नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर सरकार ने जवाब दिया है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में कहा कि सरकार इनपुट और रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट के लिए उचित उम्मीदवार का आकलन करती है और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को राय देती है।
दरअसल कानून मंत्री से राज्यसभा में पूछा गया था कि मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जनवरी 2023 में रामासामी नीलकंदन और जॉन सत्यम के नामों की सिफारिश की थी। मगर उन्हें अब तक लंबित रखा गया है। इसके जवाब में कानून मंत्री ने कहा कि सु्प्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से की गई सिफारिशों पर सरकार केवल अपनी राय देती है। ताकि उपयुक्त उम्मीदवार को सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया जाए। मेघवाल ने यह भी कहा कि 1993 में सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले में कहा गया था कि न्यायिक चयन के लिए योग्यता चयन प्रमुख तरीका है। चुने जाने वाले उम्मीदवारों में उच्च निष्ठा, ईमानदारी, कौशल, भावनात्मक स्थिरता, दृढ़ता, शांति, कानूनी सुदृढ़ता, क्षमता और धीरज होना चाहिए।
वहीं एक और सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में किसी भी जाति या वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के प्रतिनिधित्व से संबंधित डाटा नहीं बनाया जाता है। हालांकि 2018 से उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के पद के लिए उम्मीदवारों को निर्धारित प्रारूप में अपनी सामाजिक पृष्ठभूमि के बारे में विवरण देना आवश्यक है। एक जानकारी के आधार पर 2018 से नियुक्त 684 उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों में से 21 एससी, 14 एसटी, 82 ओबीसी और 37 अल्पसंख्यकों से संबंधित हैं। 31 अक्तूबर 2024 तक दो महिला न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय में और 106 विभिन्न उच्च न्यायालयों में काम कर रही हैं।