- स्कूल शिक्षा विभाग और शासन का नहीं हैं खौफ
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में शिक्षा माफिया कितना सशक्त और रसूखदार है, इससे समझा जा सकता है कि वह स्कूल शिक्षा विभाग के नियमों पर तय समय में अमल भी नहीं करता है, जिसके बाद भी उन पर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती है। फिर मामला कॉपी किताबों का हो या फिर फीस का। हालत यह है कि फीस की जानकारी देने की सोमवार को अंतिम तारीख थी, लेकिन इसके बाद भी 18 हजार स्कूल ऐसे हैं, जिनके द्वारा जानकारी नहीं दी गई है। दरअसल प्रदेश में निजी स्कूलों की कुल संख्या 34 हजार है। इनमें से महज 16 हजार स्कूलों ने ही जानकारी दी है। हद तो यह है कि पहले निजी स्कूलों को फीस और पाठ्यक्रमों से संबंधित जानकारी देने की अंतिम तारीख आठ जून तय की गई थी, लेकिन महज कुछ ही स्कूलों द्वारा जानकारी देने की वजह से तब तारीख बढ़ाकर 24 जून कर दी गई थी। दरअसल, मप्र निजी विद्यालय अधिनियम 2020 के तहत जबलपुर कलेक्टर ने जिले में निजी स्कूलों की फीस की गड़बड़ी का मामला पकड़ा था। इसमें 11 स्कूलों पर जिला प्रशासन ने कार्रवाई भी की थी। इसके बाद प्रदेश स्तर पर निजी स्कूलों पर कार्रवाई के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों को पत्र जारी किया था। इसके तहत ही यह जानकारी मांगी गई है। अहम बात तो यह है कि मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के निर्देश पर स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों के ऊपर फीस वृद्धि संबंधित मामले को लेकर और फर्जी व डुप्लीकेट आइएसबीएन पाठ्य पुस्तकें खोजने का अभियान जिला स्तर पर प्रारंभ करने के निर्देश दिए थे , लेकिन इसके बाद भी एक दो जिलों में छोडक़र कहीं भी किसी भी जिले में कार्रवाई नही की गई। इस मामले में भोपाल जिला भी अछूता नही है। प्रदेश में इस तरह का अभियान 30 जून तक चलाने की तारीख तय है। इसके तहत अनियमितता पाए जाने पर संबंधित प्रकाशक व बुक डिपो के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भी कहा गया है। पूर्व में राजधानी में जरूर खाना-पूर्ति के लिए जिला प्रशासन ने बुक्स एंड बुक्स व स्नेह बुक सेंटर पर सर्चिग की थी, जिसमें भारी गड़बड़ी मिली थी। जिला शिक्षा अधिकारी अंजनी कुमार त्रिपाठी को कार्रवाई करनी थी, लेकिन उनके द्वारा अब तक कोई कार्रवाई होती नजर ही नही आयी है। यही वजह है कि राजधानी में निजी स्कूलों की मनमानी जारी है।
पांच हजार से 25 हजार तक जुर्माना: निजी स्कूलों पर सरकार ने जुर्माने की राशि तय की है। इसके तहत जिन विद्यालयों का नामांकन दो हजार विद्यार्थियों से अधिक का है, उनके लिए समय-सीमा में निर्धारित प्रक्रिया शुल्क पांच हजार रुपए रहेगा। समय सीमा के बाद पांच गुना यानी 25 हजार रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। जिन निजी स्कूलों का नामांकन 1001 से 2000 तक है, उनके लिए समय- सीमा में निर्धारित शुल्क तीन हजार रुपये है। समय-सीमा के बाद 15 हजार रुपये देना होंगे। जिन स्कूलों का नामांकन 501 से 1000 तक है। उन स्कूलों को समय-सीमा में दो हजार रुपये शुल्क देना होगा। समय-सीमा के बाद 10 हजार रुपये अर्थदंड लगाया जाएगा। जिन स्कूलों का नामांकन 500 विद्यार्थियों तक है, उनसे एक हजार रुपये शुल्क लिया जाएगा। समय-सीमा के बाद जानकारी देने पर पांच रुपये जुर्माना का प्रावधान है।