नया मप्र गढ़ रहे शिवराज

 शिवराज
  • प्रदेश में तेजी से आत्मनिर्भर बन रहे युवा

आज जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नया भारत की परिकल्पना को साकार कर रहे हैं, वहीं मप्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नया मप्र गढ़ रहे हैं। उनकी कोशिश है कि अब इस प्रदेश में कोई भी गरीब, बेरोजगार और पिछड़ा न रहे। इसके लिए उन्होंने आत्मनिर्भर मप्र अभियान चलाया है। जिसका परिणाम यह हो रहा है कि प्रदेश के युवा तेजी से आत्मनिर्भर बन रहे हैं। प्रदेश में सरकारी और निजी नौकरियों की भरमार हो गई है। जिसमें युवा अपनी योग्यता अनुसार नौकरी पा रहे हैं। वहीं बड़ी संख्या में युवा सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अपना कारोबार स्थापित कर रहे हैं।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
2005 में जब शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री का पद संभाला था तो मप्र की गिनती बीमारू राज्यों में होती थी। तभी से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संकल्प लिया था कि प्रदेश को अव्वल बनाना है। इसी का परिणाम है कि मप्र ने पिछले डेढ़ दशक में विकास के नए आयाम स्थापित कर विकसित राज्य की पहचान बना ली है। मप्र की सुशासन और विकास रिपोर्ट 2022 के अनुसार राज्य में आए बदलाव से मप्र बीमारू से विकसित प्रदेशों की पंक्ति में उदाहरण बन कर खड़ा हुआ है। इस महती उपलब्धि में प्रदेश में जन-भागीदारी से विकास के मॉडल ने अहम भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कुशल नेतृत्व में केन्द्र और राज्य की डबल इंजन सरकार ने मप्र को अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय बना दिया है। इस अरसे में सडक़, बिजली, पानी, कृषि, पर्यटन, जल-संवर्धन, सिंचाई, निवेश, स्व-रोजगार और अधो-संरचना विकास के साथ उन सभी पहलुओं पर सुविचारित एवं सर्वांगीण विकास की नवीन गाथा लिखी गई जो जन-कल्याण के साथ विकास के लिए जरूरी हैं। आज मप्र विकास की नई बुलंदियों को छू रहा हैं। कोई क्षेत्र अब अछूता नहीं। चाहे बेरोजगार युवाओं के सपने हो या फिर मां की कोख से लाड़ली के जन्म से लेकर उसकी शादी और घर बसाने का इंतजाम। सीएम शिवराज सिंह चौहान के राज में इस राज्य ने नए मप्र की शक्ल ले ली हैं। अतिशयोक्ति नहीं, लेकिन यह कहना इसलिए भी लाजमी है। क्योकि करीब डेढ़ दशक पूर्व पढ़े-लिखे नौजवानों को दूसरे राज्यों में नौकरी के भटकना पड़ता था। कोई हुनर रखने वालों अपनी जीविका चलाने अग्नि परीक्षा देना पड़ता था। पर अब तस्वीर बदल गई हैं। जो सरकार के वादों के साथ उभरी हैं। हर कदम पर तमाम प्रतिस्पर्धाओं के बीच मप्र के युवाओं को अपने राज्य में ही नौकरी के अवसर मिल रहे हैं। वो भी सरकारी। जो इससे वंचित हैं, उनकों स्किल के हिसाब से बेहतरीन रोजगार के अवसर शिवराज सरकार मुहैया करा रही हैं। इससे जरुरतमंद हर नौजवान के चेहरों पर मुस्कान बिखर रही हैं। हाल ही में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने विभिन्न शासकीय विभागों में चयनित लगभग 2 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरित किए। जिस दौर में सरकारी नौकरी मिलना आसान न हो, उस दौर में मप्र सरकार युवाओं के सपनों को पूरा करने में अपना दम लगाए हैं।

सीखो-कमाओ योजना बनाएगी भविष्य
