
मोदी के मिशन पर आधारित होगा मप्र का बजट
मप्र विधानसभा का बजट सत्र 10 से 24 मार्च के बीच चलेगा। इस दौरान मोहन सरकार वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश करेगी। मप्र का बजट प्रधानमंत्री के मिशन पर आधारित होगा। बजट में हर वर्ग के विकास पर फोकस होगा। इस बार बजट लगभग 4 लाख करोड़ रुपए का होगा।
विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। केंद्र सरकार के बजट में मिली सौगातों की भरमार के बाद अब मप्र सरकार अपने बजट को अंतिम रूप देने में जुटी हुई है। मप्र विधानसभा का बजट सत्र इस बार 10 से 24 मार्च के बीच चलेगा, जिसमें 9 बैठकें आहूत की गई हैं, जबकि बाकि के 6 दिनों में अवकाश रहेगा। प्रदेश के बजट को लेकर भी हलचल तेज हो गई है। जिसके लिए वित्त विभाग की तरफ से तैयारियां लंबे समय से चल रही थी। बताया जा रहा है कि मप्र का बजट 11 से 13 मार्च के बीच आ सकता है, जहां वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा बजट पेश करेंगे। क्योंकि सत्र की शुरुआत 10 मार्च से हो रही है। ऐसे में संभावना है कि इन्हीं तीन दिनों के अंदर बजट आ सकता है। दरअसल, 24-25 फरवरी को आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के चलते ही बजट सत्र इस बार 10 मार्च से शुरू हो रहा है, नहीं तो आम तौर पर सत्र फरवरी के महीने में ही शुरू हो जाता था। मोहन सरकार के इस बजट से लोगों को उम्मीदें भी बहुत लगी हुई हैं, बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार के तर्ज पर मोहन सरकार भी बजट में कई बड़े ऐलान कर सकती है। बजट सत्र की शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण के साथ होगी, इसी दिन अभिभाषण पर कृतज्ञता प्रस्ताव भी आएगा, उसके बाद 11 मार्च से बैठकें चालू होगी, क्योंकि 13 मार्च के बाद छुट्टी लगेगी इसलिए संभावना है कि 11 से 13 के बीच ही बजट आ जाएगा. 14 मार्च से होली की छुट्टियां शुरू होगी। दरअसल एक तरह से यह मोहन सरकार का पहला पूर्ण बजट होगा, क्योंकि 2023 सरकार दिसंबर में बनी थी, जहां 2024 में फरवरी में ही बजट आ गया था। लिहाजा अब सरकार के कार्यकाल को एक साल पूरा हो चुका है, ऐसे में यह मोहन सरकार के कामकाज को लेकर माना जाए तो पहला पूर्ण बजट होगा।
वहीं बजट सत्र को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने भी तैयारियां शुरू कर दी है, क्योंकि दोनों ही राजनीतिक दलों के पास पर्याप्त मुद्दे है, जहां विपक्ष सरकार को घेरना चाहेगी तो बीजेपी पलटवार के लिए तैयारी है। मप्र बजट 2025 का इंतजार राज्य के हर एक वर्ग को है जिसमे खास तौर पर किसानों, महिलाओं और अब हर किसी को है। इस बार का बजट खासतौर पर किसानों, महिलाओं, युवाओं, और आमजन को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस बजट को समावेशी और प्रगतिशील बनाने की योजना बनाई है। और हम अब आज के इस आर्टिकल में जानने वाले है कि, इस बार के बजट में क्या खास हो सकता है। मप्र में बजट तैयार करने का काम जोरों शोर से है। केंद्रीय बजट से मिले आर्थिक सहयोग को आधार बनाकर, वित्त विभाग ने बजट का खाका तैयार करना शुरू कर दिया है। 15 फरवरी से मुख्यमंत्री मोहन यादव, मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकें शुरू करेंगे, जिनमें बजट को अंतिम रूप दिया जाएगा। और इसके पहले ही पूरा खेल बजट का तैयार हो जायगा। पिछले साल, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, जो वित्त विभाग भी संभालते हैं, ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 3.65 लाख करोड़ रुपए का वार्षिक राज्य बजट पेश किया था। आम चुनाव के कारण, राज्य सरकार ने फरवरी में केंद्र सरकार के दृष्टिकोण का पालन करते हुए एक लेखानुदान पेश किया था। हालांकि, इस बार एक पूर्ण बजट पेश किया जाएगा।
