नई दिल्ली। अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सेबी पर लगे आरोपों की जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अदाणी समूह और सेबी की मिलीभगत से हुए घोटाले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराई जाए। उन्होंने कहा कि इस मुद़्दे की जेपीसी से जांच कराना जरूरी है। नहीं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की संवैधानिक संस्थाओं से समझौता करके अपने सहयोगियों को बचाते रहेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को अदाणी समूह के घोटालों की जांच कराकर सेबी पर लगे आरोपों पर स्थिति स्पष्ट करनी होगी। साथ ही तुरंत कार्रवाई करनी होगी। एक्स पर किए गए एक पोस्ट में खरगे ने कहा कि जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में अदाणी समूह पर लगे आरोपों पर खारिज कर दिया था। अब सेबी प्रमुख पर आरोप लगे हैं। उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग के निवेशक अपनी मेहनत की कमाई शेयर बाजार में निवेश करते हैं। ऐसे घोटालों और आरोपों के बाद निवेशक चिंतित हैं। उन्हें सुरक्षा की जरूरत है। खरगे ने कहा कि इस घोटाले की जांच जेपीसी से कराना जरूरी है।
हिंडनबर्ग रिसर्च की ताजा रिपोर्ट में चौंकाने वाले दावे किए गए हैं। रिपोर्ट में भारतीय शेयर बाजार नियामक सेबी की प्रमुख और उनके पति पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। ताजा रिपोर्ट सामने आने के बाद भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की प्रमुख माधवी बुच और उनके पति धवल बुच के नाम कथित अदाणी घोटाले से जुड़ रहा है। शनिवार देर रात आई रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि कथित अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में दंपती की हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल डायनामिक ऑपर्चुनिटी फंड’ में हिस्सेदारी है। हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि इसी कंपनी में गौतम अदाणी के भाई विनोद अदाणी ने अरबों डॉलर का निवेश किया है। आरोप है कि इस पैसे का इस्तेमाल ही शेयरों के दामों में तेजी लाने के लिए किया गया। आरोपों को सेबी प्रमुख और उनके पति पहले ही बेबुनियाद बता चुके हैं। अदाणी समूह का कहना है कि हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए नए आरोप दुर्भावनापूर्ण, शरारती और बहकाने के मकसद से लगाए गए हैं। अदाणी समूह ने कहा कि हिंडनबर्ग की तरफ से लगाए गए ताजा आरोप दुर्भावनापूर्ण हैं। इसके लिए फर्म गलत इरादों से सार्वजनिक तौर पर मौजूद जानकारी के बहकाने वाले तरीके से चुनकर, तथ्यों और कानूनों की उपेक्षा कर निजी लाभ हासिल करने के लिए पूर्व निर्धारित निष्कर्षों पर पहुंची है।