में नई छलांग लगाने को तैयार है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में 24 और 25 फरवरी को भोपाल में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए उद्योग समूहों और निवेशकों को आमंत्रित करने के लिए पुणे में हुए इंटरैक्टिव सेशन में उद्योग जगत के प्रमुख प्रतिनिधियों और निवेशकों से मुलाकात की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि औद्योगिक गतिविधियों और निवेश के लिए मप्र संभावनाओं का प्रदेश है। प्रदेश में वर्ष-2025 को उद्योग एवं रोजगार वर्ष घोषित किया है। औद्योगिक विकास की गति को तेज कर प्रदेश को आर्थिक रूप से अधिक उन्नत और समृद्ध बनाने के उद्देश्य से निवेश-अनुकूल नीतियों, उत्कृष्ट बुनियादी ढांचे और कुशल मानव संसाधन की उपलब्धता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मप्र, अपने प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक स्थलों और विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे के साथ, निवेशकों के लिए एक आकर्षक केन्द्र के रूप में उभर रहा है। हमारी व्यापारिक राजधानी इंदौर ने स्वयं को स्वच्छता की राजधानी के रूप में भी स्थापित किया है। पीथमपुर और मंडीदीप प्रदेश ही नहीं देश के प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित हुए हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, खनन, फार्मा, पर्यटन, आईटी,सहित सभी क्षेत्रों में सुगम एवं आकर्षक नीतियां विकसित की गई हैं। राज्य के विभिन्न अंचलों में निवेश प्रोत्साहन के लिए देश के शहरों में जाकर उद्योग समूहों और निवेशकों के साथ इंटरैक्टिव सेशन आयोजित किये गए हैं। पुणे का सत्र भी इसी क्रम की अगली कड़ी है।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर विशेष ध्यान
मप्र में वर्तमान में तेजी से औद्योगिक विस्तार हो रहा है। यहां उद्योग जगत को श्रमिक समस्या सहित अन्य कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता। स्वयं के कार्य पर एकाग्रता के साथ ध्यान देना प्रदेशवासियों का विशिष्ट गुण है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का विचार सरकार और समाज में रचा बसा है। सूचना प्रौद्योगिकी संसाधनों से प्रबंधन के वर्तमान दौर में मप्र में उद्योगों का संचालन अधिक सरल और सुगम हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव विश्वास व्यक्त करते हुए कहते हैं कि प्रधानमंत्री श्री मोदी की उपस्थिति में होने जा रही ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से उद्योग समूहों और मप्र के संबंध अधिक प्रगाढ़ होंगे। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उद्योगपतियों का देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण योगदान है। यदि सेना का जवान सीमा पर देश की रक्षा करता है तो उद्योगपति अपने कौशल प्रबंधन के आधार पर देश को समर्थ-समृद्ध और वैभवशाली बनाने में अपना योगदान देता है। उद्योग समूह रोजगार उपलब्ध कराने का प्रभावी माध्यम हैं। मुख्यमंत्री कहते हैं कि हम सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे संतु निरामय: के भाव के अनुसार अन्य प्रदेशों और देशों से आने वाले उद्योगों का स्वागत और सबके कल्याण एवं प्रगति की कामना करते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह सत्र प्रदेश के औद्योगिक भविष्य को आकार देने और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सरलता, सुगमता के साथ व्यापार, व्यवसाय हमारी औद्योगिक नीति है। राज्य में उद्योगों के अनुकूल वातावरण है। हम उद्योगों को सहकार, सहयोग और सम्मान देते हैं। राज्य में औद्योगिक श्रमिकों