मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों काफी खींचतान है। महाराष्ट्र के राकंपा नेता छगन भुजबल का कहना है कि भले ही उन्होंने सत्ता पक्ष के साथ गठबंधन किया है लेकिन उन्होंने अपनी विचारधारा नहीं छोड़ी है। उनका कहना है कि जब 53 में से 45 विधायक अजित पवार के साथ सत्ता पक्ष में शामिल हो ही गए तो वह अलग रहकर क्या करते। बता दें, छगन भुजबल उन आठ विधायकों में शामिल हैं, जो अजित पवार के साथ राकांपा से अलग हुए और राजभवन में सत्ता पक्ष के साथ शामिल होकर मंत्री पद की शपथ ली।
पुणे में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भुजबल ने कहा कि 2014 में बिना शिवसेना के समर्थन के भाजपा ने सरकार बनाई तो शरद पवार ने उसे समर्थन देने की घोषणा की थी। उस समय मैंने हैरानी जताई थी और कहा था कि हम विपक्ष में हैं। 2017 में भी, भाजपा और एनसीपी की सरकार पर चर्चा हुई थी, लेकिन बाद में शरद पवार पीछे हट गए थे। भुजबल ने कहा कि 2019 में भाजपा के साथ सरकार बनाने का फैसला हुआ था। तब नई दिल्ली में एक बैठक हुई थी, जिसमें तय हुआ था कि भाजपा अपनी सहयोगी शिवसेना को सरकार से बाहर कर देगी और एनसीपी उसके साथ मिलकर सरकार बनाएगी। लेकिन फिर शरद पवार एक बार पीछे हट गए थे और कांग्रेस व शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।
भुजबल ने एक दिन पहले भी शरद पवार की आलोचना की थी। आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि वह अन्य पिछड़ा वर्ग के नेता हैं, जो रैलियां करते हैं और भाषण देते हैं और इसलिए उन्हें लोकप्रिय मराठा ताकतवर के रूप में जाना जाता है। पवार साहब सोचते हैं कि यह विद्रोह मैंने किया है, लेकिन मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है। यह उनके परिवार में हुआ है। प्रफुल्ल पटेल दिल्ली में उनके सहयोगी हैं, अजित पवार उनका परिवार हैं और दिलीप वाल्से-पाटिल उनके करीबी सहयोगी हैं। पवार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि पवार साहब ने रैली में कहा कि वह लोगों से माफी मांगते हैं क्योंकि मुझे उम्मीदवारी देना एक गलती थी। हालांकि, मेरी वजह से येवला में विकास हुआ। इसलिए माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता। भुजबल ने पवार से पूछा, आप कितनी जगह माफी मांगेंगे? भुजबल ने पूछा, अगर नासिक जिले के लोग शरद पवार से प्यार करते हैं, तो 2019 के लोकसभा चुनाव में एनसीपी के दोनों उम्मीदवार कैसे हार गए।