भाजपा की पहली सूची में… सवा सौ नाम

  • शिवराज का विदिशा से तो वीडी का भोपाल से नाम लगभग तय
  • गौरव चौहान
भाजपा

बीती देर रात दिल्ली मे हुई भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में पहली सूची के लिए करीब सवा सौ नाम तय कर लिए गए हैं। इस सूची मे प्रदेश की एक दर्जन सीटों के नाम भी बताए जा रहे हैं। करीब चार घंटे तक चली इस बैठक में तमाम राज्यों की एक -एक सीट पर मंथन किया गया। इसके बाद तैयार की गई सूची के आज कल में जारी होने की संभावना है। अहम बात यह है कि पहली ही सूची में प्रदेश के कई भाजपा दिग्गज नेताओं को जगह दी गई है। इनमें प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कैलाश विजयवर्गीय से लेकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तक के नाम बताए जा रहे हैं। पार्टी सूत्रों की माने तो प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को इस बार खजुराहो की जगह प्रदेश की सबसे सुरक्षित सीट भोपाल से चुनाव लड़ाने की तैयारी है। इसकी वजह है चुनाव में उनके द्वारा पूरे प्रदेश का जिम्मा सम्हालना है। इसी तरह से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को ग्वालियर सीट से प्रत्याशी बनाना तय कर लिया गया है। सिंधिया के लिए ग्वालियर सीट को मुफीद माना जा रहा है। इससे यह तय हो गया है कि गुना सीट से केपी यादव ही चुनाव मैदान में उतरेंगे। माना जा रहा है कि पार्टी इस बार ज्यादा से ज्यादा महिलाओं और युवाओं को मौका दे सकती है। पार्टी का सबसे ज्यादा फोकस उन सीटों को जीतने पर है, जिन पर साल 2014 और 2019 के चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था। इन सीटों को जीतने के लिए गहन विचार और मंथन बैठक में किया गया।  केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में प्रदेश की जिन लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशी तय किए जाने की खबर है, उनमें प्रदेश की एक दर्जन सीटें शामिल हैं।  पार्टी सूत्रों का कहना है कि राकेश मिश्रा का सतना, जनार्दन मिश्रा का नाम रीवा से, मोना सुस्तानी का नाम राजगढ़  से , लाल सिंह आर्य का नाम ङ्क्षभड से, वीरेन्द्र खटीक का नाम टीकमगढ़ से, नत्थन शाह कवरेती का नाम छिंदवाड़ा से और गजेंद्र सिंह का नाम खरगौन से बताया जा रहा है। इसके अलावा बैठक में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों की लोकसभा सीटों पर विचार और मंथन किया गया। पार्टी ने इस बात पर विचार किया कि उन उम्मीदवारों को टिकट देना है, जो बीजेपी को बंपर जीत दिला सकें। इसके बाद ही उम्मीदवारों के नामों की सूची तैयार की गई है।  
संघ की भी रहा सक्रिय
दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पहले हर राज्य के कोर ग्रुप की बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और संगठन महासचिव बी एल संतोष के साथ संबंधित प्रदेशों के अध्यक्षों व भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक हुई। इस बैठक में हर सीट पर संभावित उम्मीदवारों के नामों की चर्चा हुई। केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पहले प्रधानमंत्री मोदी के आवास पर पीएम मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा की लंबी बैठक हुई।  इस बैठक में भी उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा हुई और उसके बाद केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राज्यवार उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा की गई। बीजेपी ने हर सीट के हिसाब से रणनीति तैयार की है। यह देखा गया कि हर सीट को जीतने के लिए सबसे बेहतरीन उम्मीदवार कौन हो सकता है। वहीं उम्मीदवार अगर दूसरी पार्टी का है तो उसे बीजेपी में लाने के लिए पूरा जोर लगाया गया,  इसके लिए बाकायदा हर राज्य में और केंद्रीय स्तर पर समितियां बनाई गईं। ये भी तय किया गया कि जिन सांसदों का प्रदर्शन ठीक नहीं है, उनका टिकट बिना किसी झिझक के काट दिया जाए।
इस तरह से तय किए प्रत्याशी
उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लगाने के लिए बीजेपी में लंबी चौड़ी प्रक्रिया अपनाई गई। नमो ऐप पर जनता से सांसदों के बारे में फीडबैक लिया गया। लोगों से उनके क्षेत्र में तीन सर्वाधिक लोकप्रिय बीजेपी नेताओं के नाम पूछे गए। वहीं बीजेपी सांसदों से पिछले दो सालों में किए गए उनके काम के बारे में रिपोर्ट मांगी गई। सर्वेक्षण करने वाली एजेंसियों से हर संसदीय क्षेत्र की रिपोर्ट मांगी गई। बीजेपी शासित राज्यों में हर संसदीय क्षेत्र में मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई। इन मंत्रियों से कहा गया कि वे लोकसभा सीटों का दौरा कर सांसदों के बारे में रिपोर्ट लें। जिसके बाद पार्टी ने मंत्रियों और संगठन से मिली रिपोर्ट को प्रदेश स्तर पर चुनाव समिति की बैठक में रखा। संगठन महासचिवों ने आरएसएस का फीडबैक भी लिया। राज्यों की चुनाव समितियों की बैठकों में हर संसदीय सीट पर उम्मीदवारों के नामों का पैनल तैयार किया गया।
नए चेहरों पर भी दांव
प्रधानमंत्री मोदी पहले ही कह चुके हैं कि हर सीट पर कमल लड़ रहा है। लोकसभा चुनाव में करीब 60-70 सांसदों के टिकट काटे जाएंगे। दो बार जीत चुके और उम्रदराज कई सांसदों की जगह नए चेहरों को मौका दिए जाने पर सहमति बनी है। हालांकि ज्यादा ओबीसी सांसदों के टिकट नहीं काटे जाएंगे। साल 2019 में बीजेपी के 303 में से 85 ओबीसी सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचे थे, इस बार भी पार्टी इसी तरह की रणनीति को फॉलो करना चाहती है।

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