नई दिल्ली। ममता बनर्जी ने नीट के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इस पत्र में ममता बनर्जी ने नीट को समाप्त करने की मांग की है। बंगाल सीएम ने लिखा है कि नीट को समाप्त कर पुरानी व्यवस्था लागू की जाए। उल्लेखनीय है कि पुरानी व्यवस्था के अंतर्गत राज्य सरकारों द्वारा नीट परीक्षा का आयोजन कराया जाता था। पत्र में ममता बनर्जी ने लिखा कि ‘नीट परीक्षा में पेपर लीक होने, परीक्षा कराने वाले अधिकारियों द्वारा रिश्वत लेने, छात्रों को ग्रेस मार्क्स देने आदि के गंभीर आरोप लग रहे हैं। इन आरोपों पर तुरंत ध्यान देने और पूरी निष्पक्षता से जांच कराने की जरूरत है। इन घटनाओं से लाखों छात्रों का भविष्य प्रभावित हो रहा है। ऐसी घटनाएं न सिर्फ देश में मेडिकल परीक्षा की गुणवत्ता से समझौता हैं बल्कि इसका देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।’ ममता बनर्जी ने मांग की कि नीट की पुरानी व्यवस्था लागू की जाए, जिसके तहत राज्य सरकार परीक्षा कराएं।
उन्होंने लिखा कि साल 2017 से पहले राज्यों को मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए अपनी प्रवेश परीक्षाएं कराने की मंजूरी थी और केंद्र सरकार भी प्रवेश परीक्षा कराती थी। यह व्यवस्था आराम से काम कर रही थी और इसमें ज्यादा परेशानी भी नहीं थी। राज्य सरकार आमतौर पर हर डॉक्टर पर करीब 50 लाख रुपये खर्च करती है, ऐसे में राज्य सरकार को ही मेडिकल छात्रों को चुनने की आजादी मिलनी चाहिए। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने पूरी नीट परीक्षा को केंद्रीकृत कर दिया है और बिना राज्य सरकारों की संलिप्तता के मेडिकल कोर्सों में होने वाले एडमिशन पर अपना पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया है। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य और संघीय ढांचे का उल्लंघन है।
बंगाल सीएम ने ये भी आरोप लगाया कि मौजूदा सिस्टम की वजह से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है और इससे सिर्फ अमीरों को फायदा मिला है और गरीब और मध्यम वर्ग के छात्रों को इससे सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। गौरतलब है कि एनटीए द्वारा आयोजित कराई गई नीट परीक्षा को लेकर धांधली के आरोप लग रहे हैं। आरोप है कि नीट का पेपर लीक हुआ है और इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां भी हुई हैं। सीबीआई नीट पेपर लीक की जांच कर रही है। नीट के कथित पेपर लीक के तार बिहार, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों से जुड़ रहे हैं। मामले पर सुप्रीम कोर्ट भी सुनवाई कर रहा है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक परीक्षा की काउंसलिंग पर रोक नहीं लगाई है। यही वजह है कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बावजूद लाखों छात्र संशय में फंसे हुए हैं।