गरीब, नारी, युवा और किसानों पर फोकस
केंद्रीय बजट पेश होने के बाद अब मप्र के अधिकारी राज्य के बजट को बनाने में तेजी दिखाएंगे। माना जा रहा है कि आम बजट मप्र के बजट का आधार बनेगा। इसके आधार पर राज्य बजट का आकार भी निर्धारित होगा। सूत्रों का कहना है कि इस बार बजट चार लाख करोड़ रुपये के आसपास रह सकता है। इसमें गरीब, नारी, युवा और किसानों के लिए विशेष प्रविधान होंगे। मप्र में डबल इंजन की सरकार का असर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। उप मुख्यमंत्री वित्त जगदीश देवड़ा ने कहा कि बजट गरीब कल्याण, युवा कल्याण, नारी शक्ति और किसानों की समृद्धि पर केंद्रित है। विशेष पूंजीगत सहायता योजना का विशेष लाभ होगा, क्योंकि पूंजीगत व्यय के मामले में मप्र का अच्छा प्रदर्शन रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में आवास, किसान क्रेडिट कार्ड में ऋण की सीमा बढ़ाने, सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिए ऋण गारंटी कवर दस करोड़ रुपये करने से प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों का विस्तार होगा। मप्र की डॉ मोहन यादव की सरकार बजट में लाडली बहना को प्रथामिकता देगी। साल 2025-26 का बजट 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। इसमें लाडली बहना योजना और 450 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने जैसी योजना के लिए प्रविधान रहेगा। इसमें महिला एवं बाल विकास विभाग को लगभग 27 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे। इसमें लाडली बहना योजना और 450 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने जैसी योजना के लिए प्रविधान रहेगा। लाडली बहना योजना पर सालभर में लगभग 18 हजार करोड़ रुपये व्यय हो रहे हैं। वित्त विभाग ने सभी विभागों को प्रस्ताव तैयार करने के लिए उन्हें दी जाने वाली अनुमानित राशि भी बता दी है, ताकि वे प्रस्ताव उसके अनुरूप ही तैयार करें।
प्रदेश जीएसडीपी के अनुपात में तीन प्रतिशत तक ही भारतीय रिर्जव बैंक के माध्यम से बाजार से ऋण ले सकता है। आधा प्रतिशत ऋण ऊर्जा के क्षेत्र में सुधार के लिए निर्धारित कदम उठाने के लिए लिया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि मार्च के प्रथम सप्ताह में जब 16वां वित्त आयोग आएगा तो एक बार फिर इस मुद्दे को बेहतर वित्तीय प्रबंधन का हवाला देकर उठाया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि आम बजट से प्रदेश को आगामी वित्तीय वर्ष में मिलने वाली राशि को लेकर स्थिति स्पष्ट हो गई है। इसके आधार पर अब प्रदेश सरकार अपने बजट को अंतिम रूप देने में जुटेगी। यह इस बार चार लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। अब इससे अधिक राशि राज्य को प्राप्त हो रही है। दरअसल, राज्यों को केंद्र सरकार कुल राजस्व का 41 प्रतिशत केंद्रीय करों में हिस्से के रूप में देती है। इसमें मप्र को 7.82 प्रतिशत के हिसाब से राशि मिलती है। वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए यह 95 हजार 753 करोड़ रुपये अनुमानित थी। केंद्रीय करों से प्राप्त राशि के अनुपात में अब राज्य को 5,247 करोड़ रुपये अधिक प्राप्त होंगे। इसका उपयोग सरकार विकास परियोजनाओं को गति देने में करेगी। यह राशि