नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने किसानों को बड़ा तोहफा दिया है। केंद्र ने गन्ने का न्यूनतम मूल्य 25 रुपये बढ़ाकर प्रति क्विंटल 340 रुपये कर दिया है। इस बाबत सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस कर मोदी कैबिनेट के निर्णयों के बारे में जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार प्रदर्शन कर रहे किसानों से बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि किसान हमारे ‘भाई’ और ‘अन्नदाता’ हैं। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि मोदी सरकार ने किसानों के लिए आय को बेहतर करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। इस दौरान यह पूछे जाने पर कि क्या कैबिनेट बैठक के दौरान पंजाब-हरियाणा सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के मुद्दे पर चर्चा हुई? उन्होंने कहा कि केंद्र बातचीत के लिए तैयार है। अनुराग ठाकुर ने कहा कि हम पहले भी बातचीत के लिए तैयार थे और आज भी तैयार हैं और भविष्य में भी उनके मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार रहेंगे।हमें उनसे बात करने में कोई समस्या नहीं है क्योंकि वे हमारे भाई हैं और अन्नदाता हैं।
उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने एफआरपी को 10.25 प्रतिशत की मूल रिकवरी दर पर 340 रुपये प्रति क्विंटल की मंजूरी दे दी है। ठाकुर ने कहा कि पीएम-किसान योजना के तहत सरकार ने लगभग 12 करोड़ किसानों को 2.81 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया है। उन्होंने कहा कि यह किसानों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और कर्तव्य है। इस दौरान उन्होंने यूपीए सरकार के कार्यकाल में किसानों की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया। ठाकुर ने किसानों के लिए पर्याप्त काम नहीं करने के लिए कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस के समय न सम्मान था और न ही निधि थी।
गौरतलब है कि एफआरए में 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी मोदी सरकार की ओर से की गई सबसे अधिक बढ़ोतरी है। इससे उत्तर प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र और कर्नाटक के किसानों को सबसे ज्यादा फायदा होगा, जहां गन्ने का सर्वाधिक उत्पादन होता है। इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा था कि पंजाब-हरियाणा सीमाओं पर प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा उठाई गई मांगों से निपटने के दौरान देश भर के किसानों के हित को ध्यान में रखा जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने किसानों से अपील की थी कि वे चर्चा के एक और दौर के लिए आएं।