- मिशन 2023 का घमासान
4 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने मैदानी सक्रियता बढ़ा दी है। इनमें से केवल दो पार्टियां भाजपा और कांग्रेस सत्ता के लिए लड़ाई लड़ रही हैं। ऐसे में दोनों पार्टियां चुनाव जीतने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोडऩा चाहती हैं। इसके लिए दोनों पार्टियों का फोकस यूथ पर है। यानी दोनों पार्टियां जहां युवाओं को साधने में जुटी हुई हैं, वहीं युवा वोट बैंक को देखते हुए इस बार अधिक से अधिक टिकट युवाओं को देने की रणनीति पर काम कर रही हैं।
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। भाजपा और कांग्रेस की रणनीति को देखते हुए दोनों पार्टियों के युवा नेताओं के चेहरे पर चमक आ गई है। चुनावी साल में भाजयुमो और युवक कांग्रेस के पदाधिकारी मैदानी मोर्चों पर अपना दम दिखा रहे हैं। साथ ही पार्टी आलाकमान के सामने अधिक से अधिक युवाओं को टिकट देने की मांग कर रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि 2023 के चुनाव में प्रदेश में 52 फीसदी से अधिक युवा वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। ऐसे में पार्टियों के रणनीतिकारों को लगता है कि अगर युवाओं को टिकट दिया जाता है तो उनकी जीत की संभावना अधिक रहेगी। बताया जाता है कि दोनों पार्टियों के रणनीतिकारों ने सभी 230 विधानसभा सीटों का आंकलन कर टिकट देने की रणनीति बनाई है। इस रणनीति के तहत अगर विधानसभा क्षेत्र में विपक्षी पार्टी का कोई वरिष्ठ नेता चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहा है तो उसके सामने किसी युवा नेता को टिकट दिया जाए। हालांकि यह फॉर्मूला जीत की संभावना को देखते हुए ही लागू किया जाएगा।
चुनावी रण में उतरने के लिए युवा भी तैयारी में जुटे हुए हैं। जानकारी के अनुसार इस चुनाव में यूथ कांग्रेस 35 सीटों पर तो भाजयुमो 46 सीटों पर टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। भाजयुमो से टिकट के दावेदारों की अच्छी-खासी फौज है। कई इलाकों में तो सीटिंग विधायक की जगह टिकट का दावा किया जा रहा है। मोर्चा ने संगठन से 20 प्रतिशत यानी करीब 46 सीटें मांगी हैं। हालांकि, उम्मीदवारी का मौका कितनी सीटों पर मिलेगा, यह कहीं से भी तय नहीं है। मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वैभव पवार का कहना है कि टिकट का फैसला पूरी तरह भाजपा नेतृत्व का होगा। कई साथी चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार हैं। पिछले चुनावों में भी भाजयुमो से टिकट मिला है और लोग जीतकर विधानसभा तक पहुंचे हैं। दूसरे पदाधिकारियों का कहना है कि संगठन सर्वे के मुताबिक जिताऊ दावेदार को ही टिकट देगा। बाकी सबको पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के लिए काम करना है। चुनावों को लेकर दोनों ही प्रमुख भाजपा और कांग्रेस सहित अन्य दलों द्वारा चुनावों की तैयारियां की जा रही है। अब तक दोनों ही प्रमुख दल द्वारा महिलाएं, युवतियां, बुजुर्ग, मजदूर और किसानों को साधने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन अब दोनों ही दलों का फोकस युवाओं पर आ टिका है। इस फोकस का कारण चुनाव आयोग द्वारा जारी किए जा रहे नए मतदाताओं के आंकड़े हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में युवा ही निर्णायक भूमिका में रहेंगे। युवाओं को साधने की प्लानिंग के तहत जहां मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस राजधानी भोपाल में बेरोजगार युवाओं का बड़ा सम्मेलन करने जा रही है तो वहीं सत्ताधारी दल भाजपा ने भी अपना रुख युवाओं की तरफ कर दिया है।
52 प्रतिशत युवा वोटर
