70 रुपए की टोपी के वसूले जा रहे 124 रुपए

होमगार्ड सैनिकों

-अफसरों की मनमर्जी पड़ रही होमगार्ड सैनिकों पर भारी

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में होमगार्ड सैनिकों पर एक अफसर की मनमर्जी उसके रिटायर्ड होने के बाद भी भारी पड़ रही है। उसके द्वारा टोपी का अपने स्तर पर रंग बदलने के कारण सरकार को हुई क्षति की वसूली का नया तरीका खोज लिया गया है। इसकी वजह से एक बार फिर से टोपी का रंग तो बदल ही दिया गया है साथ ही होमगार्ड सैनिकों को 70 रुपए वाली टोपी 124 रुपए में थमाई जा रही है। दरअसल यह पूरी कवायद लोकायुक्त के उस पत्र के बाद की जा रही है जिसमें लोकायुक्त ने शासन से  भी जवाब मांगा है।
लोकायुक्त द्वारा इस मामले में अब तक की गई कार्रवाई और इस मामले में पीएचक्यू से किए गए पत्राचार और दोषी अधिकारी से इस बारे में वसूली को लेकर जानकारी मांगी गई है। माना जा रहा है की सैनिकों से वसूली कर शासन को हुई आर्थिक हानि की भरपाई की जानकारी लोकायुक्त को दी जाने की तैयारी है। इसी वजह से ही होमगार्ड सैनिकों की टोपी का रंग एक बार फिर बदला गया है। इसकी वजह से विवाद खड़ा हो गया है। रंग बदलने के बाद जो स्टॉक में लगभग 13 हजार टोपियां (खाकी बैरट कैप) थीं, उन्हें सैनिकों को जबरन थमाया जा रहा है। इसके जरिए सरकार को आर्थिक हानि की भरपाई सैनिकों से की जा रही है। पहले होमगार्ड सैनिकों की वर्दी के साथ लगाई जाने वाली टोपी का रंग खाकी था। बाद में तय किया गया कि अब नीले रंग की टोपी लगाई जाएगी।
जब यह फैसला लिया गया था, तब विभाग के स्टाक में 13 हजार खाकी टोपियां रखी थीं। रंग बदलने के कारण उन टोपियों का उपयोग नहीं हो पाया। लिहाजा सारी टोपियां स्टाक में रखी रह गई। उपयोग नहीं होने के कारण सरकार को आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा। इस मामले की जब लोकायुक्त से शिकायत हुई , तो मामला तूल पकड़ गया। अभी इस मामले की जांच चल ही रही है। इस पूरे मामले में होमगार्ड के तत्कालीन डीजी महान भारत सागर भी जांच के दायरे में हैं। जांच के सिलसिले में तत्कालीन डीजीपी विवेक कुमार जौहरी और डीजी होमगार्ड पवन लोकायुक्त में तलब किए जा चुके हैं। इन दोनों ही अफसरों द्वारा दिए गए  जवाब से लोकायुक्त संतुष्ट नहीं हुए और यह माना गया कि इससे शासन को आर्थिक क्षति हुई है। सूत्रों का कहना हैं कि इस मसले को सुलझाने के लिए अब फिर से टोपी का रंग नीला से खाकी कर दिया गया है।
लिहाजा जो खाकी टोपी होमगार्ड के स्टाक में रखी हुई थीं, उन्हें अब सैनिकों को दिया जा रहा है। जब टोपी का रंग नीला किया गया था, तब उसकी तमाम उपलब्धियां गिनाई गई थीं। अब फिर से खाकी टोपी को लागू करने का कोई सार्थक कारण नहीं बताया गया है। बस गृह विभाग ने आदेश जारी कर कहा कि नीली बैरट कैप की व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है और उसकी जगह खाकी बैरट कैप की व्यवस्था को बहाल किया जाता है। गृह विभाग ने यह फैसला होमगार्ड मुख्यालय के प्रस्ताव पर लिया है। मजेदार बात तो यह है कि होमगार्ड सैनिकों की वर्दी के साथ जैसे ही खाकी बैरट कैप को जोड़ा गया, उसके तत्काल बाद होमगार्ड मुख्यालय ने दूसरा प्रस्ताव भेज दिया। नए प्रस्ताव में कहा गया कि खाकी कैप के स्थान पर सैनिकों की वर्दी के साथ नीली बैरट कैप को लागू किया जाए। नए आदेश में कहा गया है कि जब तक नीली बैरट कैप को लागू नहीं किया जाता है, तब तक खाकी बैस्ट कैप लगाना अनिवार्य होगा। सूत्र बताते हैं कि नीली और खाकी टोपी के बीच का खेल बड़ा  है। इसके पीछे की कहानी स्टाक में रखी खाकी टोपी को बेचकर आर्थिक हानि की भरपाई करने का है। वसूली भी सैनिकों से की जा रही है।
पूर्व आईपीएस महान भारत पर कस सकता है शिकंजा
पूर्व आईपीएस महान भारत पर आरोप है कि 2017-19 में होमगार्ड डीजी रहते उन्होंने बगैर राज्य सरकार की अनुमति के 3 सैनिकों की नियुक्तियां कर ली थीं। शिकायत के बाद इन्हें हटाना पड़ा था , लेकिन तब तक इन्हें वेतन भत्तों के रूप में 24 लाख से अधिक का भुगतान किया जा चुका था। इसी तरह से उन पर दूसरा गंभीर आरोप है कि होमगार्ड सैनिकों के लिये स्टोर में 9873 खाकी बैरेट कैप होने के बाद भी उन्होंने शासन की अनुमति लिये बिना खाकी के बजाय नीचे कैप का आदेश जारी कर 12.19 लाख के खाकी कैप अनुपयोगी कर दिये और 19.80 लाख के नीले कैप खरीद लिये। इससे सरकार को कुल 31.98 की आर्थिक हानि हुई। इस मामले में लोकायुक्त में शिकायत दर्ज हो चुकी है जिसके बाद गृह विभाग ने उनके खिलाफ विभागीय जांच कराने का निर्णय लेते हुए आरोप पत्र तैयार कर लिया है, लेकिन वे रिटायर हो गये हैं, इसलिये आरोप देने का अनुमोदन केन्द्रीय गृह मंत्रालय से कराने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।

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