नई दिल्ली। कर्नाटक के मैसूर में कांग्रेस कार्यालय में आयोजित एससी-एसटी कार्यकर्ताओं और नेताओं की बैठक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया शामिल हुए। इस बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वह भाजपा में कभी भी शामिल नहीं होंगे, इसके लिए भले ही पार्टी की तरफ से उन्हें राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री पद की पेशकश क्यों न की जाए। इसी के साथ सिद्धारमैया ने लोकसभा उम्मीदवार एम. लक्षमण के लिए वोट की अपील की। सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि राजनीतिक शक्ति तभी आती है, जब हमारे पास वैचारिक स्पष्टता हो। लोगों को भाजपा-आरएसएस के झांसे में नहीं आना चाहिए। शूद्र-दलित और महिलाओं के लिए आरएसएस में समान अवसर नहीं है।
सिद्धारमैया ने कहा, “देवगौड़ा, जिन्होंने कहा था किअगर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे तो वह देश छोड़ देंगे, लेकिन आज वही कह रहे हैं कि उनका पीएम मोदी के साथ अटूट रिश्ता है।” उन्होंने आगे कहा कि भाजपा और आरएसएस सामाजिक न्याय के खिलाफ हैं। वे आरक्षण को पसंद नहीं करते हैं। आरक्षण कोई भीख नहीं है, यह उत्पीड़ित समुदायों का अधिकार है।
“जब तक समाज में जाति व्यवस्था मौजूद है, तब तक आरक्षण रहना चाहिए। आजादी और ब्रिटिश काल से पहले क्या शूद्रों को शिक्षा का अधिकार था? महिलाओं के पास कोई अधिकार थे? अपने पति की मृत्यु के बाद महिलाएं खुद को जिंदा जला लेती थी। मनुस्मृति से प्रभावित ऐसी कुप्रथाओं को हमारे संविधान में प्रतिबंधित किया गया था। लेकिन अब वे मनुस्मृति को वापस लाना चाहते हैं।” सीएम सिद्धारमैया ने लोगों से इस बात को समझने की अपील की है।
सिद्धारमैया ने बताया कि आरएसएस में शूद्र-दलित और महिलाओं को समान अवसर नहीं दिया जाता है। भाजपा के वरिष्ठ नेता नानजे गौड़ा और गुलिहट्टी शेखर ने खुद बताया कि उन्हें आरएसएस में विशेष तबज्जो नहीं दी जाती है। यहां केवल शूद्रों का इस्तेमाल किया जाता है। महिलाओं, शूद्रों और दलतों को आरएसएस में शामिल होने का अधिकार नहीं है।