नागपुर। संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि मौजूदा हालात में आरएसएस की विचारधारा के लिए लक्ष्य पूरा करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है। इस दौरान स्वयंसेवकों को अपने चरित्र और समर्पण को बनाए रखने के लिए सावधानी बरतनी होगी। नागपुर में दत्ताजी डिडोलकर जन्म शताब्दी समारोह कार्यक्रम के समापन समारोह में भागवत ने कहा कि अनुकूल परिस्थितियों के बदलने से कम अनुकूल परिस्थितियां पैदा होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि आरएसएस कार्यकर्ता लंबे समय तक सामाजिक विरोध होने के बाद भी समाज में डटे रहे। इससे हमारे लक्ष्य, चरित्र और प्रतिबद्धता को बढ़ावा मिला। इससे समाज में हम डटे रहे।
भागवत ने कहा कि मौजूदा समय में अनुकूल परिस्थितियों के साथ हमारे कार्यकर्ताओं का समर्पण अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है। भागवत ने कहा कि पुराने समय में हमारे विचार और सोच का मजाक उड़ाया जाता था। हालात अच्छे नहीं थे। संसाधनों का अभाव था। मगर आज समाज हम पर भरोसा करता है और हमारा समर्थन करता है। इससे हमारा काम काफी कठिन हो गया है। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और स्वामी जीतेंद्रनाथ महाराज भी मौजूद रहे।
संघ अगले साल 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है। इस मौके पर संघ की तरफ से बड़ा आयोजन या उत्सव नहीं मनाया जाएगा,बल्कि संघ को मजबूत करने के प्रयास किए जाएंगे। पिछले दिनों इंदौर में हुई संघ के संपर्क विभाग की बैठक में यह तय हुआ है कि संघ ज्यादा से ज्यादा सामाजिक, धार्मिक आयोजनों में सहभागिता बढ़ाए और समाज को जागरुक करने का काम करें। बैठक में यह भी कहा गया कि जो लोग संघ से ज्यादा वाकिफ नहीं है, लेकिन संघ के प्रति गलत धारणा रखते हैं। संघ कार्य और विचारधारा से अवगत कराकर उन लोगों की धारणा दूर कैसे की जा सकती है। इस पर ध्यान देने की जरुरत है। सरकार्यवाह दतात्रय होसबोले ने देश की सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक शक्तियों को मजबूत करने पर बल दिया। सोशल इंजीनियरिंग के जरिए समाज के हर तबके तक संघ की पैठ बनाने की बात भी कही गई।