भाजपा ने उद्धव के मुख्यमंत्री पद की मांग स्वीकार कर ली होती तो चुप रहते : राज ठाकरे

कंकावली (महाराष्ट्र)। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे शनिवार को एक रैली को संबोधित करते हुए अपने चचेरे भाई और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर हमलावर दिखे। उन्होंने दावा किया कि यदि भाजपा ने उद्धव की महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की मांग स्वीकार कर ली होती तो वह भगवा पार्टी के खिलाफ कुछ नहीं बोलते। उन्होंने उद्धव ठाकरे से सवाल किया, अगर भाजपा ने ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद साझा करने के आपके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया होता तो क्या आप वही कहते जो आप आज कह रहे हैं। राज ने कहा- आप सत्ता के लिए चुप रहते। राज ठाकरे ने रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के पक्ष में वोटिंग करने के लिए एक रैली को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने अन्य कारणों के साथ ही राम मंदिर निर्माण और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का हवाला देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया अपना समर्थन उचित ठहराया।

बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मनसे प्रमुख ने पीएम मोदी का समर्थन किया था, लेकिन 2019 चुनाव से पहले उन्होंने रैलियों में पीएम पर तीखे हमले किए थे। वहीं, 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे ने भाजपा के साथ अपना दशकों पुराना गठबंधन इसलिए तोड़ दिया, क्योंकि भाजपा ने उनके साथ सीएम पद साझा करने से इनकार कर दिया था।

इस बीच, राज ने शिवसेना (यूबीटी) के महाराष्ट्र से निवेश को दूसरी ओर ले जाने वाले आरोप पर पलटवार किया। उन्होंने पूछा कि जब उद्धव 2014 से 2019 तक सत्तारूढ़ भाजपा के सहयोगी थे और बाद में 2019 से 2022 तक मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने क्या किया। मनसे प्रमुख ने पूछा- आप साढ़े सात साल तक सत्ता में थे। इस बीच निवेश क्यों खत्म हो गया? आप चुप क्यों थे?

मनसे प्रमुख राज ने जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र और कोंकण में एक तेल रिफाइनरी जैसी बड़ी परियोजनाओं का इस बहाने विरोध करने के लिए भी उद्धव पर हमला किया कि तटीय क्षेत्र की पारिस्थितिकी को नुकसान होगा। उन्होंने दावा किया कि ऐसे उदाहरण हैं, जहां शिवसेना (यूबीटी) के मौजूदा रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सांसद विनायक राउत जिन्हें पार्टी ने दोबारा उम्मीदवार बनाया है, वह एक परियोजना का विरोध करेंगे, जबकि उसी पार्टी के स्थानीय विधायक इसका समर्थन करेंगे।

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