मुंबई। अमेरिका में भारतीय लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के आरक्षण खत्म करने वाले बयान पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नाराजगी जाहिर की है। मुंबई में एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि सांविधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का ऐसा बयान उनकी संविधान विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान के बारे में अधिक जागरूकता की जरूरत है क्योंकि कुछ लोग इसकी आत्मा को भूल गए हैं। धनखड़ ने कहा कि सांविधानिक पद पर बैठे एक व्यक्ति का विदेशी धरती पर यह कहना कि आरक्षण समाप्त किया जाना चाहिए, उनकी संविधान विरोधी मानसिकता को दिखाता है। यह आरक्षण के खिलाफ उनका पूर्वाग्रह है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आरक्षण योग्यतातंत्र के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह देश और संविधान की आत्मा है। यह सकारात्मक है, नकारात्मक नहीं। आरक्षण किसी को अवसर से वंचित नहीं कर रहा, बल्कि उन लोगों को सहारा दे रहा है जो समाज की ताकत हैं।
विदेश में अपने एक बयान में राहुल गांधी ने कहा था कि भारत में असमानता है। यदि कभी भारत में असमानता और सामाजिक भेदभाव समाप्त हो जाएगा तब आरक्षण को समाप्त करने पर विचार किया जा सकता है। इसके बाद भाजपा ने बयान का विरोध शुरू कर दिया। भाजपा के सांसद संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस आरक्षण को समाप्त करने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा के रहते हुए वे ऐसा कभी नहीं कर पाएंगे। मायावती भी राहुल गांधी के इस बयान पर उनको घेर चुकी हैं। केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने भी कांग्रेस नेता के इस बयान की आलोचना की है। यानी इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता पर चौतरफा हमला होने लगा। इसके बाद राहुल गांधी ने अपने बयान पर स्पष्टीकरण करते हुए कहा कि कांग्रेस आरक्षण को समाप्त करने के बारे में नहीं सोच रही है। उलटे वे देश में आर्थिक भागीदारी बढ़ाने और सामाजिक समरसता लाने के लिए आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को समाप्त करने के बारे में सोच रहे हैं।