की कोई परेशानी नहीं है। पर्यटन, आईटी सेक्टर और रेडीमेड गारमेंट्स आदि क्षेत्रों में उद्योगों को विशेष इंसेन्टिव दिए जाते हैं। रेडीमेड गारमेंट्स में 200 प्रतिशत तक मदद दी जाती है और 10 वर्ष तक 5 हजार रूपये प्रति मजदूर इंसेन्टिव भी दिया जाता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में प्रत्येक युवा को उसकी योग्यता और दक्षता के अनुरूप रोजगार मिलेगा। मप्र में पिछले कुछ समय में 6 रीजनल इंडस्ट्रीज कॉन्क्लेव आयोजित किये गए हैं, जिनमें 04 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश आया है, और इनसे 3 लाख लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। मप्र में आगामी 24 फरवरी को ग्लोबल इन्वेस्टर्स कॉन्क्लेव आयोजित की गई है। विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की संभावनाओं को तलाशते हुए, सभी विभाग अपनी नीतियां बना रहे हैं, जो शीघ्र ही तैयार हो जाएंगी। प्रदेश में नव उद्यमिता (स्टार्ट-अप) को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय स्टार्ट-अप दिवस की सभी को बधाई दी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारे लिए विकास का अर्थ केवल भौतिक अधोसंरचनाओं का विकास नहीं है, हम समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने गरीब, युवा, महिला और किसानों के कल्याण के लिए मिशन प्रारंभ किया है, जिस पर हम तेजी से कार्य कर रहे हैं।
ब्रिज-स्टोन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर हिरोशी योशिजाना ने भी अपने अनुभव और सुझाव साझा करते हुए कहा कि देश में मप्र की भौगोलिक स्थिति, प्रदेशवासियों का कौशल, कर्मठता और व्यवहार तथा शासन की सहयोगी कार्यप्रणाली प्रदेश को उद्योग अनुकूल बनाती है। पिनेकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड पीथमपुर के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सुधीर मेहता ने पुणे में इन्वेस्ट एमपी इंटरैक्टिव सेशनके अवसर पर मप्र में अपने व्यावसायिक अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि मप्र निवेश के लिए एक आदर्श स्थान है। मप्र एक ऐसा राज्य है, जहां दुनिया के किसी भी हिस्से से आने वाले निवेशकों के लिए हर सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने मप्र की विकास यात्रा को रेखांकित करते हुए कहा कि यह राज्य बीमारू राज्यों की श्रेणी से निकलकर एक विकसित राज्य के रूप में उभरा है। मप्र की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस एवं ईज ऑफ लिविंग नीतियां निवेशकों को आकर्षित करती हैं। मप्र में कानून-व्यवस्था बेहतरीन है। आप कभी भी, कहीं भी यात्रा कर सकते हैं। यहां निवेशकों के लिए विश्वसनीय माहौल और कुशल मानव संसाधन उपलब्ध हैं। राज्य में आपकी जरूरतें पूरी करने के लिए प्रशासन पूरी तरह तत्पर रहता है।
चौतरफा आर्थिक विकास
मुख्यमंत्री मोहन यादव प्रदेश के आर्थिक विकास को गति देने के उद्देश्य से लगातार बड़े और महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। वे फरवरी में भोपाल में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारी के तहत जिला स्तरीय औद्योगिक सम्मेलनों के आयोजन पर जोर दे रहे हैं। इन पहलों का लक्ष्य महिलाओं, युवाओं, किसानों और गरीबों को सशक्त बनाना है। सिवनी में आयोजित एक कार्यक्रम में स्वामित्व योजना के बारे में सीएम यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना किसी भेदभाव के संपत्ति के स्वामित्व का अधिकार प्रदान किया है। उनका कहना है कि यह केवल भूमि स्वामित्व तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सम्मान और स्वाभिमान के