दोनों पार्टियों के युवा नेता टिकट की दावेदारी को लेकर तर्क दे रहे हैं कि प्रदेश में कुल 5.40 करोड़ से अधिक वोटर्स हैं। इनमें से दो करोड़ 85 लाख यानी 52 प्रतिशत मतदाता 18 से 40 साल के बीच के हैं। 30 लाख वोटर्स ऐसे हैं, जो पहली बार वोट डालेंगे। यही हार-जीत की दिशा तय करेंगे। गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में मतदाताओं की संख्या 5 करोड़ 7 लाख से कुछ अधिक थी। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, 2023 में यह संख्या 5 करोड़ 40 लाख 94 हजार 746 हो चुकी है। इसका मतलब है कि इन पांच सालों में करीब 33 लाख नए मतदाता जुड़े हैं। जनवरी से अप्रैल के बीच के तीन महीनों में प्रदेश में एक लाख 6 हजार 870 मतदाता बढ़ गए हैं। मतदाता सूची में 38 हजार 235 वे नए मतदाता भी शामिल हैं, जिन्होंने 1 जनवरी 2023 से 1 अप्रैल की अर्हता तिथि में 18 साल की उम्र पूरी कर ली है। इन लोगों ने मतदाता सूची में नाम जोडऩे के लिए अग्रिम आवेदन दिया था। बताया जा रहा है कि नए मतदाताओं में से करीब 30 लाख वोटर 18 से 21 साल के बीच के हैं। ये लोग इस विधानसभा चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले हैं।
5 जनवरी 2023 को प्रकाशित मतदाता सूची के अनुसार प्रदेश में 5 करोड़ 39 लाख 87 हजार 876 मतदाता थे। तीन माह में मतदाताओं की संख्या में एक लाख 6 हजार 870 की वृद्धि हुई है। प्रदेश में पुरुष मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 80 लाख 10 हजार 110 है। महिला मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 60 लाख 83 हजार 368 है। नि:शक्त मतदाताओं की संख्या 4 लाख 82 हजार 148 है। प्रदेश में एक हजार 268 मतदाताओं ने अपनी पहचान थर्ड जेंडर के तौर पर दर्ज कराई है। प्रदेश के 50 प्रतिशत से अधिक मतदाता युवा हैं। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 18 से 40 साल तक मतदाताओं की संख्या दो करोड़ 85 लाख से अधिक है। 20 से 29 साल के मतदाताओं की संख्या एक करोड़ 29 लाख जबकि 30 से 39 साल तक के एक करोड़ 44 लाख मतदाता हैं। 40 से 49 साल के बीच एक करोड़ 6 लाख से अधिक वोटर हैं। वहीं, 50 से 59 साल के बीच के मतदाताओं की संख्या 75 लाख बताई गई है। 60 से 69 साल के बीच के 43 लाख मतदाता हैं। 70 से 79 के बीच के 20 लाख और 80 साल से अधिक उम्र वाले 8 लाख मतदाताओं का नाम सूची में शामिल है।
नई लीडरशिप होगी डेवलप
भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के युवा संगठनों के पदाधिकारी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। भाजयुमो की तरफ से 20 प्रतिशत यानी 46 सीटों पर उम्मीदवारी का दावा किया गया है। वहीं, युवा कांग्रेस ने 35 टिकट मांगे हैं। दोनों ही संगठन उम्मीदवारों का चयन करने के लिए कई स्तरों पर सर्वे करा रहे हैं। युवाओं को टिकट के सवाल पर दोनों संगठनों का एक सा जवाब है- जिताऊ उम्मीदवार को ही मौका दिया जाएगा। उनका कहना है कि युवाओं को चुनाव मैदान में उतारा गया तो पार्टी को फायदा होगा। नई लीडरशिप भी डेवलप होगी। युवा और नए चेहरों पर दोनों ही पार्टियों की नजर है। कांग्रेस ने फॉर्मूला तय कर लिया है कि उम्मीदवार के चयन का आधार बूथ जोड़ो-यूथ जोड़ो अभियान की सफलता होगा। इसी तरह बीजेपी में ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ अभियान भी युवा मोर्चा के पदाधिकारियों और सदस्यों की मेहनत पर टिका है। लिहाजा, दोनों ही दल टिकट फाइनल करने से पहले युवाओं को केंद्र में रखेंगे।
