सड़क हादसों के लिए सिविल इंजीनियर दोषी: नितिन गडकरी

नितिन गडकरी

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपने बेबाक बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं। इस बार सड़क हादसों को लेकर उन्होंने सख्त टिप्पणी की है। उन्होंने पहले तो सड़क हादसों और इसमें जान गंवाने वालों के प्रति संवेदना जताई, फिर इन हादसों के लिए ऐसे सिविल इंजीनियर्स और राष्ट्रीय राजमार्गों या सड़कों को बनाने वाले ठेकेदारों को जिम्मेदार ठहराया, जो अपना काम ठीक से नहीं करते। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘यह हमारे लिए अच्छा नहीं है कि भारत में हम सड़क दुर्घटनाओं से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

हर साल हमारे यहां 4 लाख 80 हजार सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और 1 लाख 80 हजार मौतें होती हैं, जो शायद दुनिया में सबसे ज्यादा है। इन मौतों में से 66.4% मौतें 18 से 45 आयु वर्ग के लोगों की होती हैं और इससे जीडीपी को नुकसान होता है। इससे अनुमानित तौर पर जीडीपी में तीन फीसदी का नुकसान होता है।’ उन्होंने कहा कि डॉक्टर, इंजीनियर और सबसे महत्वपूर्ण बात, प्रतिभाशाली युवाओं का नुकसान वास्तव में हमारे देश के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। इन सभी दुर्घटनाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण दोषी सिविल इंजीनियर हैं। मैं सभी को दोष नहीं देता, लेकिन 10 साल के अनुभव के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं। सबसे महत्वपूर्ण दोषी वे लोग हैं जो डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) बना रहे हैं और इसमें हजारों गलतियां हैं।’ इससे पहले जनवरी में केंद्र सरकार ने बड़ा एलान किया था। इसके तहत सड़क हादसे में घायल होने वालों को तत्काल अस्पताल पहुंचाने वाले अच्छे लोगों के लिए इनाम राशि बढ़ाकर 25,000 रुपये करने का प्रस्ताव किया गया था। इससे पहले यह राशि 5,000 रुपये थी।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पुणे में सड़क सुरक्षा अभियान कार्यक्रम के दौरान इसकी जानकारी दी थी। मंत्री ने कहा था कि अगर कभी-कभार कुछ होता है तो हम उस मामले को लेकर गंभीर हो जाते हैं। मगर, जब रोजाना कुछ होने लगता है तो हमें सामान्य लगने लगता है। ऐसे में अगर इन हादसों को रोकना है तो अकेले हम कुछ नहीं कर सकते। इसके लिए स्कूल, कॉलेज, एनजीओ, खिलाड़ी, सेलिब्रिटी व अन्य लोग जब जा-जाकर लोगों को समझाएंगे, तब बदलाव आएगा।

उन्होंने कहा, ‘पहले जब कोई दुर्घटना होती थी, तो लोग घायल को अस्पताल ले जाने से कतराते थे। मगर हमने नियम बनाया कि अगर घायल शख्स को अस्पताल लाने वाले व्यक्ति पर कोई केस नहीं बनेगा। वहीं अच्छे काम के लिए पांच हजार की राशि भी दी जाती है। मगर मैंने आदेश दिया है कि यह राशि बढ़ाकर 25 हजार कर दी जाए। इसके साथ ही हमने एक और पहल की है। जैसे ही दुर्घटना होगी और पुलिस के एफआईआर दर्ज करते ही अस्पताल को डेढ़ लाख रुपये या कम से कम सात दिन का खर्चा सरकार देगी।’

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