राज्य में युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिवराज सरकार ने सीखो और कमाओ योजना के पंजीयन की शुरुआत करने जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने युवाओं को कौशल विकास के साथ ही लर्न एंड अर्न की तजऱ् पर ऑन जॉब ट्रेनिंग की सुविधा के लिए मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना की लागू की है। मुख्यमंत्री ने चार जुलाई को इस योजना में युवा आवेदकों के पंजीयन की प्रक्रिया की शुरुआत की। अनुमान के मुताबिक ऐसे युवाओं की संख्या 40 लाख से उपर हो सकती है, क्योंकि 18 से 21 की आयु के मतदाताओं की संख्या 30 लाख है। इस योजना में 18 से 29 साल तक के युवाओं को लाभार्थी बनाया गया है, स्पष्ट है कि इससे लाभावितों के दायरे में आने वाले युवाओं की संख्या 50 लाख से अधिक होगी। इस तरह एक तरफ जहां आधी आबादी महिलाओं को लुभाने की कोशिश हो रही है, वही किसानों को सुविधाएं दी जा रही है और अब पढे लिखे युवाओं पर दाव चला गया है। इस योजना में युवाओं को उद्योगों के साथ सर्विस सेक्टर में कौशल प्रशिक्षण दिलाते हुए स्टाइपेंड की व्यवस्था की गई है। युवाओं को नवीनतम तकनीक और प्रक्रिया से व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रथम चरण में एक लाख युवाओं को रोजग़ारोन्मुखी कौशल में प्रशिक्षित किए जाने का लक्ष्य है। प्रशिक्षण के दौरान युवाओं को आठ हजार से 10 हजार रूपये प्रतिमाह स्टाइपेंड प्राप्त होगा। प्रशिक्षण के बाद निर्धारित परीक्षा उत्तीर्ण करने पर अथवा फॉर्मेटिव एसेसमेंट के बाद मप्र राज्य कौशल विकास एवं रोजगार बोर्ड द्वारा स्टेट काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। इसके लिए योजना से कंपनियों और सर्विस सेक्टर को जोड़ा गया है।
इस योजना में देश एवं प्रदेश के ऐसे औद्योगिक एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान पात्र होंगे, जिनके पास पैन और जीएसटी पंजीयन है। इनमें 23 अन्य राज्य के प्रतिष्ठान भी शामिल हैं। प्रतिष्ठानों द्वारा लगभग 34 हजार 690 वेकेन्सी(प्रशिक्षण की सीट) क्रिएट की जा चुकी है। मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना में 18 से 29 वर्ष आयु तक के मध्यप्रदेश के स्थानीय निवासी युवा पात्र हैं, जिनकी शैक्षणिक योग्यता 12वीं, आईटीआई उत्तीर्ण या उससे उच्च है। चयनित युवा छात्र, प्रशिक्षणार्थी कहलाए जाएंगे। प्रत्येक कोर्स के लिए देय स्टाइपेंड का निर्धारण प्रावधानित न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के आधार पर किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि प्रदेश में आरंभ की गई मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना स्किल डिमांड और स्किल सप्लाय के बीच के गैप को मिटाकर भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस योजना से उद्योगों, सर्विस सेक्टर और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की जरूरत के अनुसार युवाओं को काम सीखने का मौका मिलेगा और व्यावसायिक संस्थानों को काम के लिए रेडी वर्कफोर्स उपलब्ध होगा। यह योजना युवाओं और व्यावसायिक संस्थानों दोनों के लिए ही समान रूप से उपयोगी और लाभकारी है। मुख्यमंत्री का कहना है कि युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देना, उनके साथ न्याय नहीं है। प्रदेश के युवाओं में प्रतिभा और क्षमता है, हम उनका उद्योगों की आवश्यकता के अनुसार कौशल उन्नयन कर युवाओं को प्रदेश के विकास में सहभागी बनाना चाहते हैं। कौशल सीखने के दौरान युवाओं को आर्थिक अभाव न रहे, इस उद्देश्य से स्टायपेंड की व्यवस्था भी की गई है। यह युवाओं को पंख देने की योजना है ताकि वे अपने सपने पूरे करने के लिए ऊंची उड़ान भरने में सक्षम और आत्मनिर्भर बनें।