साथ आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’ मुख्यमंत्री की इन बातों से पता चलता है कि राज्य के हर नागरिक के सम्मान और स्वाभिमान को किस तरह से प्राथमिकता दी जा रही है। युवाओं और गरीबों को सशक्त बनाने की दिशा में लगातार प्रयासों में जुटी है एमपी सरकार राज्य सरकार महिलाओं,युवाओं और गरीबों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रतिबद्ध रही है। युवा मिशन हो या गरीबी उन्मूलन मिशन, ये योजनाएं युवाओं के लिए रोजगार के नए-नए अवसर तैयार कर रही हैं। इन्हीं के लिए राज्य सरकार ने विभिन्न श्रेणियों में 2.5 लाख पदों पर भर्ती की योजना बनाई है। गरीबी मिशन के तहत गरीब और कम आय वाले परिवारों को स्थायी आवास उपलब्ध करवाने का लक्ष्य है। कृषि और किसानों के कल्याण के लिए पूरी तरह से समर्पित है मोहन यादव सरकार मुख्यमंत्री किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए किसान कल्याण योजना के तहत सिंचाई सुविधाओं के विस्तार पर जोर दे रहे हैं। उनका कहना है,सूखे खेतों में पानी पहुंचाने से खेत सोना उगलेगा। माइक्रो-लिफ्ट सिंचाई योजनाओं के माध्यम से हर खेत तक पानी पहुंचाने की दिशा में काम करने के लिए राज्य सरकार कमर कस चुकी है। मोहन सरकार के प्रयास रंग ला रहे हैं यही वजह है कि राज्य की जो सिंचाई क्षमता 2003-04 में मात्र 7 लाख हेक्टेयर थी,वह अब बढक़र 48 लाख हेक्टेयर हो चुकी है। अगले पांच वर्षों में इसे 1 करोड़ हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य है। मप्र आज लाडली बहना योजना, लाडली लक्ष्मी योजना, अटल पेंशन योजना, किसान सम्मान निधि योजना और संपत्ति स्वामित्व योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से जनकल्याण को बढ़ावा दे रहा है। औद्योगिक विकास की दिशा में व्यापक पहल के साथ आगे बढ़ रही है राज्य सरकार औद्योगिक विकास के तहत राज्य में सात क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मेलन आयोजित किए गए हैं,जिनके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। फरवरी में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारी के लिए जिला स्तरीय सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। यही वजह है कि मप्र आज प्रदेश के अधिकतर युवाओं को रोजगार दिलाने का लक्ष्य लेकर लगातार उसे प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
मप्र भारत के खनन और खनिज क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता को लगातार साबित कर रहा है, जिससे उल्लेखनीय उपलब्धियाँ और भविष्य की संभावनाएँ सामने आ रही हैं, जो महत्वपूर्ण औद्योगिक विकास और आर्थिक प्रगति को प्रोत्साहित करेंगी। इसी के मद्देनजर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव दो दिवसीय प्रवास पर बेंगलुरू जाने वाले है। जहाँ वे 8 अगस्त को इंटरेक्टिव सेशन में प्रदेश में उपलब्ध खनिज संपदा पर उद्योगपतियों का ध्यान आकर्षित कर निवेश के लिये प्रोत्साहित करेंगे। गौर तलब है कि मिनरल ऑप्शन के लिये मप्र को राष्ट्रीय स्तर पर पहला पुरस्कार भी मिल चुका है। मप्र में खनिज संपदा में निवेश की बहुत ज्यादा संभावना बनी हैं। पिछले साल एक साथ 51 ब्लॉक का आक्शन हुआ था, जो अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है। मप्र में पाए जाने वाले प्रमुख खनिज संसाधनों में कोयला, लाइमस्टोन, डायमंड और पायरोफ्लाइट है। मप्र देश का चौथा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है। यहां सिंगरौली, सीधी, छिंदवाड़ा, बैतूल, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया और नरसिंहपुर भरपूर कोयला भंडार है। कोयले का उपयोग थर्मल पावर प्लांट्स और कोल गैसीफिकेशन प्लांट्स में होता है। इनसे संबंधित उद्योगों के लिए निवेश की भरपूर संभावनाएं हैं।