अगले वित्तीय वर्ष में 15,908 रुपये बढक़र मिलेगी। केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए सहायता अनुदान 45 हजार करोड़ रुपये से अधिक मिलेगा। यह लगभग 600 करोड़ रुपये अधिक रहेगा। निश्चित ही इसका असर योजनाओं के क्रियान्वयन पर पड़ेगा। बजट में सरकार ने अधोसंरचना विकास को गति देने के लिए विशेष पूंजीगत सहायता योजना को निरंतर रखने का निर्णय लिया है। प्रदेश में पूंजीगत व्यय लगातार बढ़ाया जा रहा है। वर्ष 2024-25 में 15 हजार करोड़ रुपये प्राप्त करने के लक्ष्य रखा गया था। 6,187 करोड़ रुपये मिल चुके हैं और सात हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव भेजे गए हैं। सरकार को उम्मीद है कि आगामी वित्तीय वर्ष में भी 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक इस योजना में प्रदेश को मिल जाएंगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में 64,738 करोड़ रुपये पूंजीगत निवेश का लक्ष्य रहा है।
राहतों वाला बजट
मप्र का बजट राहतों वाला होगा। सरकार अपने बजट में सभी वर्गों को राहत देने की तैयारी कर रही है। सरकार की लाड़ली बहना योजना के तहत महिलाओं को आर्थिक सहायता देना जारी रखेगी। और कई नए प्रावधानों के साथ मौजूदा चल रही लाड़ली बहना योजना की राशि में बढ़ोत्तरी भी देखी जा सकती है। केंद्र के बजट के अनुसार किसानों को ज्यादा लोन मिलेगा। अब राज्य के 66 लाख से ज्यादा किसानों को 3 लाख की जगह 5 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त ऋण मिलेगा। इससे खेती की लागत कम होगी और उत्पादन बढ़ेगा। कुल मिलकर रूस्क्क के साथ-साथ किसानों को अन्य लाभ भी देखने को मिलने वाले है जिससे किसान वर्ग आगे बढ़ सकेंगे। अगले एक साल में मप्र में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 21 तक पहुंच जाएगी। 12 नए कॉलेज खुलने से 2,000 अतिरिक्त मेडिकल सीटें उपलब्ध होंगी। छात्र वर्ग के लोगो के लिए यह अच्छी खबर होगी और इसके साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में नए उछाल देखने को मिलने वाले है।राज्य में एक कैंसर सेंटर बनने की उम्मीद है। इसके साथ ही, डे केयर सेंटर भी खोले जाएंगे। जैसा की देखा जा सकता है कि इस बार का बजट राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के साथ-साथ आम जनता के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का वादा करता है। गरीब, युवा, महिलाएं और किसान – हर किसी को इस बजट से उम्मीदें हैं। एमपी बजट 2025 न केवल योजनाओं का विस्तार करेगा, बल्कि राज्य की प्रगति की दिशा में एक नया अध्याय भी जोड़ेगा।
प्रदेश में लागू किए जाने वाले चार मिशन के लिए पिछले दिनों मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित चिंतन बैठक में युवा, महिला, गरीब और किसानों के लिए संचालित योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया गया। केंद्रीय योजनाओं का शत प्रतिशत क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए बजट में राज्यांश रखा जाएगा। उधर, वित्त विभाग ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि ऐसी योजनाएं, जिनकी प्रकृति एक जैसी है, उन्हें आपस में मिलाने पर विचार किया जाए। साथ ही जिनके लक्ष्य पूरे हो चुके है, उन्हें बंद किया जाएगा। प्रदेश की मोहन सरकार के बजट युवा, महिला, गरीब और किसान पर केंद्रित होगा। इन वर्गों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के लिए प्राथमिकता के आधार पर वित्तीय प्रविधान रहेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि इन वर्गों को लेकर संचालित केंद्रीय योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ हितग्राहियों को दिलाने के लिए तीन वर्ष की कार्ययोजना बनाएं। प्रदेश का वर्ष 2024-25 का बजट 3 लाख 65 हजार करोड़ रुपये से अधिक का है। 