खुला सरकारी नौकरियों का पिटारा
मप्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही सरकार ने इस साल सरकारी नौकरियों का पिटारा खोल दिया है। जानकारी के अनुसार, प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों में इस साल अगस्त तक करीब एक लाख सरकारी भर्तियां होंगी। गौरतलब है कि लाडली बहना योजना के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने युवाओं के लिए सीखो-कमाओ योजना लांच की है। राजधानी भोपाल के रवीन्द्र भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान ने योजना लांच की है। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस योजना के तहत 15 अगस्त से पहले एक लाख सरकारी भंर्तियां करेंगे। प्रदेश में युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मिशन रोजगार के तहत हर युवा को नौकरी देने का वादा किया है। इसके लिए जहां प्रदेशभर में रोजगार मेलों का आयोजन किया जा रहा है, वहीं सरकारी नौकरियों के अवसर भी दिए जा रहे हैं। इसी कड़ी में सरकार इस साल करीब 50 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी देने की तैयारी कर रही है। बताया जाता है कि इसके लिए कई विभागों ने प्रस्ताव बनाकर कर्मचारी चयन मंडल को भेज दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 15 अगस्त 2022 को मैंने घोषणा की थी कि एक साल में एक लाख सरकारी भर्तियां की जाएंगी, अब तक 55 हजार भंर्तियां की जा चुकी हैं। इस 15 अगस्त से पहले 1 लाख से ज्यादा सरकारी भर्तियां हो जाएंगी।
आरक्षकों के बाद पुलिस उप निरीक्षकों की भर्ती भी जल्द शुरू होगी। इसके लिए पुलिस मुख्यालय नियमावली तैयार कर रहा है। इसे इसी माह के अंत तक कर्मचारी चयन मंडल को भेजा जाएगा। मंडल द्वारा अगस्त में 500 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी हो सकता है। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के पहले भर्ती प्रक्रिया पूरी करने की तैयारी है। पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने बताया कि शारीरिक दक्षता के मापदंड पहले की तरह ही रहेंगे। इतना जरूर है कि पहली बार शारीरिक दक्षता परीक्षा के अंक जोडक़र प्रावीण्य सूची बनाई जाएगी। पुलिस मुख्यालय ने इन पदों पर भर्ती के लिए प्रस्ताव पिछले वर्ष राज्य कर्मचारी चयन मंडल को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन मंडल के पास अन्य परीक्षाओं का दबाव होने के कारण लगभग आठ माह बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है। लिखित परीक्षा और शारीरिक दक्षता परीक्षा आचार संहिता लागू होने के पहले कराने की तैयारी है लेकिन इसी बीच आरक्षकों की भर्ती के लिए भी शारीरिक दक्षता परीक्षा होगी। इस कारण कोई एक परीक्षा आगे बढ़ानी पड़ सकती है। आचार संहिता लागू होने के पहले भर्ती नहीं हो पाई तो फिर अगले वर्ष फरवरी-मार्च तक ही भर्ती हो पाएगी। बता दें कि जिन विभागों से मंडल में भर्तियों