देश के विकास के लिए सुरक्षा जरूरी: राष्ट्रपति मुर्मू

द्रौपदी मुर्मू

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि भारत की सुरक्षा चिंताएं क्षेत्रीय अखंडता के संरक्षण से परे हैं और अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, ऊर्जा और साइबर सुरक्षा से निपटने के कल्याण के अन्य आयामों को शामिल करती हैं। वह यहां राष्ट्रपति भवन में 63वें राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज (एनडीसी) पाठ्यक्रम के संकाय और पाठ्यक्रम के सदस्यों को संबोधित कर रही थीं। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक माहौल गतिशील है और कई चुनौतियां पेश कर रहा है।
उन्होंने आगे कहा, तेजी से बदलते हुए भू-राजनीतिक माहौल में हमें प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार रहने की जरूरत है। भू-राजनीतिक गतिशीलता ने सुरक्षा परिदृश्य को बदल दिया है। राष्ट्रीय और वैश्विक मुद्दों की गहरी समझ रखने की जरूरत है। हमें न केवल अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करना है, बल्कि साइबर युद्ध, प्रौद्योगिकी-सक्षम आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसी नई सुरक्षा चुनौतियों के लिए भी तैयार रहना है।
मुर्मू ने कहा कि व्यापक अनुसंधान पर आधारित ज्ञान और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘आपको वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए अर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के इनोवेटिव एप्लिकेशंस का पता लगाने की जरूरत है। वास्तव में, सरकारी एजेंसियों और कॉर्पोरेट क्षेत्र को इन चुनौतियों की पहचान करने और उनसे निपटने के लिए हाथ मिलाने की जरूरत है।’
मुर्मू ने जोर देकर कहा कि जिस तरह से वैश्विक घटनाएं सामने आ रही हैं, हम किसी भी तरह की स्थिति और संकट से निपटने के लिए विश्व स्तर पर सक्षम और भविष्य के लिए तैयार आत्मनिर्भर होने के महत्व को तेजी से महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, आज हमारी सुरक्षा चिंताएं क्षेत्रीय अखंडता के संरक्षण से परे हैं और इसमें अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, ऊर्जा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा से निपटने वाले कल्याण के अन्य आयाम शामिल हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि सशस्त्र बलों की भूमिका पारंपरिक सैन्य मामलों से परे भी बढ़ी है। उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि जटिल रक्षा और सुरक्षा माहौल में भविष्य के संघर्षों के लिए अधिक एकीकृत बहु-राज्य और बहु-एजेंसी दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी।’ मुर्मू ने कहा कि प्रगति और विकास के लिए सुरक्षा और रक्षा जरूरी है। उन्होंने कहा कि किसी राष्ट्र की वास्तविक प्रगति काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपने पास उपलब्ध संसाधनों, विशेष रूप से अपने मानव संसाधन का कितने प्रभावी ढंग से उपयोग करता है। राष्ट्रपति ने कहा कि सिविल सेवा और रक्षा सेवा दोनों के अधिकारियों को देश की लोकतांत्रिक प्रणाली में संवैधानिक ढांचे के बारीक बिंदुओं को समझना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह जागरूकता विभिन्न सेवाओं के कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल को बढ़ावा देने की दिशा में पहला कदम है। मुझे भरोसा है कि हमारे अधिकारी हमारे देश की गतिशील जरूरतों को पूरा करेंगे। मुर्मू ने कहा कि एनडीसी पाठ्यक्रम भविष्य के जटिल सुरक्षा माहौल से व्यापक तरीके से निपटने के लिए सैन्य और सिविल सेवा अधिकारियों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि एनडीसी पाठ्यक्रम अपनी तरह का अनूठा पाठ्यक्रम है जिसमें शासन, प्रौद्योगिकी, इतिहास और अर्थशास्त्र के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीति के क्षेत्र शामिल हैं।

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