22 हजार करोड़ रुपये के अनुपूरक बजट के माध्यम से भी विभागों को अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराई गई है। इसे देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि वर्ष 2025-26 का बजट चार लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो चार जातियां गरीब, किसान, युवा और महिला, बताई हैं, उसको ही केंद्र में रखा जाएगा। बजट का खाका भी युवा, महिला, गरीब और किसानों के लिए चलाए जाने वाले मिशन को आगे बढ़ाने की दृष्टि से खींचा जा रहा है। सभी विभागों में इन चारों वर्गों के लिए संचालित योजनाओं के लिए आवश्यकता के अनुसार प्रविधान होंगे। बजट में इन्हें अलग से प्रदर्शित भी किया जाएगा और एक विभाग को नोडल बनाया जाएगा। यह ठीक कृषि, चाइल्ड और जेंडर बजट जैसा होगा। इसमें अलग से बताया जाता है कि किस वर्ग के लिए क्या वित्तीय प्रविधान किए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि बजट में युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम को बढ़ावा देने, स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहन की व्यवस्था के लिए प्रविधान प्रस्तावित किए जाएंगे। किसानों के लिए धान में प्रोत्साहन राशि प्रति हेक्टेयर दो हजार रुपये रखने के साथ प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने, पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए भी राशि रखी जाएगी। इसी तरह महिला और गरीबों के लिए प्रविधान होंगे। 15 जनवरी तक इसका खाका तैयार कर माह के अंत में मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
जल जीवन मिशन में नई उम्मीदें
जल जीवन मिशन की मियाद बढ़ाए जाने से मप्र को 20,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिल सकते हैं। इस धनराशि का उपयोग राज्य के 36 लाख घरों में नल से जल पहुंचाने के लिए होगा। और अब राज्य के हर एक घर में नल से जल जाने का सपना भी इस मिशन और नए बजट के साथ पूरा हो जायेगा। जल जीवन मिशन केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीणों के घरों तक शुद्ध जल पहुंचाना था। इसमें करोड़ों रुपये तो खर्च किए गए, लेकिन आज भी कई क्षेत्र है जहां ग्रामीणों को पीने के पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। इसकी डेडलाइन मार्च, 2024 रखी गई थी। इसको देखते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के दौरान जल जीवन मिशन की अवधि 2028 तक बढ़ाने की घोषणा की है। सरकार ने सभी घरों तक नल से जल पहुंचाने के उद्देश्य से जल जीवन मिशन की अवधि बढ़ाई है। केंद्र सरकार के इस फैसले से अन्य राज्यों के साथ मप्र को भी फायदा होगा। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन का उद्देश्य ग्रामीणों के घरों में नल के जरिए पानी पहुंचाना है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में टंकियों का निर्माण कार्य शुरू किया गया। लोगों के घरों तक पाइपलाइन बिछाए भी गए, लेकिन कई गांवों में आज तक पानी की टंकी ही पूरी नहीं बन पाई है। जो बनी है, वह भी आधी अधूरी है। लेकिन अब जल जीवन मिशन को पूरा करने नई डेडलाइन दी गई है। इसके तहत 2028 तक जल जीव मिशन को पूरा करना है।