के प्रस्ताव पहुंचे हैं, वहां राज्य से लेकर ब्लाक स्तर पर कर्मचारियों कमी थी। इस कमी से सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का कार्य भी प्रभावित होता रहा है। सरकार की समीक्षाओं में भी अधिकारी अमले की कमी का पक्ष रखते रहे हैं। इधर मुख्यमंत्री के भी सख्त निर्देश हैं कि विभागों में खाली पदों पर भर्तियों का अभियान चलाया जाए। ताकि बेरोजगारों को रोजगार मिले और काम भी गति पकड़ सके। कर्मचारी चयन मंडल की कंट्रोलर डॉ. हेमलता का कहना है कि करीब एक दर्जन विभागों से भर्तियों के प्रस्ताव आए हैं। इन विभागों में विभिन्न पदों के लिए कम्बाइड परीक्षा करवाई जाएगी। करीब 50 हजार पदों पर भर्तिया होंगी। इसके लिए प्रक्रिया चल रही है।

कम्बाइंड परीक्षा की जाएगी आयोजित
सरकार के दिशा निर्देश पर इस साल प्रदेश के करीब 50 हजार से अधिक बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। दर्जन भर विभाग ऐसे हैं, जहां से विभिन्न पदों को भरने के लिए कर्मचारी चयन मंडल में प्रस्ताव पहुंचे हैं। इनका बिंदुवार परीक्षण किया जा रहा है। इसके बाद कम्बाइंड परीक्षा आयोजित की जाएगी। अफसरों का दावा है कि सितंबर तक भर्ती प्रक्रिया संपन्न हो जाएगी। मंडल अधिकारियों के अनुसार स्वास्थ्य, कृषि, आईटीआई, महिला बाल विकास विभाग, लोक निर्माण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, जल संसाधन, ग्रामीण यांत्रिकी, पुलिस, वन, खनिज जैसे विभागों में रिक्त पदों पर भर्तियां कराई जाएंगी। अधिकारियों का कहना है कि तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी से लेकर वरिष्ठ पदों पर भर्तियां होंगी। 13 विभागों ने रिक्त पदों को भर्ती परीक्षा के माध्यम से भरने के लिए प्रस्ताव भेजे हैं। इन प्रस्तावों का परीक्षण चल रहा है। प्रस्तावों की बिंदुवार जांच करने के उपरांत मौजूदा वर्ष में ही यह परीक्षाएं संपन्न कराई जाएंगी। बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि इन विभागों में सितम्बर तक परीक्षाएं संपन्न करवाना अनुमानित है। जिन विभागों से प्रस्ताव आए हैं। उन डिपार्टमेंट के अधिकारियों के साथ बैठकें हो रही हैं। बैठकों में पूरी नियम पद्धति पर चर्चाएं होंगी। इसके बाद संवर्गवार पदों पर होने वाली भर्तियों की रूलबुक जारी होगी। सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों को फॉलो करते हुए ही रूलबुक तैयार की जाएगी। यह संपूर्ण प्रक्रिया चल रही है। अधिकारियों का कहना है कि परीक्षाएं डिजिटल सिस्टम में पारदर्शी तरीके से संपन्न हों। यही कोशिश की जा रही है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के वादों और घोषणाओं पर यदि गौर करें तो प्रदेशभर में 1 लाख सरकारी नौकरी देने का वादा किया था। इनमें से अभी तक 55 हजार भर्तियां हो चुकी हैं। शेष लगभग 50 हजार नियुक्तियां 15 अगस्त तक और करने का दावा किया गया हैं। ये सभी एक लाख बेरोजगार युवा राज्य शासन का हिस्सा बन जाएंगे। साथ ही सरकार के भरोसे का एक अध्याय और लिख जाएगा। नौकरी के अवसर मुहैया कराने वाले सरकार के मुखिया शिवराज की भी तमन्ना है कि मप्र सर्वश्रेष्ठ राज्य बनकर दूसरों के लिए प्रेरणा बनें। लगातार नौकरी-रोजगार मुहैया करा रही शिवराज सरकार भी भावनाएं और साफ नियत भी झलकती नजर आ रही हैं। सार्वजनिक मंचों से कहा जा रहा है कि नौकरी पाने वाले युवा अपनी जिम्मेदारी को सिर्फ ‘रोजगार’ से न तौले। उनकी नियुक्ति जनता की सेवा की गारंटी हैं। अपने साथ जरुरतमंदों को आगे बढ़ाने की दिल में तड़प बनी रही। इसी संकल्प शक्ति के साथ जीते हुए हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी निभाए। इससे नई पीढ़ी के मन में भी शासन तंत्र के प्रति आत्म-विश्वास बढ़ेगा और समृद्ध विकसित प्रदेश के सही मापदंड स्थापित हो सकेंगे।

