समान नागरिक संहिता पर पीएम मोदी कुछ चीजें स्पष्ट करें: शरद पवार

शरद पवार

मुंबई । देश में फिलहाल समान नागरिक संहिता एक बड़ा मुद्दा बन गया है। भाजपा, आप और जदयू सहित कुछ पार्टियां जहां इसका समर्थन कर रही हैं वहीं कुछ पार्टियां लगातार इसका विरोध भी कर रही हैं। यूसीसी को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का कहना है कि अगर कुछ चीजें स्पष्ट हो जाए तो हम अपना रुख तय कर सकते हैं। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कानून आयोग को यूसीसी पर 900 से अधिक मत प्राप्त हुए हैं। सरकार को सिख, जैन और ईसाई समुदाय का रुख भी जानना चाहिए। कहा जा रहा है कि सिखों का इस कानून को लेकर अलग रुख है। बिना सिख समुदाय के संज्ञान के यूसीसी पर अपना रुख नहीं बता सकता कि मैं बिल का समर्थन कर रहा हूं या उसका विरोध। प्रधानमंत्री द्वारा अगर कुछ मुद्दों पर स्पष्टता दी जाए तो राकांपा अपना रुख तय करेगी। उन्होंने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि यूसीसी सिर्फ ध्यान भटकाने के लिए हो, क्योंकि सत्ता से लोगों की नाराजगी है।

शरद पवार ने पहली बार स्वीकार किया कि साल 2019 में महाराष्ट्र में भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए बातचीत हुई थी, लेकिन बाद में जब उन्होंने अपना स्टैंड बदल दिया तो फिर भाजपा ने तड़के चोरी-छिपे मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी। पवार ने कहा, भाजपा सत्ता के बिना नहीं रह सकती और सत्ता के लिए किसी के साथ जा सकती है। वहीं, उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, अभी आधा सच बाहर आया है। जल्द ही पूरा सच भी बाहर आएगा।

पवार ने संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण की वकालत भी की। सांसद सुप्रिया सुले सहित विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री की आलोचना भी की। कॉन्फ्रेंस में पवार ने कहा कि सुप्रिया तीन बार सांसद चुनी गईं हैं। जनता को उन पर विश्वास है। इसलिए एक सांसद की आलोचना करना अनुचित है। जब मैं महाराष्ट्र का सीएम था तो मैंने निकाय चुनावों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया था। इसके बाद आरक्षण 50 प्रतिशत कर दिया गया। महिलाओं के लिए समान आरक्षण नीति विधानसभाओं और संसद में अपनाई जानी चाहिए। अगर पीएम मोदी इस पर बिल पेश करते हैं तो हम समर्थन देंगे। अन्य पार्टियों के समर्थन के लिए मैं उनसे बात करूंगा।
विपक्षी एकता को लेकर उन्होंने कहा कि पटना में हुई बैठक के वक्त पीएम अमेरिका में थे। भारत आते ही जब उन्हें जानकारी मिली तो उनकी बेचैनी बढ़ गई। इसलिए वह निजी हमला कर रहे हैं। 13-14 जुलाई को बेंगलुरु में होने वाले बैठक में हम चर्चा करेंगे कि कैसे राज्यों में बढ़ती सांप्रदायिकता का सामना करें।

शरद पवार ने कॉन्फ्रेंस में मणिपुर की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मणिपुर भाजपा शासित राज्य है, बावजूद इसके वहां हिंसा जारी है। सरकार वहां कोई प्रभावी कदम नहीं उठा पाई है। चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाएं साझा करने वाले राज्यों को गंभीरता से लेना चाहिए। पीएम मोदी और उनकी सरकार कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है। 

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