कांग्रेस ने इस अभियान में उन युवाओं को टारगेट किया है, जो इस चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले हैं। युवा कांग्रेस की बूथ समितियों को जो जिम्मा दिया गया है, उनमें फर्स्ट टाइम वोटर की पहचान करना भी शामिल है। इन लोगों से लगातार संपर्क में बने रहने का टास्क भी अलग-अलग टीमों को मिलेगा। मतदाता सूची से जिन वोटरों का नाम कट गया है या जो उस क्षेत्र के निवासी नहीं है यानी फर्जी है, उनकी पहचान भी करना होगी। पिछले चुनाव में फर्जी वोटरों की कई शिकायतें आई थीं। उस समय संगठन पर इसे लेकर सवाल भी उठे थे। युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया बताते हैं कि इस महीने से मप्र समृद्धि कार्ड अभियान शुरू किया गया है। इसके जरिए कार्यकर्ता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की पांच गारंटियों को लेकर घर-घर दस्तक देंगे। सभी को इससे जुड़ी पुस्तिका, ब्रोशर आदि दिया जाएगा। मध्यप्रदेश समृद्धि कार्ड अभियान की निगरानी युवा कांग्रेस की केंद्रीय टीम कर रही है। इसके लिए युवा कांग्रेस के 14 राष्ट्रीय सचिवों को मध्यप्रदेश भेजा गया है। वहीं, 40 ऐसे नेताओं को यहां नियुक्त किया गया है, जो हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में चुनाव अभियान का संचालन कर चुके हैं। ऐसे नेताओं को दो-दो जिलों का जिम्मा दिया जा रहा है। हमारी टीम युवा वचन पत्र तैयार करने के लिए भी युवाओं से मिलकर उनके मुद्दों पर बातचीत कर रही है।
मैदानी तैयारियां एक साल पहले से शुरू
भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष वैभव पवार ने बताया कि युवाओं को जोडऩे की योजना पर एक साल पहले से काम चल रहा है। संगठन ने प्रदेश के 178 विधानसभा क्षेत्रों में खिलते कमल नाम से कार्यक्रम किया था। इसमें संबंधित क्षेत्र के प्रतिभाशाली और गांव-समाज में प्रभाव रखने वाले युवाओं को सम्मानित किया गया। ऐसे 400-500 प्रभावशाली लोगों का सम्मेलन किया। पिछले साल ही खेलेगा मध्यप्रदेश कार्यक्रम किया गया। इसमें क्रिकेट, फुटबॉल, कबड्डी, वॉलीबॉल जैसे खेल आयोजित किए गए। गांव-शहर के खेल प्रेमी युवाओं को संगठन की विचारधारा से जोडऩे की कोशिश हुई। इसके बेहतर परिणाम बाद के कार्यक्रमों में दिखे हैं। 670 बाइक रैलियों के जरिए युवाओं को सरकार की विकास योजनाओं की झलक दिखाई गई। चुनाव नजदीक आते ही भाजयुमो ने संभाग स्तर पर बड़ी रैलियों की योजना बनाई है। इनमें संबंधित संभाग से हजारों युवाओं को बुलाने की तैयारी है। रैलियों में संबोधित करने के लिए भाजयुमो के राष्ट्रीय नेतृत्व के अलावा केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, स्मृति ईरानी जैसे नेताओं को भी बुलाने का कार्यक्रम है। भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष वैभव पवार का कहना है कि संभागीय रैलियों के बाद प्रदेश स्तर की एक बड़ी सभा भोपाल में आयोजित की जाएगी। इसमें भाजयुमो के लाखों कार्यकर्ता शामिल होंगे। इसी बीच भाजयुमो युवा संकल्प यात्रा भी निकालेगा। भाजपा और भाजयुमो के रणनीतिकारों ने युवा वोटरों से बातचीत के लिए कुछ खास विषयों को ही चुना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि सबसे बड़ा विषय है। बातचीत का बड़ा हिस्सा पीएम मोदी और केंद्र सरकार के कामकाज गिनाने का है। मोदी से पहले का भारत और मोदी के दौर का भारत पर फोकस किया गया है। भाजयुमो के नेता मप्र में डबल इंजन की सरकार के फायदे गिना रहे हैं। 2003 के पहले का मध्यप्रदेश और अभी के मप्र के बदलाव और विकास की कहानी आंकड़ों और आरोपों के जरिए सुनाई जा रही है। राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की बात से युवाओं को कनेक्ट करने की कोशिश हो रही है। कुछ शहरी सेक्टर में शिक्षा और रोजगार के नए क्षेत्रों और अवसरों की बात कहने की कोशिश हो रही है। राज्य सरकार की नई भर्तियों को भी भुनाने की कोशिश है।