इसी प्रकार चूना पत्थर का भी प्रदेश में भरपूर भंडार है। यहां रीवा, सतना, सीधी, मैहर, दमोह, कटनी पन्ना, धार और नीमच में भरपूर भंडार है। देश के कुल लाइमस्टोन भंडार का 9 प्रतिशत मप्र में है। इस दृष्टि से सीमेंट उद्योग के लिए मप्र एक आदर्श निवेश स्थान है। यहां जो लॉजिस्टिक क्षेत्र में सुधार हुआ है इस दृष्टि से भी मप्र से देश के सभी राज्यों का संपर्क बेहतर हो गया है। देश में उपलब्ध डायमंड भंडार का 90 प्रतिशत मप्र में पाया जाता है। यह अकेले पन्ना और छतरपुर में है। इस दृष्टि से यहां डायमंड बिजनेस पार्क और और कंपोजिट लाइसेंस के लिए 5 ब्लॉक की पहचान की गई है। मप्र पायरोफ्लाइट के उत्पादन में भी अग्रणी राज्य है। यहां देश के उत्पादन का 41 प्रतिशत उत्पादन हो रहा है। देश में सर्वाधिक भंडार 14 मिलियन टन मप्र में है, जो छतरपुर, शिवपुरी और टीकमगढ़ में है। इसके भंडारण को देखते हुए देश में सेरेमिक, पॉटरी, पोर्सलिन और टाइल्स उद्योगों के लिए सबसे लाभकारी निवेश स्थान है।
रोजगार के सृजन पर फोकस
मप्र की मोहन यादव सरकार का राज्य के औद्योगिक विकास पर बहुत ही ज्यादा फोकस है। खुद सीएम मोहन यादव इसके प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हैं। उनका लक्ष्य राज्य में निवेश बढ़ाकर औद्योगिक तरक्की करना है। राज्य सरकार सिर्फ बड़े उद्योगों पर ही जोर नहीं दे रही है। छोटे और मध्यम उद्योगों पर भी उसका बहुत ज्यादा ध्यान है। लक्ष्य एक ही है कि मप्र तरक्की करे, यहां की अर्थव्यवस्था और बेहतर हो, लोगों के जीवन-स्तर में ज्यादा से ज्यादा सुधार हो और सबसे बढक़र रोजगार के अवसर पैदा हों, ताकि मप्र के युवा राष्ट्र के निर्माण और उसे आगे ले जाने में अपना संपूर्ण योगदान दे सकें। औद्योगिक विकास के लिए समर्पित एमपी सरकार मुख्यमंत्री मोहन यादव राज्य को आगे ले जाने के लिए किस तरह से समर्पित हैं, उसका उदाहरण पिछले दिनों भी देखने को मिला। उन्होंने एक ही दिन मुंबई में इंडिया केम 2024 में भी हिस्सा लिया और उसी दिन भोपाल में एमपी माइनिंग कॉन्क्लेव में भी शरीक हुए। केमिकल उद्योग में निवेश पर एमपी सरकार का फोकस मुंबई में इंडिया केम 2024 में मुख्यमंत्री के शामिल होने का एकमात्र मकसद था- मप्र में केमिकल और उससे जुड़े अन्य क्षेत्रों के लिए ज्यादा से ज्यादा निवेश आकर्षित करना। दरअसल, मप्र में केमिकल, फार्मास्युटिकल, पेट्रोकेमिकल और प्लास्टिक से जुड़े उद्योगों के लिए एक बहुत ही बेहतर इकोसिस्टम बनाया है। एमपी का विकास भी, युवाओं को रोजगार भी इस दौरान सीएम ने 50,000 करोड़ रुपए की लागत से शुरू हुए बीना पेट्रोकेमिकल प्रोजेक्ट पर बात की, जिसकी आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी है। इसी तरह से गेल के भी 35,000 करोड़ रुपए की लागत वाली विशाल पेट्रोकेमिकल प्रोजेक्ट पर तेजी से काम जारी है, जो अकेले सीधे या परोक्ष रूप से 25,000 रोजगार सृजन करने जा रहा है। मप्र सरकार की लगातार कोशिशों का ही परिणाम है कि आज इस राज्य का फार्मास्युटिकल निर्यात में देश में चौथा स्थान है और यहां कई सारे बड़े फार्मास्युटिकल और केमिकल उद्योग हैं। प्रदेश में फार्मास्युटिकल इकाइयां हैं, जहां से 160 से ज्यादा देशों में दवाइयों का निर्यात होता है।
