भ्रष्टाचार के मामले में तीन विभाग फेर रहे सीएम की मंशा पर पानी

 तीन विभाग
  • दो साल में लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वत लेते 254 कर्मचारियों को दबोचा…

    भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा किए जाने वाले तमाम प्रयासों पर सूबे के आधा दर्जन विभागों के कर्मचारी और अधिकारी मिलकर पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यही वजह है कि इन विभागों का अमला रिश्वत लेते सबसे अधिक पकड़ा जा रहा है। सबसे अहम बात यह है कि इन विभागों की कमान भी श्रीमंत के बेहद करीबी मंत्रियों के पास है। इसमें भी राजस्व विभाग सभी विभागों को लगातार पीछे छोड़ रहा है। यह वो विभाग है जिससे आम आदमी को सबसे अधिक काम पड़ता है। यह खुलासा हुआ है लोकायुक्त पुलिस द्वारा पकड़े गए ढाई सौ से अधिक कर्मचारी और अधिकारियों के आंकड़े से। इसके बाद भी इस महकमे के मुखिया से लेकर मंत्री तक बेफिक्र बने हुए हैं। जो आंकड़े सामने आए हैं उसमें सबसे ज्यादा कर्मचारी व अधिकारी राजस्व विभाग के ही पकड़े गए हैं। इसके बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास और नगरीय प्रशासन विभाग का नंबर आता है। दरअसल अफसरशाही भी इस तरह के मामलों में नकेल कसने में रुचि नहीं लेती है। यही वजह है कि इस तरह के मामलों में जब भी चालान पेश करने की बारी आती है तो या तो संबधित विभाग द्वारा अनुमति नहीं दी जाती है या फिर उसे इतना लटका कर रखा जाता है कि संबधित कर्मचारी सेवानिवृत्त हो जाता है। बीते दो साल में लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वत लेते पकड़े गए एक भी कर्मचारी और अधिकारी के खिलाफ बर्खास्त करने की अनुशंसा नहीं की है। जीएडी ने 1 जनवरी 2020 से 2 दिसम्बर 2021 के बीच रंगे हाथों पकड़े गए विभिन्न विभागों के कर्मचारी और अधिकारियों की सूची तैयार कराई है। इसके अनुसार कुल 254 मामले हैं। सबसे ज्यादा राजस्व विभाग के 66 प्रकरण हैं। इनमें भी सबसे अधिक पटवारी रिश्वत लेते पकड़े गए हैं। खास बात यह है कि रिश्वत लेने वालों में पटवारी से लेकर एसडीएम तक शामिल हैं। बीते दो साल में लोकायुक्त पुलिस द्वारा 254 मामलों में कर्मचारियों को रिश्वत लेते पकड़ा है। इनमें से अभी 234 मामलों में विवेचना जारी है, जबकि 10 मामले में अभियोजन के लिए लंबित हैं। 3 मामलों में अभियोजन मंजूरी मिलने पर पुन: परीक्षण किया जा रहा है जबकि 3 मामले पूरक विवेचना में है।
    रिश्वत लेने वालों की बानगी
    छिंदवाड़ा जिले में पदस्थ पीडब्ल्यूडी के एसडीओ विजय चौहान तीन लाख के बिल को मंजूर कराने के एवज में 2.40 लाख की रिश्वत लेते पकड़े गए। इसी तरह से  सतना जिले के मैहर में पटवारी सीमांकन के लिए दो हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़े गए। हाउसिंग बोर्ड कर्मचारी प्रहलाद श्रीवास्तव पक्के मकान के निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए चार हजार रुपए के साथ पकड़े गए।  बिजली चोरी के एक मामले को सुलझाने के बदले एक लाख रुपए की रिश्वत लेते विद्युत कंपनी में कार्यपालिक अभियंता अखिलेश प्रसाद त्रिवेदी लोकायुक्त के हाथ आए।  सागर में लोक निर्माण विभाग में पदस्थ एसडीओ मुलायम प्रसाद अहिरवार ने बीना के एक ठेकेदार से खुरई व मालथौन में बनाए गए इनडोर स्टेडियम के रनिंग कार्य के एवज में भुगतान किए जाने के बदले रिश्वत मांगी। वे बीस हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार हुए। हाल ही में भोपाल नगर निगम के उप स्वास्थ्य अधिकारी संजय श्रवण के लिए रिश्वत लेते हुए उनका एक अधीनस्थ कर्मचारी भी पकड़ा गया। इसके बाद दोनों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर छापे की कार्रवाई की गई है।
    किस विभाग के कितने मामले
    रिश्वत लेने के अगर विभागवार मामले देखे जाएं तो राजस्व विभाग के 66 ,पंचायत एवं ग्रामीण विकास के 33 ,नगरीय प्रशासन के 23 ,स्वास्थ्य एवं आयुष विभाग के 15, सहकारिता विभाग के 10, गृह विभाग विभाग के 20, स्कूल शिक्षा के 12 एवं वन विभाग के 11 मामले सामने आए हैं।

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