स्वरोजगार स्थापना के लिए आर्थिक मदद
प्रदेश में अनुसूचित जाति के युवा शासन की योजनाओं का लाभ लेकर आत्मनिर्भर बन सकेंगे। राज्य शासन द्रारा व्यापार-व्यवसाय, उद्योग तथा सेवा ईकाईयों की स्थापना के लिये 20 हजार रुपये से लेकर 50 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। इंदौर जिले में इस वर्ष अनुसूचित जाति के 700 युवाओं को लाभान्वित करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसमें दो योजनाओं में ऋण लेने के लिए युवा आवेदन कर सकेंगे। राज्य शासन द्वारा अनुसूचित जाति के युवाओं को स्वरोजगार स्थापना में मदद देने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं। अनुसूचित जाति के युवाओं को खुद का व्यापार स्थापित करने के लिए ऋण उपलब्ध कराया जायेगा। इसके लिये इच्छुक युवाओं से ऑनलाइन आवेदन मंगाये गये हैं। जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति इंदौर के कार्यपालन अधिकारी का कहना है कि मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम भोपाल से अनुसूचित जाति के युवाओं को लाभान्वित करने के लिये विभिन्न योजनाओं के तहत लक्ष्य प्राप्त हो गये हैं।
जानकारर के अनुसार युवाओं को दो योजनाओं में ऋण मिलेगा। पहली है संत रविदास स्वरोजगार योजना। इस योजना में 200 युवाओं को लाभान्वित किया जाएगा। इसमें 1 लाख रुपये से लेकर 50 लाख रुपये तक का ऋण उद्योग परियोजनाओं की स्थापना के मिलेगा। वहीं एक लाख रुपये से लेकर 25 लाख रुपये तक का ऋण सेवा ईकाई एवं व्यवसाय के लिए मिलेगा। इसके लिए आवेदक की आयु 18 से 40 वर्ष तथा न्यूनतम 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक हैं। परिवार की वार्षिक आय 12 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिये। राज्य शासन द्वारा ब्याज अनुदान 5 प्रतिशत की दर से अधिकतम 7 वर्षों तक नियमित रूप से ऋण भुगतान की शर्त पर देय होती है। दूसरी है डा. भीमराव अम्बेडकर आर्थिक कल्याण योजना। इसमें 500 युवाओं को लाभान्वित किया जाएगा। योजना में 10 हजार रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक का ऋण सेवा ईकाई एवं खुदरा व्यवसाय के लिए मिलेगा। आवेदक की उम्र 18 से 55 वर्ष होना चाहिए तथा आयकरदाता भी न हो। ब्याज अनुदान शेष ऋण पर 7 प्रतिशत की दर से अधिकतम 5 वर्षों तक नियमित रूप से भुगतान की शर्त पर देय होगा।

51 माह का बैकलॉग होगा खत्म
