पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में ममता ने समीक्षा बैठक में शुभेंदु की मौजूदगी पर उठाया सवाल

नरेंद्र मोदी

बिच्छू डॉट कॉम। चक्रवाती तूफान यास से हुए नुकसान को लेकर बीते हफ्ते हुई समीक्षा बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी को आधे घंटे से ज्यादा समय तक इंतजार करवाने का मुद्दा ठंडा पड़ता नहीं दिख रहा है। इस मामले के बाद केंद्र सरकार ने बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंधोपाध्याय को दिल्ली तलब किया था। हालांकि, बंधोपाध्याय ने ऐसा नहीं किया बल्कि वह सोमवार को नाबन्ना यानी बंगाल के सचिवालय पहुंचे। मामले में खुद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी अब केंद्र पर सवाल खड़े कर रही हैं। इस संबंध में उन्होंने पीएम मोदी को एक चिट्ठी भी लिखी है और बीते हफ्ते हुई बैठक में एक स्थानीय विधायक को भी शामिल करने को लेकर आपत्ति दर्ज की है। बता दें कि इस बैठक में बीजेपी के शुभेंदु अधिकारी भी शामिल हुए थे। ममता ने पीएम मोदी को लिखी इस चिट्ठी में कहा, ‘आपने बैठक में अपनी पार्टी के स्थानीय विधायक को शामिल कर पीएम-सीएम की संरचना बदल दी। मैं अपने 40 साल के अनुभव के आधार पर कह सकती हूं कि पीएम-सीएम बैठक में स्थानीय विधायक को शामिल करने का कोई अर्थ नहीं। आपने बैठक में राज्यपाल और कुछ केंद्रीय मंत्रियों को भी बुलाया, राज्यपाल की इस बैठक में कोई भूमिका नहीं है, लेकिन उनके पद की गरिमा का ध्यान रखते हुए मैंने इसका विरोध नहीं किया। मगर एक विधायक को इस बैठक में शामिल करना अस्वीकार्य है।’

ममता ने आगे लिखा है, ‘मेरे राज्य के मुख्य सचिव बैठक से पहले इस मुद्दे को सुलझाने के लिए लगातार आपके साथ तैनात वरिष्ठ अधिकारी को संदेश भेजते रहे। हालांकि, कई मेसेज करने के बावजूद हमें सकारात्मक परिणाम या कोई जवाब नहीं मिला।’ ममता ने कहा, ‘आखिरकार मैंने अपनी आपत्तियों को किनारे करते हुए अपने मुख्य सचिव के साथ बैठक में हिस्सा लिया ताकि हमारे राज्य की रिपोर्ट आपको सौंप सकें। आपने खुद मेरे हाथ से वह रिपोर्ट ली। इसके बाद मैं आपसे मंजूरी मांगकर तूफान प्रभावित दीघा के दौरे के लिए निकली। आपने मुझे मंजूरी भी दी। यह मामला वहीं खत्म हो जाना चाहिए था।’ ममता ने आगे लिखा है, ‘शाम में अचानक से मुख्य सचिव को दिल्ली तलब किया गया। यह फैसला दुर्भावनापूर्ण इरादे से लिया गया।’ ममता ने चिट्ठी में पीएम मोदी से मुख्य सचिव को दिल्ली तलब किए जाने वाले आदेश पर फिर से विचार करने को कहा है। ममता ने इस चिट्ठी में यह भी साफ कर दिया है कि बंगाल सरकार इस मुसीबत के समय में अपने मुख्य सचिव को कार्यमुक्त नहीं कर सकती और न ही वह ऐसा कर रही है। 

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