वहीं युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया का कहना है कि उन्हें चुनाव से पहले तक सभी बूथों तक संगठन बना लेने का टास्क मिला था। अब तक 60 प्रतिशत बूथों तक इसका विस्तार हो है। प्रत्येक बूथ पर 10 कार्यकर्ताओं की एक टीम तैनात की है। दो-तीन महीनों में सभी बूथों पर टीमें तैनात हो जाएगी।ज् इसकी जिम्मेदारी उस बूथ से जुड़े मतदाताओं से संपर्क कर कांग्रेस, उसकी घोषणाओं और वादों की जानकारी देना होगा ताकि वे कांग्रेस को वोट देने के लिए प्रेरित हो। भाजयुमो की जमीनी तैयारी अलग लेवल पर है। इसकी शुरुआत युवा चौपाल के जरिए हो चुकी हैं। 15 हजार 180 चौपाल आयोजित होनी हैं। इनमें फर्स्ट टाइम वोटर यानी पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं को अपने पक्ष में करने पर जोर है। इसके लिए 18 से 25 साल के युवाओं को चौपाल में बुलाया जा रहा है। इन चौपालों के जरिए 6 लाख युवाओं से संवाद करने का टारगेट है। मंडलवार मतदाता सूची बनाकर ऐसे वोटों की पहचान की जा रही है। उनसे पार्टी कार्यकर्ता और संबंधित बूथ इकाइयां लगातार संपर्क में रहेंगी।
ये हैं प्रदेश के युवा विधायक
प्रदेश में पार्टियों द्वारा युवाओं को टिकट देने के लिए जहां एक तरफ मंथन और मनन चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ टिकट की मांग करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अगर 2018 के विधानसभा चुनाव का आंकलन करें तो यह तथ्य सामने आता है कि 40 साल की उम्र तक युवा मानें तो 2018 में भाजपा-कांग्रेस, बसपा-सपा, दूसरे राजनीतिक दलों और निर्दलीय सहित 1100 से अधिक उम्मीदवारों ने अपनी आयु 25 से 40 साल के बीच बताई थी। इन उम्मीदवारों में से 315 की उम्र 25 से 30 साल के बीच थी। वहीं, 750 की उम्र 31 से 40 साल के बीच बताई गई। इन करीब 1100 उम्मीदवारों में से केवल 37 चुनाव जीतकर विधायक बन पाए। 230 विधायकों वाली विधानसभा में यह 16 प्रतिशत है। इनमें 25 से 30 साल के बीच के 4 जबकि 31 से 40 साल के बीच के 33 लोग थे। उस समय 153 विधायक 41 से 60 साल के बीच और 40 विधायक 61 से 80 साल के बीच के थे। 2018 में भाजपा के 40 साल से कम वाले 15 विधायक चुनाव जीते थे। इनमें राम डंगोरे (29) पंधाना, शरद कोल (28) ब्यौहारी, सुभाष रामचरित्र (31) देवसर, दिव्यराज सिंह, 33 साल, सिरमौर, आकाश विजयवर्गीय, 34 साल, इंदौर 3, सुमित्रा कास्डेकर, 35 साल, नेपानगर, (2018 में कांग्रेस से और 2020 में भाजपा से विधायक), विक्रम सिंह, 36 साल, रामपुर बघेलान, कमलेश जाटव, 37 साल, अम्बाह, राजेश कुमार प्रजापति, 37 साल, चन्दला, मनीषा सिंह, 37 साल, जैतपुर, केपी त्रिपाठी, 38 साल, सेमरिया, शिवनारायण सिंह, 38 साल, बांधवगढ़, धर्मेंद्र सिंह लोधी, 40 साल, जबेरा, योगेश पंडाग्रे, 40 साल, आमला और आशीष गोविंद शर्मा, 40 साल, खातेगांव शामिल हैं। वहीं कांग्रेस से 19 युवा विधायक चुनाव जीते थे। उनमेंजयवर्द्धन सिंह (32), राघौगढ़, प्रियव्रत सिंह (40) खिलचीपुर, कुणाल चौधरी (36) कालापीपल, नीरज विनोद दीक्षित, 29 साल, महाराजपुर, कल्पना वर्मा, 29 साल, रैगांव, नीलेश पुशाराम उडक़े, 30 साल, पांढुर्ना, विपिन वानखेड़े, 32 साल, आगर, (2020 में विधायक बने ), हिना लिखीराम कांवरे, 33 साल, लांजी, सिद्धार्थ कुशवाहा डब्बू, 33 साल, सतना, नीलांशु चतुर्वेदी, 35 साल, चित्रकूट, भूपेंद्र सिंह, 35 साल, शहपुरा, प्रवीण पाठक, 36 साल, ग्वालियर दक्षिण, सचिन यादव, 36 साल, कसरावद, हीरालाल अलावा, 37 साल, मनावर, मनोज चावला, 38 साल, आलोट, तरबर सिंह, 38 साल, बंडा, सचिन बिरला, 39 साल, बड़वाह, विशाल पटेल, 39 साल, देपालपुर और निलय डागा, 40 साल, बैतूल शामिल हैं। बहुजन समाज पार्टी 2018 में सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी। बुंदेलखंड-चंबल क्षेत्र की दो सीटों- भिंड और पथरिया पर ही उम्मीदवार जीत पाए। दोनों विधायकों- संजीव सिंह और रामबाई की उम्र 2018 में 40 साल थी। 2013 के चुनाव में बसपा के 4 उम्मीदवार जीते थे।