गौरतलब है कि मप्र में जल जीवन मिशन का काम अधूरा पड़ा है। मिशन में प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र के एक करोड़ 11 लाख घरों तक नल से जल पहुंचाए जाने का लक्ष्य है। जल जीवन मिशन की शुरुआत से अब तक इनमें से 5 साल में करीब 69 लाख घरों में नल से पानी की सप्लाई शुरू हो गई है। यह लक्ष्य का लगभग 63 प्रतिशत है। मप्र को शेष 42 लाख घरों तक नल से पानी पहुंचाने के लिए अब चार साल का समय और मिल गया है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में कोरोना काल में दो साल तक जल जीवन मिशन का काम प्रभावित रहा, इस कारण तय समय सीमा में मिशन का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। वर्तमान में जल जीवन मिशन के प्रोजेक्ट में कोई बाधा नहीं है। वर्ष 2028 से पूर्व जल जीवन मिशन का काम पूरा होने के आसार हैं। जुलाई, 2022 में मप्र का बुरहानपुर देश का पहला हर घर जल प्रमाणित जिला बना था। जून, 2023 में निवाड़ी प्रदेश का दूसरा हर घर जल प्रमाणित जिला घोषित हुआ था। यानी इन दोनों जिलों के हर घर में नल से पानी की सप्लाई की जा रही है। इंदौर में भी लगभग जल जीवन मिशन का काम पूरा हो गया है। जल्द ही इसे हर घर जल प्रमाणित जिला घोषित किया का सकता है। मप्र में जल जीवन मिशन सवालों के घेरे में रहा है। मप्र विधानसभा के जुलाई के मानसून सत्र और दिसंबर में आयोजित शीतकालीन सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने मिशन में अनियमतता के आरोप लगाते हुए सरकार को घेरा था। विधायकों की सबसे ज्यादा शिकायतें मिशन में व्याप्त भ्रष्टाचार, पाइप लाइन बिछाने के बाद सडक़ों का रेस्टोरेशन नहीं किए जाने और ठेकेदारों द्वारा काम पूरा नहीं किए जाने को लेकर थीं। मानसून सत्र में विधायकों ने जल जीवन मिशन के मुद्दे पर 100 से ज्यादा सवाल पूछे थे। मप्र में जल जीवन मिशन योजना में 51 हजार से ज्यादा गांव शामिल किए गए हैं। इन गावों में एक करोड़ 11 लाख घर हैं। अब तक 69 लाख घरों में पानी की सप्लाई की जा चुकी है। शेष 42 लाख गांव बचे हैं, जहां 2028 तक पानी की सप्लाई करनी है। पीएचई मंत्री संपतिया उईके का कहना है कि जल जीवन मिशन की अवधि बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री का आभार। प्रदेश में जल जीवन मिशन का काम सुचारू रूप से चल रहा है। करीब 40 लाख घरों में नल कनेक्शन होना बाकी है। मिशन की अवधि 2028 तक बढ़ा दी गई है। इस अवधि में काम पूरा कर लिया जाएगा।
सोशल इम्पैक्ट बांड शुरू करने की तैयारी
मप्र सरकार अपने आगामी राज्य बजट में सोशल इम्पैक्ट बांड लाने की तैयारी में है। यह बजट लगभग 4 लाख करोड़ रुपए का होने का अनुमान है। सोशल इम्पैक्ट बांड के लिए लगभग 20 करोड़ रुपए का प्रावधान किया जा सकता है। यह बजट एक महीने के अंदर पेश किया जाएगा। इस बजट में पहली बार जीरो-बेस्ड बजटिंग तकनीक अपनाई जाएगी। साथ ही, जनता के लिए बजट को समझने में आसानी हो, इसके लिए हिंदी और अंग्रेजी में एक हैंडआउट भी जारी किया जाएगा। सामाजिक प्रभाव बांड के तहत सरकार और निवेशकों के बीच एक अनुबंध होता है। इसमें सरकार बेहतर सामाजिक परिणामों के लिए भुगतान करती है। जो बचत होती है, उसका एक हिस्सा निवेशकों के साथ साझा करती है। ये बांड सामाजिक लक्ष्यों की प्राप्ति पर निर्भर करते हैं। अगर लक्ष्य पूरे नहीं होते हैं, तो निवेशकों को कोई रिटर्न नहीं मिलता है। निवेशक आमतौर पर वे होते हैं जो वित्तीय रिटर्न और सामाजिक प्रभाव, दोनों में रुचि रखते हैं। ये बांड नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया के सोशल स्टॉक एक्सचेंज सेगमेंट के माध्यम से लॉन्च किए जाएंगे। सोशल स्टॉक एक्सचेंज सामाजिक उद्यमों को एक मान्यता प्राप्त एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण और धन जुटाने की अनुमति देता है। इनमें गैर-लाभकारी संगठन और लाभकारी उद्यम दोनों शामिल हैं।