मप्र लोक सेवा आयोग (एमपी पीएससी) ने सवा चार साल (करीब 51 माह) से पेंडिंग राज्य सेवा परीक्षाओं के तमाम बैकलॉग को खत्म करने पर अमल शुरू कर दिया है। इनमें राज्य सेवा परीक्षा-2019 के इंटरव्यू कराने से लेकर 2020 की नियुक्तियां, 2021 और 2022 की मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू और 2023 की नई भर्तियों का विज्ञापन जारी करने का शेड्यूल शामिल है। सारा शेड्यूल आगे भी पटरी पर रहे, इस पर पीएससी का फोकस है। हालांकि अभी सारे इंटरव्यू और चयन सूची 87-13 प्रतिशत को लेकर तैयार किए गए तय फॉर्मूले के आधार पर ही आयोजित करेगा। पीएससी के डॉ. रवींद्र पंचभाई के अनुसार 2021 की मुख्य परीक्षा इसी माह है। समय पर रिजल्ट देकर आगे इंटरव्यू भी तय समय पर करवाने का प्रयास होगा। 2022 की मुख्य परीक्षा भी इसी साल है। उसका रिजल्ट भी तय समय पर देंगे और इंटरव्यू भी प्लानिंग के अनुसार ही होंगे। 2019 के इंटरव्यू की तारीख आ चुकी है। 2020 की फाइनल सिलेक्शन लिस्ट जारी कर चुके हैं।
9 अगस्त से 2019 के इंटरव्यू होंगे दिसंबर अंत तक 2023 की नई भर्तियां भी आ जाएंगी। राज्य सेवा मुख्य परीक्षा-2021-17 से 22 जुलाई तक आयोजित की जाएगी। 30 अगस्त तक रिजल्ट घोषित करने की तैयारी है। सितंबर अंत या अक्टूबर की शुरुआत में इंटरव्यू भी आयोजित हो जाएंगे। अक्टूबर अंत तक फाइनल चयन सूची भी जारी हो जाएगी। इस परीक्षा से कुल 283 पद भरे जाएंगे। राज्य सेवा मुख्य परीक्षा-2022- 30 अक्टूबर से 4 नवंबर तक यह होगी। दिसंबर के पहले या दूसरे सप्ताह में रिजल्ट भी जारी हो जाएगा। दिसंबर अंत तक इंटरव्यू की तारीख आ जाएगी। 21 मई को राज्य सेवा व वन सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2022 हो चुकी है। इसमें कुल 442 पद हैं। राज्य सेवा परीक्षा-2019- फाइनल इंटरव्यू 9 अगस्त से आयोजित करेगा। यह महीनेभर से भी ज्यादा समय तक चलेंगे। ओबीसी आरक्षण का मामला हाई कोर्ट में लंबित होने के कारण पीएससी ने दो भागों में अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए चयनित किया है। मुख्य भाग में 1460 तथा प्रावधिक भाग में 523 अभ्यर्थी इंटरव्यू के लिए चयनित किए गए हैं। इसमें कुल 571 पद हैं। राज्य सेवा परीक्षा-2020- फाइनल चयन सूची आ चुकी है। अब शासन स्तर पर अफसरों की नियुक्तियां होना है। 87 प्रतिशत पदों के हिसाब से कुल 260 में से 221 पदों की चयन सूची आई है। बाकी 13 फीसदी के लिए 39 पदों पर कोर्ट के फैसले के बाद चयन सूची जारी होगी। पीएससी ने फरवरी में मुख्य परीक्षा का रिजल्ट जारी किया था। 27 अप्रैल से 19 मई तक इंटरव्यू आयोजित किए थे। राज्य सेवा परीक्षा-2023- इस साल 31 दिसंबर से पहले इसका विज्ञापन जारी हो जाएगा। पीएससी की तैयारी फरवरी अंतिम सप्ताह या मार्च के पहले सप्ताह में परीक्षा आयोजित कराने की है।

हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा मप्र
आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में पहले प्रति व्यक्ति आय 11 हजार रूपए थी, जो अब बढ़ कर एक लाख 40 हजार रूपए हो गई है। मध्यप्रदेश की जीएसडीपी पहले 71 हजार करोड़ रूपए थी, जो अब बढक़र 15 लाख करोड़ रूपए हो गई है। बिजली का उत्पादन 2900 मेगावॉट से बढ़ कर 28 हजार मेगावॉट हो गया है। चारों तरफ विकास और प्रगति के कार्य हो रहे हैं। रोजगार और कौशल, सिंचाई, शहरों के विकास, पेयजल, पंचायत, ग्रामीण विकास, ऊर्जा, वन सहित हर दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। मप्र को आगे बढ़ाने की अनंत संभावनाओं को पूरा करने में युवाओं का ही रिकॉर्ड योगदान सामने आया हैं। बेहतर वित्तीय प्रबंधन और चौतरफा विकास से आज प्रदेश की विकास दर 19.7 प्रतिशत है, जो देश में सर्वाधिक है। देश की अर्थव्यवस्था में मप्र 4.6 प्रतिशत का योगदान दे रहा है। सकल घरेलू उत्पाद में बीते दशक