मप्र की राजनीति में कई ऐसे नेता हैं जो यूथ राजनीति से सियासत में सक्रिय हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भाजयुमो से विधानसभा का टिकट मिला था। वे 1988 से 1991 तक मप्र में भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 1990 में उन्हें विधानसभा का टिकट मिला। वे जीते। 1991 में वे सांसद भी चुने गए और विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया। 1992 में भाजयुमो के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे। उसके बाद भाजपा की मुख्य राजनीति में आए। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को भी भाजयुमो का अध्यक्ष रहते हुए टिकट मिला। वे 2007 से 2010 तक युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 2008 में ही उन्हें विधानसभा का टिकट मिला था। मंत्री कमल पटेल 1991 से 1993 के बीच भाजयुमो के जिलाध्यक्ष, प्रदेश मंत्री, महामंत्री और प्रदेश अध्यक्ष तक रहे। 1993 के विधानसभा चुनाव में टिकट मिला और जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे। मंत्री उषा ठाकुर भाजयुमो प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्य रही हैं। वहीं, मंत्री जगदीश देवड़ा भी भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद भाजपा में शामिल होकर मंत्री बने गोविंद सिंह राजपूत युवा कांग्रेस से निकले हैं। वे मप्र में युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया भी 1977 से 1980 तक युवा कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री रहे। इसी बीच 1980 में उन्हें विधानसभा का टिकट मिला और जीतकर पहली बार विधायक बने। पूर्व मंत्री बाला बच्चन भी युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव और राष्ट्रीय महासचिव रह चुके हैं। आलोट विधायक मनोज चावला तो 2016 से 2018 तक युवक कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता थे। 2018 में टिकट मिला और चुनाव जीते।
इस बार ये हैं टिकट के दावेदार
2018 में प्रदेश में जहां बड़ी संख्या में युवा नेता विधायक बने, वहीं इस बार भी दावेदारों की कमी नहीं है। चंबल-ग्वालियर अंचल में भाजपा से देवेंद्र सिंह तोमर, ग्वालियर, दिग्विजय राजपूत, ग्वालियर, कांग्रेस से विधायक जयवर्द्धन सिंह, राघौगढ़, संजय यादव, मुरैना, दीपक शर्मा, ग्वालियर पूर्व, मितेंद्र दर्शन सिंह, ग्वालियर पूर्व, हैवरन सिंह कंसाना, ग्वालियर पूर्व गौरव सोलंकी, अंबाह, पंकज उपाध्याय, जौरा, आशीष शर्मा, शिवपुरी राहुल भदौरिया, भिंड, रामसिया भारती, मल्हारा मानवेंद्र सिकरवार, मुरैना और रश्मि पवार, ग्वालियर साउथ से दावेदारी कर रही हैं। बुंदेलखंड में भाजपा के सिद्धार्थ मलैया की दमोह से दावेदारी है। वहीं कांग्रेस से कौशल किशोर छतरपुर, शैलेंद्र कौशिक छतरपुर, ज्योति पटेल- रेहली, विंध्य अंचल में भाजपा से शरद कोल, ब्यौहारी, सुभाष रामचरित्र, देवसर, दिव्यराज सिंह, सिरमौर, कांग्रेस से सिद्धार्थ कुशवाहा, सतना, कल्पना वर्मा, रैगांव और नीलांशु चतुर्वेदी, चित्रकूट से दावेदार हैं। मालवा-निमाड़ अंचल की बात की जाए तो भाजपा से राम डंगोरे पंधाना, आकाश विजयवर्गीय इंदौर-3, मुकेश मालवीय, इंदौर-4, कविता पाटीदार, इंदौर, सुमित्रा कास्डेकर नेपानगर,भानु भदौरिया उज्जैन दक्षिण, कांग्रेस से विपिन वानखेड़े, आगर, विक्रांत भुटिया, झाबुआ, नूरी खान, उज्जैन, चेतन यादव, उज्जैन बीनू कुशवाह, उज्जैन – मनीष चौधरी, देवास प्रतिभा रघुवंशी, मांधाता, रीना सोतिया, सांवेर, अमन बजाज, इंदौर-5 हरदेव जाट, धार, शक्ति सिंह गोयल, महू से तो महाकौशल अंचल में भाजपा से मौसम बिसेन, बालाघाट, गौरव पारधी, कटंगी, अभिलाष