नई दिल्ली। मल्लिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के जवाब में इसे पूरी तरह कागजी और सामाजिक मुद्दों को संबोधित करने में असफल बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण से उन्हें गहरी निराशा हुई। खरगे ने पीएम मोदी और एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साधा। खरगे ने चुनावी भाषणों के लिए मोदी की आलोचना की और सत्तारूढ़ भाजपा के वैचारिक अभिभावक आरएसएस के खिलाफ भी आरोप लगाए। हालांकि उनकी अधिकांश टिप्पणियों को सभापति जगदीप धनखड़ ने कार्यवाही से हटा दिया। धनखड़ ने कहा कि आरएसएस राष्ट्र के लिए काम करने वाला संगठन है। खरगे ने चुनावी रैलियों में मोदी की टिप्पणियों का जिक्र किया और एक आंकड़ा पेश किया कि उन्होंने कितनी बार अल्पसंख्यकों और पाकिस्तान का नाम लिया। सभापति ने उनसे अपने दावों को प्रमाणित करने को कहा और कांग्रेस नेता की ओर से दिखाए गए अखबारों की कतरनों को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया। इस पर खरगे के समर्थन में पी चिदंबरम भी बोले लेकिन सभापति ने उनको भी अनसुना कर दिया।
देश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर खरगे ने आरएसएस पर कुछ आरोप लगाए। इस पर धनखड़ ने कहा, टिप्पणियां हटा दी गई हैं क्योंकि राष्ट्रवादी गतिविधियों में लगे संगठन आरएसएस पर आरोप लगाना उचित नहीं है। क्या किसी संगठन का सदस्य होना अपराध है? आप कह रहे हैं कि कोई खास व्यक्ति आरएसएस का सदस्य है, क्या यह अपने आप में अपराध है? संघ राष्ट्र के लिए काम करने वाला संगठन है। द्रमक नेता ए राजा ने सोमवार को कहा कि सरकार जाति गणना कराए, तभी हिंदूओं का एकीकरण संभव है। उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए समानता और समावेश की जरूरत पर बल दिया। राष्ट्रपति के अभिभाषण धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में चर्चा के दौरान राजा ने जाति आधारित जनगणना की जरूरत पर बल देते हुए तर्क दिया कि हिंदुओं का वास्तविक एकीकरण केवल जातिगत असमानताओं को स्वीकार कर और उनका समाधान करके ही हासिल किया जा सकता है।