नई दिल्ली। नेता विपक्ष राहुल गांधी का नाम लिए बिना हमला करते हुए, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने चिंता व्यक्त की कि संवैधानिक पद पर बैठे एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट से हमारी अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के उद्देश्य से गलत विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए स्वतः संज्ञान लेने को कहा है। उपराष्ट्रपति की ये टिप्पणी कांग्रेस की तरफ से सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को लेकर मोदी सरकार की आलोचना करने के बाद आई है, जिसे लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि बाजार नियामक की ईमानदारी के साथ गंभीर समझौता किया गया है और उन्होंने मामले की जेपीसी जांच कराने की मांग की है।
राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में आईपी कानून एवं प्रबंधन में संयुक्त परास्नातक/एलएलएम डिग्री के प्रथम बैच को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने किसी का नाम लिए बिना कहा, पिछले सप्ताह मैं बहुत चिंतित हो गया था, जब संवैधानिक पद पर बैठे एक व्यक्ति ने सर्वोच्च न्यायालय से हमारी अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के उद्देश्य से एक विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए स्वतः संज्ञान लेते हुए अधिकार क्षेत्र का आह्वान करने का अनुरोध किया।
छात्रों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, हमारे युवाओं को समान रूप से उन ताकतों का प्रतिकार करना चाहिए और उन्हें बेअसर करना चाहिए जो हमारे राष्ट्र के हित से ऊपर पक्षपातपूर्ण या स्वार्थ को रखती हैं। हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते। ऐसा होता है, यह हमारे उत्थान की कीमत पर होता है। आप कानून के छात्र हैं, मैं आपके साथ दो विचार छोड़ता हूं। एक, अपने दिमाग को खंगालें और पता लगाएं। संस्था का अधिकार क्षेत्र भारतीय संविधान द्वारा परिभाषित किया गया है, चाहे वह विधायिका हो, कार्यपालिका हो, न्यायपालिका हो। न्यायालयों का अधिकार क्षेत्र तय किया जाता है। उन्होंने कहा, दुनिया भर में देखिए, अमेरिका में सर्वोच्च न्यायालय, ब्रिटेन में सर्वोच्च न्यायालय या अन्य प्रारूपों को देखिए। क्या एक बार भी स्वतः संज्ञान लिया गया है? क्या संविधान में दिए गए प्रावधान से परे कोई उपाय बनाया गया है? संविधान मूल अधिकार क्षेत्र, अपील अधिकार क्षेत्र प्रदान करता है। यह समीक्षा भी प्रदान करता है। लेकिन हमारे पास उपचारात्मक है! यदि आप इन बारीकियों पर ध्यान नहीं देते हैं, तो मुझे आश्चर्य है कि यह कौन करेगा। इस बारे में सोचें।