में 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मप्र की आर्थिक वृद्धि दर निरंतर बढ़ रही है। वर्ष 2001-02 में 4.43 प्रतिशत की दर आज बढ़ कर 16.43 प्रतिशत हो गई है प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद 71 हजार 594 करोड़ रुपये से बढक़र 13 लाख 22 हजार 821 रुपये हो गया है। वर्ष 2001-02 में प्रति व्यक्ति आय 11 हजार 718 रूपये थी, जो वर्ष 2022-23 में बढ़ कर एक लाख 40 हजार 583 रूपये हो गई है। राज्य की जीएसडीपी की वृद्धि दर विगत एक दशक में राष्ट्रीय जीडीपी वृद्धि दर से अधिक रही है। विकास प्रक्रिया में अधो-संरचना के महत्व के मद्देनजर मध्यप्रदेश में निरंतर अधो-संरचना विकास हो रहा है। अधो-संरचना बजट जो वर्ष 2002-03 में 3873 करोड़ रूपए था, वह वर्ष 2023-24 में बढक़र 56 हजार 256 करोड़ रुपए हो गया है। एक समय था जब बिजली आती कम थी और जाती ज्यादा थी। आज प्रदेश बिजली क्षेत्र में आत्म-निर्भर है और 24 घंटे बिजली की उपलब्धता है। वर्ष 2003 में ऊर्जा क्षमता 5173 मेगावाट थी, जो बढ़ कर 28 हजार मेगावाट हो गई है।
नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी मप्र अग्रणी है। ओंकारेश्वर में लगभग 3500 करोड़ के निवेश से 600 मेगावाट का फ्लोटिंग सोलर सोलर पॉवर प्लांट का कार्य प्रारंभ हो गया है। किसानों के खेतों में 50 हजार सोलर पंपों की स्थापना का लक्ष्य है। विश्वधरोहर साँची बहुत जल्द सोलर सिटी के रूप में विकसित होकर देश में अपनी अलग पहचान बनाएगा। अच्छी सडक़ें विकास की धुरी होती है। एक समय था, तब यह पता ही नहीं चलता था कि सडक़ में गड्डे हैं या गड्डे में सडक़ है। अब गांव-गांव, शहर-शहर अच्छी गुणवत्तायुक्त सडक़ों का जाल बिछाया गया हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2001-02 में 44 हजार किलोमीटर सडक़ें थी, अब 4 लाख 10 हजार किलोमीटर सडक़ें बन गई हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना में लगभग 1500 किलोमीटर लंबाई के 40 हजार करोड़ की लागत के 35 कार्य स्वीकृत हैं। अटल, नर्मदा और विंध्य प्रगति पथ के साथ मालवा, बुंदेलखंड और मध्य विकास पथ निर्मित किए जा रहे हैं। प्रदेश में कृषि को लाभ का धंधा बनाना के लिए सिंचाई क्षमताओं का निरंतर विकास किया जा रहा है। वर्ष 2003 में सिंचाई क्षमता केवल 7 लाख 68 हजार हेक्टेयर थी, जो वर्ष 2022 में बढ़ कर 45 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गई है। वर्ष 2025 तक सिंचाई क्षमता को बढ़ा कर 65 लाख हेक्टेयर किये जाने पर भी तेजी से काम किया जा रहा है। हर घर जल से नल योजना पर तेज गति से कार्य हो रहा है, अभी तक लगभग 50 प्रतिशत घरों तक नल से जल पहुँच चुका है। आजादी के अमृत काल में प्रदेश में अब तक 5936 से अधिक अमृत सरोवर का निर्माण किया जा चुका है। केन-बेतवा लिंक परियोजना के प्रथम चरण में बांध, लिंक नहर तथा पॉवर हाउस का निर्माण कार्य इस वर्ष प्रारंभ होगा। अटल भू-जल योजना में भी लगभग 700 ग्राम पंचायतों में वॉटर सिक्युरिटी प्लान बनाए गए हैं। अधो-संरचना, खेती-किसानी तथा किसान-कल्याण के क्षेत्र में प्रदेश की प्रगति और विकास की यह कहानी तो एक बानगी है। प्रदेश में पिछला डेढ़ दशक हर क्षेत्र में प्रगति, विकास और लोगों की तरक्की-खुशहाली का गवाह है।

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