- गौरव चौहान
मप्र में नई सरकार ने पूर्व सरकार में पदस्थ निगम-मंडलों के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों की नियुक्ति निरस्त कर दी है। इसके बावजूद निगम-मंडलों में पदस्थ 10 अध्यक्ष-उपध्यक्ष ऐसे हैं, जो अभी भी पद पर बरकरार हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री सिंधिया समर्थक स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष ऐंदल सिंह कंसाना, लघु उद्योग निगम की अध्यक्ष इमरती देवी और मप्र पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम के अध्यक्ष रघुराज कंषाना की नियुक्तियां निरस्त नहीं की गई हैं।
गौरतलब है कि मप्र शासन ने गत दिवस एक आदेश जारी कर निगम, मंडल और विकास प्राधिकरणों के 45 अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। लेकिन निगम, मंडलों में दस अध्यक्ष, उपाध्यक्ष ऐसे हैं, जिनकी नियुक्तियों पर अभी आंच नहीं आई है। उनकी नियुक्तियां निरस्त नहीं किए जाने को लेकर चर्चा का दौर जारी है। स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष ऐंदल सिंह कंसाना, लघु उद्योग निगम की अध्यक्ष इमरती देवी और मप्र पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम के अध्यक्ष रघुराज कंषाना की नियुक्तियां निरस्त नहीं की गई हैं। इमरती देवी और रघुराज कंषाना सिंधिया समर्थक हैं। ऐंदल सिंह डॉ. मोहन यादव सरकार में कृषि मंत्री हैं।
ये अध्यक्ष भी नहीं हटाए गए
प्रद्युम्न सिंह लोधी- मप्र खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम, प्रदीप जायसवाल- मप्र खनिज विकास निगम, निर्मला बारेला – अनुसूचित जनजाति वित्त विकास निगम, सावन सोनकर- राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम। इसी तरह से जिन उपाध्यक्षों को भी नहीं हटाया गया है उनमें मंजू दादू- राज्य कृषि विपणन बोर्ड, अजय यादव- पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम, रमेश खटीक राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम। इन्हें भी नहीं हटाया तत्कालीन शिवराज सरकार ने चुनाव पूर्व आधा दर्जन समाजों के बोर्ड का गठन कर उनमें अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियां की थी, इन्हें भी अभी नहीं हटाया गया है। एपी श्रीवास्तव को हटाया जाना चर्चा में : राज्य शासन की ओर से निगम, मंडल के जिन 45 अध्यक्ष व उपाध्यक्षों की नियुक्तियां निरस्त की गई हैं, उनमें मप्र भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) के अध्यक्ष एपी श्रीवास्तव भी शामिल हैं। रेरा अध्यक्ष की नियुक्ति सरकार करती है, लेकिन इस पद पर रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट को नियुक्त करने का प्रावधान है। रेरा अध्यक्ष पद पर किसी राजनेता की नियुक्ति नहीं की जा सकती। ऐसे में रेरा अध्यक्ष की नियुक्ति निरस्त किए जाने का निर्णय चर्चा में है।
श्रीमंत समर्थकों को नहीं हटाया
बीते रोज हटाए गए निगम मंडलों के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों में श्रीमंत समर्थकों को शामिल नहीं किया गया है। इससे यह तो तय हो गया है कि सत्ता व संगठन में श्रीमंत का प्रभाव बना हुआ है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जिन नेताओं को उनके पदों से हटाया गया है उनमें से अधिकांश पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पसंद थे। यही नहीं चुनाव के पहले जातिगत समीकरण साधने के लिए गठित किए गए तमाम बोर्ड के अध्यक्ष उपाध्यक्षों को भी नहीं हटाया गया है। इसी तरह से उन नेताओं को भी नहीं हटाया गया है, जो पार्टी से टिकट पाकर विधायक बन चुके हैं। इनमें से एक नेता तो अब मंत्री भी बनाए जा चुके हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं में एक एक पद के सिद्धांत को लेकर भी चर्चाएं शुरु हो गई हैं। माना जा रहा है कि तमाम जातियों को साधने के लिए बनाए गए बोर्डों को लोकसभा चुनाव के बाद भंग किया जा सकता है।
जातिगत बोर्ड भी नहीं किए भंग
गत वर्ष चुनावी साल में सरकार ने तमाम जातियों को और वर्गों को साधने के लिए तत्कालीन शिवराज सरकार ने तमाम जातियों के बोर्ड गठित किए थे। इन्हें भी भंग नहीं किया गया है। इनमें स्वर्ण कला बोर्ड, रजक कल्याण बोर्ड, तेलघानी बोर्ड, विश्वकर्मा कल्याण बोर्ड , कीर समाज कल्याण बोर्ड और ब्राह्मण काल्याण जैसे बोर्ड गठित किए गए थे। इनकी घोषणाएं मुख्यमंत्री निवास में हुई पंचायतों में की गई थीं। इन सभी बोर्ड में अध्यक्ष उपाध्यक्ष के अलावा चार सदस्य भी शामिल किए गए थे। इनका गठन मध्य प्रदेश राज्य कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड के अधीन किया गया था।