आज अगर राज्य केमिकल और फर्टिलाइजर सेक्टर में तरक्की कर रहा है, तो इसके पीछे राज्य सरकार की वह नीतियां हैं, जिसकी वजह से निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां यहां उद्योग लगाने को प्रेरित हो रही हैं। खनन उद्योग पर भी विशेष जोर दे रही है एमपी सरकार इसी तरह मप्र प्राकृतिक संपदाओं से भरा हुआ राज्य है। इसी वजह से राज्य सरकार खनन क्षेत्र में भी ज्यादा से निवेश आमंत्रित करने पर जोर दे रही है। उसी दिन भोपाल में आयोजित एमपी माइनिंग कॉन्क्लेव में सीएम यादव ने इसी दिशा में लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश की। उन्होंने यह भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार उद्यमियों को हर सुविधाएं और बेहतर से बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध करवाने के प्रति प्रतिबद्ध है। इसी भरोसे का परिणाम है कि इसी कार्यक्रम के दौरान 11 औद्योगिक संस्थानों से 19,650 करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव भी आ गए। इस क्षेत्र के विकास के लिए राज्य सरकार कितनी गंभीर है, वह इसी से पता चलता है कि इस कार्यक्रम में न सिर्फ निवेश के लिए उद्यमियों को आमंत्रित किया गया था, बल्कि जियोलॉजिस्ट, वैज्ञानिक, राज्य सरकार के खनिज विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, भारत सरकार के खनिज मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के साथ-साथ जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारियों को भी बुलाया गया था। राज्य सरकार का पूरा जोर इस बात पर है कि प्रदेश में बिजनेस-फ्रेंडली माहौल तैयार हो, बड़े उद्योगों के साथ-साथ छोटे और मझोले उद्योगों को भी बढ़ावा मिले। आखिरकार इसी से मप्र की आर्थिक तरक्की में मदद मिलेगी और रोजगार के नए-नए अवसर पैदा होंगे। पूरा मप्र खनिज संपदा से भरा पड़ा है। ग्वालियर और शिवपुरी में आयरन और क्वाट्र्ज और फ्लैगस्टोन पाया जाता है। झाबुआ और अलीराजपुर में रॉक फास्फेट डोलोमाइट, लाइमस्टोन, मैंगनीज और ग्रेफाइट मिलता है। नीमच में लाइमस्टोन, बैतूल में कोल, ग्रेफाइट ग्रेनाइट, लेड और जिंक मिलता है। छिंदवाड़ा में कोल, मैंगनीज और डोलोमाइट मिलता है बालाघाट में कॉपर, मैंगनीज, डोलोमाइट, लाइमस्टोन, बॉक्साइट, मंडला और डिंडोरी में डायमंड, डोलोमाइट और बॉक्साइट, सिंगरौली में कोल, गोल्ड, आयरन और शहडोल, अनूपपुर, उमरिया में कोल, कॉल बेड मीथेन, बॉक्साइट, सागर, छतरपुर और पन्ना में डायमंड, रॉक फॉस्फेट डायस्पोर, आयरन और ग्रेनाइट मिलता है। जबलपुर में डोलोमाइट, आयरन अयस्क, लाइमस्टोन, मैंगनीज, गोल्ड और मार्बल मिलता है।देश में कोयल का उत्पादन 3 लाख 61 हजार 411 मीट्रिक टन है। मप्र में 30 हजार 916 मेट्रिक टन कोल्ड रिजर्व है, जो देश का 8 प्रतिशत है। इसीप्रकार चूना पत्थर देश में 19028.5 मैट्रिक टन है और मप्र में 1692 मिट्रिक टन है, जो देश का 9त्न है। लौह अयस्क देश में 6209 और मप्र में 54.1 मीट्रिक टन है, जो देश का एक प्रतिशत है। इसी प्रकार तांबा देश में 163.9 मैट्रिक टन है। मप्र में 120.4 मीट्रिक टन है, जो देश का 73 प्रतिशत है। इसी प्रकार मैंगनीज अयस्क 75.0 मीट्रिक टन है। मप्र में 19.6 मिट्रिक टन है, जो देश का 26त्न है। बॉक्साइट 640.5 मीट्रिक टन है और मप्र में 18.6 मीट्रिक टन है, जो देश का तीन प्रतिशत है। रॉक फॉस्फेट देश में 30.9 मैट्रिक टन रिजर्व है और मप्र में 9.0 मीट्रिक टन है, जो 29त्न है। राष्ट्रीय स्तर पर मप्र तांबा, मैग्नीज और हीरा उत्पादन में पहले स्थान पर है। इसी तरह रॉक फास्फेट में दूसरे, चूना पत्थर में तीसरे और कोयला उत्पादन में चौथे स्थान पर है।
दोगुना निर्यात का लक्ष्य
