नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि अब किसी में हमारी सीमाओं और हमारी सेना का अपमान करने की हिम्मत नहीं है। हमने अपनी सीमाओं की चाक चौबंद सुरक्षा करने के लिए बहुत कुछ कर लिया है और बाकी किया जा रहा है। पहले कश्मीर, पूर्वोत्तर और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र तीन नासूर थे, लेकिन अब हमें इन तीनों जगहों पर हिंसा में 70% तक की कमी लाने में सफलता प्राप्त हुई है। आज इन तीनों जगहों पर भारतीय एजेंसियों का संपूर्ण वर्चस्व है। गृह मंत्री शाह ने राष्ट्रीय राजधानी में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 2023 बैच (76 आरआर) के प्रशिक्षुओं से संवाद किया। शाह ने कहा, अब अपनी मांग और परिवर्तन की आकांक्षा दोनों लोकतांत्रिक प्रक्रिया से करने का संस्कार नीचे तक पहुंचे हैं। इस कारण पहले दिखने वाले बड़े-बड़े आंदोलन अब समाप्त हो गए हैं। अब समय आ गया है कि हमारे नागरिकों के मूलभूत अधिकारों की सुरक्षा के लिए पुलिस तंत्र आगे आए।
गृह मंत्री शाह ने कहा, राष्ट्र की सुरक्षा का मतलब सिर्फ सीमा की सुरक्षा नहीं होता। राष्ट्र भूमि से और कानूनी तरीके से बनता है, परंतु राष्ट्र व्यक्तियों और नागरिकों से बनता है। नागरिक की सुरक्षा ही राष्ट्र की सुरक्षा का मूल बिंदु है। उन्होंने कहा कि जब वे सुरक्षा की बात करते हैं तो यह व्यक्ति की प्रॉपर्टी या उसके शरीर की सुरक्षा तक सीमित नहीं है बल्कि हमारे संविधान ने उसे जो उसको अधिकार दिए हैं उसकी सुरक्षा भी इसमें निहित हो जाती है। गरीब से गरीब व्यक्ति को इस देश के प्रधानमंत्री जितने अधिकार दिए गए हैं, इसकी सुरक्षा की ढेर सारी जिम्मेदारी पुलिस अधिकारियों पर है। इस दौरान प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारियों ने ट्रेनिंग से जुड़े अपने अनुभव शाह से साझा किए।
गृह मंत्री शाह ने कहा, प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारियों को यह चिंता और चिंतन करना चाहिए कि वे किस समय पर आईपीएस अधिकारी बने हैं। ऐसा इस लिए कि इस वक्त जो बैच आईपीएस अधिकारी बनकर बाहर आएगा, उस पर पिछले 75 बैचों से ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी होगी। उनके व उनके बाद आने वाले बैचों पर पूरा दारोमदार है कि हमारा देश एक स्केल बदल कर आने वाली पीढ़ी के लिए पुलिसिंग में प्रवेश करेगा या नहीं। गृह मंत्री ने कहा, देश के 99% थाने ऑनलाइन हो चुके हैं, ऑनलाइन डाटा जनरेट हो चुका है। तीन नए कानूनों से अनेक प्रावधानों में आमूलचूल बदलाव किया गया है। नए कानूनों में समय पर न्याय, दोष सिद्धि का प्रमाण बढ़ाने और टेक्नोलॉजी के अधिक से अधिक उपयोग पर जोर दिया गया है। वैज्ञानिक साक्ष्य अनिवार्य करने के कारण वैज्ञानिक पहले प्रॉसीक्यूशन को अनेक प्रकार के साक्षी खड़े करने पड़ते थे अब इसकी जरूरत नहीं है और अब साइंटिफिक एविडेंस के आधार पर दोष सिद्ध कर सकते हैं। उन्होंने कहा, नए कानूनों में न्यायिक प्रक्रिया को समयबद्ध किया गया है।
गृह मंत्री शाह ने कहा, पांच साल में पूरे देश के हर थाने में टेक्नोलॉजी के इंस्टॉलेशन, सॉफ्टवेयर के निर्माण और ट्रेनिंग सहित नए कानूनों को पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा। उसके बाद एफआईआर दर्ज होने के बाद न्याय की प्रक्रिया 3 साल के अंदर समाप्त हो जाएगी। नए कानूनों में अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी को समाहित किया गया है। ई-समन का उदाहरण देते हुए कहा कि इसमें आने वाले 100 साल की टेक्नोलॉजी को समाहित करने वाले प्रावधान किए गए हैं। शाह ने कहा, तीन नए कानून में हमने नागरिकों के अधिकारों को भी सुरक्षित किया है। पुलिस हिरासत में कितने लोग हैं, इसकी ऑनलाइन घोषणा करनी पड़ेगी। 90 दिन के अंदर आरोपपत्र दाखिल करना होगा। छापों और जब्ती की वीडियोग्राफी करानी पड़ेगी। नफीस पर फिंगरप्रिंट के डाटा के साथ ही आतंकवाद और नशा का डाटा अलग से जनरेट किया है। गृह मंत्री ने प्रशिक्षुओं को मंत्र देते हुए कहा, ऐसा कोई काम नहीं है जिसमें सुधार नहीं हो सकता और जो महत्वपूर्ण नहीं है। आप इसे गांठ बांध लेंगे तो जीवन में बहुत सारी निराशा दूर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि युवा पुलिस अधिकारी जिस जिले के एसपी हो, वह जिला वर्षों तक उनके अच्छे कामों को याद रखे, वही सबसे बड़ा मैडल होगा। सभी युवा अधिकारियों को देश विरोधी गतिविधियों को समाप्त करने के लिए सख्त रुख के साथ काम करना होगा। पुलिस के जहन में हमेशा राष्ट्र की सुरक्षा होनी चाहिए।