पारसी समुदाय का देश के विकास में अहम योगदान: अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत 2047 तक सभी क्षेत्रों में पहले स्थान पर होगा। बहुत जल्द भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी भाषाएं हमारी विरासत हैं। हम अपने बच्चों को मातृभाषा जरूर सिखाएं, ताकि अपनी विरासत और संस्कृति को आगे बढ़ाने का दायित्व पूरा कर सकें। कार्यक्रम में संबोधन के अलावा भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले शाह ने मुंबई में पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक भी की। इस बैठक में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले समेत कई शीर्ष भाजपा नेता भी मौजूद रहे।

अमित शाह ने कहा कि झांसी की रानी ने 23 साल की उम्र में जिस उद्देश्य के लिए शहादत दी और अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया, उसी मकसद के लिए एक गुजराती यानी पीएम नरेंद्र मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। शाह ने कहा कि संभवत: यह दोनों खबरें छापने वाला अखबार ‘मुंबई समाचार’ है। समाचार पत्र की 200 साल की यात्रा पर आधारित वृत्तचित्र ‘मुंबई समाचार- 200 नॉट आउट’ का विमोचन करने के मौके पर शाह ने यह बात कही। गृह मंत्री ने स्वीकार किया कि उन्हें इस अखबार के बारे में तब पता चला जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी द्वि-शताब्दी समारोह के सिलसिले में जून में यहां आए थे।

अमित शाह ने कहा कि आज दुनिया में भारत बड़ी उम्मीदों के साथ देखा जा रहा है। हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। शाह ने कहा, अगर हम खुद को किसी भाषा से अलग कर लेते हैं, तो हम संस्कृति से भी दूर हो जाते हैं। अगर दादा-पोता एक ही भाषा नहीं बोलेंगे, तो उनके बीच कोई बंधन नहीं रह जाएगा। शाह ने कहा कि एक नया हिंदी शब्दकोष तैयार किया गया है, जिसमें करीब 22,831 नए शब्द जोड़े गए हैं।

अमित शाह ने कहा कि मैं अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए झगड़ा करने वालों से कहना चाहता हूं कि पारसी समुदाय ने कभी कोई मांग नहीं की। उन्होंने मौन रहकर भारत के विकास में अपना योगदान दिया। गृह मंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यकों में भी अगर कोई अल्पसंख्यक हैं तो वे पारसी हैं। मैं प्रार्थना करता हूं सभी समुदाय पारसी समुदाय की तरह अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय अपने कर्तव्य का पालन कर देश के विकास में योगदान दें। अमित शाह ने कहा कि पारसी शासन, उद्योग, सूचना प्रौद्योगिकी, फिनटेक, परमाणु विज्ञान जैसे क्षेत्रों में अपना कर्तव्य निभाया और साथ ही बांग्लादेश को बनाने वाले युद्ध को भी जीता। शाह ने फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के संदर्भ में यह बात कही।

Related Articles