अगले तीन सालों में मप्र का निर्यात दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। इंदौर सबसे ज्यादा निर्यात करने वाला जिला है, जिसने 20,256 करोड़ रुपए का निर्यात किया। इसके बाद धार, रायसेन और सीहोर जिलों से ज्यादा निर्यात हुआ। धार से 10,973 करोड़, रायसेन से 7561 करोड़ रुपए, सीहोर से 4,045 करोड़ रुपए मूल्य का निर्यात हुआ। मोहन सरकार ने औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया है। बड़े निवेशकों और कंपनियों को आकर्षित करने के लिए 100 करोड़ रुपए और उससे अधिक निवेश की इच्छा रखने वाले निवेशकों के लिये राज्य में एक कस्टमाइज पैकेज का प्रावधान भी है। निवेश प्रक्रिया और अनुमोदन को सरल बनाने के लिए एकल खिडक़ी प्रणाली काम कर रही है। वर्तमान में इस पोर्टल पर 12 विभाग सूचीबद्ध है और 46 सेवाएं उपलब्ध है। औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 2024-25 के बजट में आकर्षक प्रावधान किए हैं। निवेश प्रोत्साहन योजना के लिए 2000 रुपए का बजट प्रावधान किया है। औद्योगीकरण विकास के लिए 490 करोड़ रुपए, भू-अर्जन, सर्वे और सर्विस चार्ज के लिए 177 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए निवेश संवर्धन सुविधा प्रदान करने के लिए 699 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के संचालन के लिए 125 करोड़ रुपए का प्रावधान है। भविष्य में उदयोगों के संवर्धन में गति आयेगी। एमएसएमई मंत्री चैतन्य काश्यप का कहना है कि रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव एक ऐसी शुरुआत है जो मप्र को देश में अलग स्थान प्रदान करेगी। महाकाल की नगरी उज्जैन से इसकी शुरुआत हुई जो आज महाकौशल में पहुंची है। यह कॉन्क्लेव क्षेत्र के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इसका उद्देश्य किसी क्षेत्र विशेष तक ही सीमित न करते हुये प्रदेश के सभी क्षेत्रों का विकास सामूहिक रूप से करना है। साथ ही स्थानीय उद्योगपतियों को विकास के नये अवसर प्रदान करना है, जिससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजग़ार सृजन हो। मंत्री काश्यप ने बताया कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मेक इन इंडिया कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है इसके अंतर्गत डिफेंस सेक्टर पर विशेष फोकस किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की मंशानुसार प्रदेश में उद्योगों की श्रृंखला स्थापित करने की इस सोच से प्रदेश में औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलेगा। एमएसएमई सेक्टर का अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। प्रदेश के 16 जिलों में भी नई उद्योग इकाई लगाने की योजना प्रस्तावित है।
मप्र में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मोहन सरकार लगातार प्रयास करती नजर आ रही है, जहां इन्हीं प्रयासों का परिणाम भी अब मैदान में दिखाई दे रहा है। मोहन सरकार की ओर से उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर युवाओं के लिए सृजन हो सके इसके प्रयास भी किया जा रहे हैं, जहां अब यह प्रयास मप्र में रंग लाते नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि, सरकार की नीति है कि स्थानीय स्तर पर लोगों को अधिकाधिक संख्या में रोजगार मिले। इसके लिए उद्योगों के विकास और निवेश प्रोत्साहन के लिए राज्य सरकार उद्योगपतियों की पूरी मदद करेगी। लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बाजार उपलब्ध कराए जाएंगे। सागर संभाग के प्रमुख क्षेत्रीय उद्योगों जैसे पीतल, अगरबत्ती, फूड इंडस्ट्रीज, टूरिज्म, बीड़ी और फर्नीचर के उद्योग को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं। हमारा प्रयास है कि उद्योगपतियों का व्यवसाय दोगुना हो जाए। उन्होंने कहा कि, उद्योग एवं निवेश प्रोत्साहन के लिए हर जिले में सकारात्मक