अधिकारियों ने पुष्टि की है कि इस बजट से सोशल इम्पैक्ट बांड को शुरू करने की तैयारी चल रही है। इन्हें सामाजिक न्याय, शिक्षा और आदिवासी कल्याण जैसे विभागों के सरकारी प्रोजेक्ट में पेश किया जाएगा। विशिष्ट विभाग और फोकस क्षेत्र अभी तय नहीं हुए हैं। लेकिन नशा मुक्ति केंद्र, आश्रय गृह और स्कूलों जैसे क्षेत्रों पर विचार किया जा रहा है। इस बजट में मप्र पहली बार जीरो-बेस्ड बजटिंग तकनीक अपनाएगा। इसके तहत विभागों को सभी खर्चों को नए सिरे से सही ठहराना होगा। इसके परिणामस्वरूप, 1,900 से अधिक बजट लाइनों को सुधारा गया है। साथ ही अप्रयुक्त बजट मदों को दक्षता में सुधार के लिए चल रही योजनाओं में मिला दिया गया है। बजट को और अधिक सुलभ बनाने के लिए, सरकार हिंदी और अंग्रेजी में एक हैंडआउट जारी करेगी। यह हैंडआउट जनता को बजट संबंधी शब्दों और प्रावधानों को समझने में मदद करेगा। सरकार को इस साल जनता से 1,500 से अधिक बजट सुझाव मिले हैं। यह बजट को और अधिक जन-हितैषी बनाने के सरकार के उद्देश्य को दर्शाता है।
मप्र बजट में दिखेगी केंद्र की झलक
आम बजट के बाद अब राज्य में बजट की माथापच्ची तेज होगी। केंद्रीय करों में मिलने वाले हिस्से और आर्थिक सहायता को बड़ी राहत मानते हुए वित्त विभाग के अफसर बजट को तैयार कर रहे हैं। सीएम 15 फरवरी से मंत्रियों और वरिष्ठ अफसरों के साथ बैठकों का दौर शुरू करेंगे। इन्हीं बैठकों में बजट को अंतिम रूप दिया जाएगा। बजट में गरीब, नारी, युवा और किसानों के लिए विशेष प्रावधान किए जाएंगे। बजट का आकार बढक़र चार लाख करोड़ तक होने का अनुमान है। मध्यप्रदेश में केंद्र की विशेष सहायता से वित्तीय स्थिति को मजबूती मिलेगी। लाड़ली बहना योजना जैसी योजनाओं के चलते सरकार को हर माह करीब डेढ़ हजार करोड़ का खर्च करने पड़ रहे हैं। केंद्रीय सहायता मिलने से खजाने पर बोझ कम होगा। केंद्र ने 50 साल के लिए ब्याज मुक्त ऋण पर अतिरिक्त कर्ज लेने की सुविधा भी दी है। कर्ज एफआरबीएम की तीन प्रतिशत की लिमिट से 0.5 फीसदी ज्यादा होगा। केंद्रीय बजट में सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 योजना की घोषणा की गई है। योजना आकांक्षी जिलों में शुरू होगी। इसमें एमपी के 8 जिले शामिल हैं। खासतौर पर किशोरी बालिकाओं के लिए वित्तीय सहायता मिलेगी। राज्य में युवा, नारी, किसान और गरीब मिशन पर काम हो रहा है। बजट की कमी नहीं आने दी जाएगी। इसलिए इस वर्ग के लिए बजट बढ़ाया जा रहा है।
केंद्र और राज्य में डबल इंजन की सरकार का असर अब स्पष्ट रूप से सामने आने लगा है। वर्ष 2025-26 में केंद्रीय करों के हिस्से में 1,11,661 करोड़ रुपये मिलेंगे यानी वर्तमान वित्तीय वर्ष की तुलना में 15,908 करोड़ रुपये राज्य को अधिक मिलेंगे। इतना ही नहीं विभिन्न केंद्रीय योजनाओं में सहायता अनुदान 45 हजार करोड़ रुपये के आसपास मिलेगा। दोनों राशि को मिला दिया जाए तो प्रदेश को आगामी वित्तीय वर्ष में डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक मिलेंगे। वहीं, 2024-25 के पुनरीक्षित अनुमान के अनुसार केंद्रीय करों के हिस्से में अब 5,247 करोड़ रुपये अतिरिक्त प्राप्त होंगे। जीएसटी के बाद प्रदेश के बजट का मुख्य आधार केंद्र सरकार से मिलने वाली सहायता होता है। वर्ष 2024-25 के बजट में एक लाख 40 हजार करोड़ रुपये के आसपास केंद्रीय करों में हिस्सा और केंद्रीय सहायता अनुदान मिलने का अनुमान लगाया गया था। अब इससे अधिक राशि राज्य को प्राप्त हो रही है। दरअसल, राज्यों को केंद्र सरकार कुल राजस्व का 41 प्रतिशत केंद्रीय करों में हिस्से के रूप में देती है। इसमें मप्र को 7.82 प्रतिशत के हिसाब से राशि मिलती है।
वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए यह 95 हजार 753 करोड़ रुपये अनुमानित थी। केंद्रीय करों से प्राप्त राशि के अनुपात में अब राज्य को 5,247 करोड़ रुपये अधिक प्राप्त होंगे। इसका उपयोग सरकार विकास परियोजनाओं को गति देने में करेगी। यह राशि अगले वित्तीय वर्ष में 15,908 रुपये बढक़र मिलेगी। केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए सहायता अनुदान 45 हजार करोड़ रुपये से अधिक मिलेगा। यह लगभग 600 करोड़ रुपये अधिक रहेगा। निश्चित ही इसका असर योजनाओं के क्रियान्वयन पर पड़ेगा।
बजट में सरकार ने अधोसंरचना विकास को गति देने के लिए विशेष पूंजीगत सहायता योजना को निरंतर रखने का निर्णय लिया है। प्रदेश में पूंजीगत व्यय लगातार बढ़ाया जा रहा है। वर्ष 2024-25 में 15 हजार करोड़ रुपये प्राप्त करने के लक्ष्य रखा गया था। 6,187 करोड़ रुपये मिल चुके हैं और सात हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव भेजे गए हैं। सरकार को उम्मीद है कि आगामी वित्तीय वर्ष में भी 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक इस योजना में प्रदेश को मिल जाएंगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में 64,738 करोड़ रुपये पूंजीगत निवेश का लक्ष्य रहा है। राज्य सरकार ने बजट पूर्व बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री के समक्ष सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के अनुपात में चार प्रतिशत तक ऋण लेने की अनुमति देने की मांग रखी थी, लेकिन इसे नहीं माना गया। प्रदेश जीएसडीपी के अनुपात में तीन प्रतिशत तक ही भारतीय रिर्जव बैंक के माध्यम से बाजार से ऋण ले सकता है। आधा प्रतिशत ऋण ऊर्जा के क्षेत्र में सुधार के लिए निर्धारित कदम उठाने के लिए लिया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि मार्च के प्रथम सप्ताह में जब 16वां वित्त आयोग आएगा तो एक बार फिर इस मुद्दे को बेहतर वित्तीय प्रबंधन का हवाला देकर उठाया जाएगा। राज्य सरकार सूत्रों का कहना है कि आम बजट से प्रदेश को आगामी वित्तीय वर्ष में मिलने वाली राशि को लेकर स्थिति स्पष्ट हो गई है। इसके आधार पर अब प्रदेश सरकार अपने बजट को अंतिम रूप देने में जुटेगी। यह इस बार चार लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 15 फरवरी के पहले बजट को लेकर मंत्रियों और अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। जल जीवन मिशन में वर्ष 2023-24 में 10,773 करोड़ रुपये व्यय किए गए थे। 2024-25 में 17 हजार करोड़ रुपये का व्यय अनुमानित है। अभी 2,622 करोड़ रुपये की किस्त मिली है। 1,422 करोड़ रुपये की दूसरी किस्त मांगी गई है। राज्य बजट से लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराई गई है। मिशन की अवधि बढ़ाने से मिशन के अपेक्षित लक्ष्य की प्राप्ति में सहायता मिलेगी। उधर, स्कूली बच्चों में साइंस, टेक्नोलाजी, इंजीनियरिंग और गणित के प्रति रुचि जगाने के लिए अटल टिंकरिंग प्रयोगशाला और माध्यमिक स्कूलों में ब्राडबैंड सुविधा के प्रविधान का लाभ भी मप्र को होगा।