नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समझने के लिए दिमाग से ज्यादा दिल की जरूरत है। यह कहना है कि आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले का। उन्होंने संगठन के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के योगदान और समाज के लिए दिए गए उनके संदेश को समझाया। होसबले शुक्रवार को संसद परिसर में स्थित जीएमसी बालयोगी सभागार में “मैन ऑफ द मिलेनिया; डॉ. हेडगेवार” पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में पहुंचे थे।
विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि डॉ. हेडगेवार एक जन्मजात देशभक्त थे। वे ब्रिटिश शासन के कारण देशभक्त नहीं थे। वह देशभक्त इसलिए थे क्योंकि उन्हें लगता था कि इस देश में जन्म लेना देशभक्त होना उनका कर्तव्य और उनकी जिम्मेदारी है। हेडगेवार एक अप्रतिबद्ध और सक्रिय देशभक्त थे। वह देश के लिए कुछ भी करने को तैयार थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। उन्हें दो बार जेल भेजा गया। होसबले ने कहा कि हमेशा कहता हूं संघ को दूर से न समझें। संघ के करीब आएं और उसे देखें। अगर आपको पसंद न आए तो चले जाएं। संघ को समझने के लिए दिमाग की जरूरत है। लेकिन दिमाग से ज्यादा दिल की जरूरत है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर ने हेडगेवार को एक शानदार स्वतंत्रता सेनानी बताया है। उन्होंने हेडगेवार को स्वतंत्र इच्छा वाला व्यक्ति होने के साथ-साथ एक समर्पित और प्रतिबद्ध राष्ट्रवादी भी बताया है। हेडगेवार पूर्ण स्वतंत्रता के समर्थक थे। वह राष्ट्र-निर्माता और विचारक थे। वे लाखों लोगों के लिए प्रेरणा थे।
बता दें, 1908 के आस-पास की बात है। केशव पुणे में स्थित हाई स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे। एक दिन उन्होंने वंदेमातरम गाना गाया और इस वजह से उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया। क्योंकि उस दौरान वंदेमातरम गाना ब्रिटिश सरकार के सर्कुलर का उल्लंघन माना जाता था। इसके बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और 1915 में वो डॉक्टर के रूप में नागपुर लौटे।