एवं ठोस प्रयास किए जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योग एवं निवेश के लिए लोगों को प्रोत्साहन एवं सहयोग की कमी नहीं रहेगी। हर जिले में अलग-अलग काम करने की संभावनाओं को तलाशा जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने का कहना है कि एक जिला-एक उत्पाद के अंतर्गत क्षेत्र के उत्पादों पर विशेष ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कलेक्टर्स और कमिश्नर्स को निर्देशित किया कि कॉन्क्लेव की व्यवस्थाओं में अड़चने नहीं रहें। उन्होंने सभी जिलों में उद्योग विस्तार एवं निवेश संभावनाओं के संबंध में जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए की स्थानीय जन-प्रतिनिधियों और उद्योगपतियों के साथ विस्तृत चर्चा कर कार्य-योजना बनाएं। वर्तमान संसाधनों के साथ जो जहां से काम कर रहा है उसे मदद दिलाई जाए। खिलौने, मिल्क प्रोडक्ट, आटा मिल, राइस मिल आदि स्थापित करने की संभावनाओं पर होमवर्क कर काम शुरु किया जाए। स्व-सहायता समूहों को जोडक़र काम करें।
पिछले कुछ दशकों में, मप्र ने आर्थिक प्रगति की दिशा में उल्लेखनीय सुधार किए हैं। कृषि, उद्योग, खनन, ऊर्जा और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में निवेश और योजनाओं ने राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है। राज्य की सकल घरेलू उत्पाद में भी स्थिर वृद्धि देखी जा रही है। मप्र मुख्यत: एक कृषि प्रधान राज्य है और यहाँ की लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। यहाँ गेहूं, चना, सोयाबीन और धान का उत्पादन प्रमुखता से किया जाता है। विशेष रूप से सोयाबीन के उत्पादन में राज्य का महत्वपूर्ण योगदान है। पिछले कुछ वर्षों में राज्य ने कृषि क्षेत्र में तकनीकी साधनों को अपनाकर और सिंचाई की योजनाओं को बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाए हैं। मप्र में कई प्रमुख उद्योग स्थापित हैं, जिनमें सीमेंट, स्टील, कपड़ा और ऑटोमोबाइल के उद्योग विशेष हैं। मंडीदीप, पीथमपुर, सतना और मुरैना जैसे स्थानों पर औद्योगिक क्लस्टर बनाए गए हैं। इसके अलावा, राज्य में खाद्य प्रसंस्करण, फार्मास्युटिकल और ऑटोमोबाइल उद्योगों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने औद्योगिक नीति में कई बदलाव किए हैं, जिनसे निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिली है। राज्य सरकार द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। शहरी और ग्रामीण विकास योजनाओं के माध्यम से सडक़ों, जल आपूर्ति और स्वच्छता व्यवस्था में सुधार किया गया है। साथ ही, सामाजिक योजनाओं के माध्यम से महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने का प्रयास किया जा रहा है। मप्र का पर्यटन क्षेत्र भी राज्य की आर्थिक प्रगति में अहम भूमिका निभा रहा है। राज्य में खजुराहो के मंदिर, सांची का स्तूप, भीमबेटका की गुफाएं, और बांधवगढ़ और कान्हा जैसे वन्यजीव अभयारण्य हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। सरकार ने पर्यटन क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं और आधारभूत ढांचे को मजबूत किया है। मप्र के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं। राज्य सरकार का उद्देश्य राज्य को एक निवेश-अनुकूल स्थान बनाना और रोजगार के अवसरों को बढ़ाना है। सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा में तेजी से निवेश, कृषि क्षेत्र में नवाचार, स्मार्ट सिटी परियोजनाओं का विस्तार, और शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत संरचना का सुधार राज्य के भविष्य की उज्जवल संभावनाएं दिखाता है।