पाण्डे, जबलपुर पश्चिम, वैभव पवार, केवलारी से वहीं कांग्रेस से हिना लिखीराम कांवटे, लांजी, नीलेश पुसाराम उडक़े, पांढुर्ना, भूपेंद्र सिंह मरावी, शहपुरा , नीरज विनोद दीक्षित, महाराजपुर, शशांक दुबे, जबलपुर कैंट , अमरीश मिश्रा, जबलपुर उत्तर और जयंत सिंह ठाकुर, पाटन से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। मध्य क्षेत्र में भाजपा से भक्ति शर्मा, भोपाल उत्तर, रमजान कुरैशी, भोपाल मध्य, कांग्रेस से प्रदीप सक्सेना, भोपाल दक्षिण, अमित शर्मा, भोपाल दक्षिण, मेघा परमार, इछावर,अवनी बंसल, हरदा, विश्वजीत चौहान, हाटपिपल्या, रविंद्र साहू और दीप्ति सिंह, गोविंदपुरा से दावेदारी कर रही हैं।
मप्र में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन उससे पहले ही मप्र कांग्रेस कमेटी ने प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए अपनी चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं। जानकारी के अनुसार, प्रदेश कांग्रेस ने उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। कांग्रेस पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं सहित मजबूत उम्मीदवार माने जाने वाले कम से कम 60-65 उम्मीदवारों के नामों को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा और उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में अपने अभियान को शुरू करने के लिए कहा जाएगा। सूत्रों ने बताया कि मप्र कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने की प्रक्रिया शुरू की थी, जो नवंबर-दिसंबर 2022 में मालवा-निमाड़ क्षेत्र से होकर गुजरी थी। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस को बताया कि जब कमलनाथ भारत जोड़ो यात्रा के हिस्सा ले रहे थे, तो वह पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से विभिन्न विधानसभा सीटों पर प्रतिक्रिया ले रहे थे और उन सीटों पर आंतरिक सर्वेक्षण के निष्कर्षों से उनका मिलान कर रहे थे। इसके अलावा, सबसे पुरानी पार्टी की राज्य इकाई भी 230 सीटों वाली मप्र विधानसभा के चुनाव में कम से कम 30-40 प्रतिशत नए चेहरों को मैदान में उतारकर आश्चर्यचकित कर सकती है। जो मजबूत उम्मीदवारों की सूची के अलावा होगा। सूत्रों के मुताबिक, नए उम्मीदवार उन सीटों पर उतारे जाएंगे, जहां पार्टी पिछले चार-पांच चुनावों से लगातार हारती आ रही है। सूत्रों ने बताया कि कमलनाथ ने अपनी प्रतिष्ठा के आधार पर नए उम्मीदवारों का चयन शुरू कर दिया है। हालांकि, नए चेहरे वही होंगे, जो पिछले कम से कम एक दशक से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं और अगर लोगों के बीच उनकी स्वीकार्यता अधिक है। इसलिए, यह माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए नए उम्मीदवारों की एक लंबी सूची होगी, लेकिन नामों की आधिकारिक घोषणा नहीं की जाएगी। इसके बजाय, इन उम्मीदवारों को पार्टी द्वारा उनकी उम्मीदवारी के बारे में बताया जाएगा और चुनाव से छह महीने पहले संभवत: जमीन पर काम शुरू करने के लिए कहा जाएगा। कांग्रेस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कुछ मौजूदा विधायकों को उनके प्रदर्शन को उम्मीद के मुताबिक नहीं रहने और संभावना के बारे में पहले ही सतर्क कर दिया गया है। अगर वे सुधार नहीं करते हैं तो उन्हें अंतिम उम्मीदवारों की सूची से बाहर कर दिया जाएगा। इसके अलावा सूत्रों ने यह भी दावा किया है कि मालवा क्षेत्र से आने वाले पूर्व राज्य मंत्री सहित कुछ मौजूदा विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्र को बदलने पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि आंतरिक सर्वेक्षणों ने उनकी चुनावी संभावनाओं के लिए एक अच्छी तस्वीर पेश नहीं की है।