
-आखिर कैसे होगा बड़ा तालाब का संरक्षण
-सेप्ट यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में है बड़े तालाब किनारे अतिक्रमण और रसूख के कब्जों की पोल पट्टी
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी भोपाल की लाइफ लाइन बड़े तालाब के संरक्षण के लिए शासन-प्रशासन द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन इसके प्रति ये कितने संवेदनशील हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बड़ा तालाब संरक्षण के लिए एक करोड़ रूपए की लागत से तैयार करवाई गई एक रिपोर्ट पिछले 9 साल से फाइलों में कैद है।
गौरतलब है कि बड़ा तालाब के आसपास बड़ी तेजी से अतिक्रमण बढ़ रहा है। उधर जिला प्रशासन और नगर निगम तालाब के संरक्षण के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं। लेकिन हर साल किसी न किसी रिपोर्ट में बड़ा तालाब की दुर्दशा सामने आती रहती है। जानकारी के अनुसार बड़ा तालाब संरक्षण के लिए अहमदाबाद की सेप्ट यूनिवर्सिटी ने 2013 में रिपोर्ट तैयार की थी। सेप्ट ने मई 2012 में काम शुरू कर मार्च 2013 में रिपोर्ट तैयार कर जिम्मेदारों को दे भी दी थी। इसमें तालाब किनारे अतिक्रमण और रसूख के कब्जों की पोल पट्टियों के साथ उन्हें हटाने की अनुशंसा थी। तालाब के एफटीएल से 300 मीटर तक नो कंस्ट्रक्शन जोन का प्रावधान था। इसलिए ही इसे बस्ते में बंद करके रख दिया गया। अब मार्च 2022 में इसे बने 9 साल पूरे हो गए, लेकिन कोई इस बारे में पूछताछ नहीं कर रहा। 9 साल का लंबा समय बीतने के बावजूद न तो शहरवासियों के सामने इसे लाया गया, न ही इसके प्रावधान लागू किए। सिचाई विभाग के एक्सपर्ट आरएस श्रीवास्तव के अनुसार पिछले 20 सालों में बड़े ताल की उस तरह से देखभाल नहीं कि गई है, जैसी होनी चाहिए थी। तालाब का जलग्रहण क्षेत्र ही घटकर आधा रह गया है। पर्यावरण एक्सपर्ट प्रोफेसर विपिन व्यास का कहना है कि तालाब प्रदेश के दो जिलों में फैला हुआ है। इसके किनारे पर कई एकड़ के खेत हैं, जिनका सिंचाई का पूरा दारोमदार बड़ी झील (अपर लेक) पर ही है। इसे नुकसान पहुंचा तो पर्यावरण का नुकसान तो होगा ही होगा, कई लोगों की आजीविका और परिवार खत्म हो जाएंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि कैचमेंट में निर्माण सख्ती से रोका जाए। जो निर्माण हो चुके हैं, उन्हें हटाया जाए। पूरी तरह से जैविक खेती शुरू कराई जाए। फुल टैंक लेवल पर 50 मीटर के दायरे में पूरा ग्रीन बेल्ट बने। एफटीएल से 300 मीटर तक सभी तरह के निमार्णों पर रोक लगे। आसपास के भौंरी, बकानिया, मीरपुर और फंदा आदि क्षेत्रों में हाउसिंग, कमर्शियल और अन्य प्रोजेक्ट्स पर प्रतिबंध लगाया जाए। कैचमेंट के 361 वर्ग किमी क्षेत्र में फार्म हाउस की अनुमति भी शर्तों के साथ ही दी जाए। वीआइपी रोड पर खानूगांव से बैरागढ़ तक बॉटेनिकल गार्डन, अर्बन पार्क विकसित करें। वन विहार वाले क्षेत्र में गाडियां प्रतिबंधित कर यहां ईको टूरिज्म को बढ़ावा दें। स्मार्ट सिटी फंड की तरह अपर लेक फंड बनाइए। इनके अलावा कैचमेंट में पानी का प्राकृतिक बहाव सिमट रहा है, इसे बढ़ाने का जतन होना चाहिए।
खतरे में तालाब का अस्तित्व
सेप्ट यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट लागू करने सुझाव- आपत्तियां आमंत्रित होती तो कई बड़े निमार्णों और तालाब के अंदर तक जैव विविधता को खत्म करने वाले कामों पर सवाल खड़े होते। शासन- प्रशासन को कार्रवाई करना पड़ती। इससे ही बचने के लिए सेप्ट द्वारा बनाए प्लान को बस्ते में ही बंद रहने दिया गया। नगर निगम और जिला प्रशासन की जांच में बड़े तालाब के एफटीएल के भीतर 573 अतिक्रमण के मामले सामने आए थे। अतिक्रमणों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। यह पहले से अधिक मजबूत और पक्के हो रहे हैं। जानकारों का मानना है कि तालाब के प्राकृतिक तंत्र को बीते सालों में काफी नुकसान पहुंचा है। इसके आसपास स्थित खेतों में रासायनिक घातक कीटनाशकों और उर्वरकों के बेतहाशा उपयोग और जलग्रहण क्षेत्र में धड़ल्ले से अतिक्रमण के साथ हो रहे निर्माण कार्यों ने झील की सेहत बिगाड़ कर रख दी है।
बड़ा तालाब मध्य भारत की एक मात्र रामसर साइट
2002 में बड़ा तालाब को रामसर साइंट घोषित किया गया था। देश भर की कुल 25 रामसर साइट में बड़ा तालाब मध्य भारत की एक मात्र रामसर साइट है। जैव विविधता को बचाने के लिए कई देशों के विशेषज्ञों का ईरान के शहर रामसर में साल 1971 में एक सम्मेलन हुआ था। इसमें नम भूमि को बचाने के लिए कई कदम उठाने पर सहमति बनी थी। दरअसल, ऐसे नदी, समुद्र या तालाब के किनारे, जहां विदेशी पक्षी और जैव विविधता ज्यादा होती है, उसे रामसर साइट घोषित किया जाता है। इसमें कैचमेंट एरिया को बचाने के लिए प्रावधान किए हैं। करीब 1000 साल पुराना मानव निर्मित बड़ा तालाब प्राकृतिक रूप से नम भूमि है। इतने सालों से इसका ईको सिस्टम बरकरार है। बड़े तालाब और इसके कैचमेंट एरिया में करीब 20 हजार से ज्यादा पक्षी आते हैं। इसमें करीब 100 से 120 सारस पक्षी भी आते हैं।