नई दिल्ली। प्रयागराज में संगम पर भाजपा नेताओं के पवित्र स्नान पर की गई टिप्पणी को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने निशाना साधा है। सीएम सरमा ने कहा कि उनका बयान सनातन के खिलाफ मानसिकता को दर्शाता है। वे आत्मचिंतन करें और अपना रुख तय करें। असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि महाकुंभ पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का बयान सनातन धर्म के खिलाफ उनकी मानसिकता को दर्शाता है। मेरा मानना है कि यह राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी का आधिकारिक रुख है। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि 2001 में सोनिया गांधी ने खुद कुंभ के दौरान पवित्र स्नान किया था। क्या वह यह कहने की हिम्मत करेंगे कि हज पर जाने से भूख और गरीबी जैसी समस्याएं हल नहीं होंगी? उन्होंने कहा कि कांग्रेस से जुड़े सभी हिंदू नेताओं के लिए यह समय है कि वे आत्मचिंतन करें और अपना रुख तय करें। केवल सत्ता और पद के लिए अपने विश्वास, अपने धर्म या इस देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से समझौता न करें। कोई भी नेता, कोई भी विचारधारा और कोई भी पार्टी आपके धर्म और विश्वास से ऊपर नहीं होनी चाहिए। सनातन धर्म सहस्राब्दियों से समय की कसौटी पर खरा उतरा है। राजनीतिक स्वार्थ के लिए इसके सार को कमतर न आंकें। अपनी अंतरात्मा की आवाज पर चलें।
महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष और मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने भी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को घेरा। उन्होंने एक्स पर लिखा कि हिंदुओं की आस्था का अपमान करने वाले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का सार्वजनिक निषेध किया जाए। कांग्रेस ने हमेशा हिंदू धर्म की अस्मिता, श्रद्धा और भावनाओं का अपमान किया है। इस बार महाकुंभ मेले जैसे पवित्र उत्सव, उसमें श्रद्धा और आस्था के साथ भाग लेने वाले करोड़ों हिंदुओं और गंगा की पवित्रता का मजाक उड़ाकर खरगे ने सारी हदें पार कर दी हैं। गंगा में स्नान करने से क्या इस देश की गरीबी दूर हो जाएगी? इस तरह का मूर्खतापूर्ण और उतना ही आक्रोशजनक सवाल कांग्रेस अध्यक्ष ने उठाया है। खरगे के इस बयान से पूरे देश में आक्रोश की लहर फैल गई है।
बावनकुले ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा एक विशेष समुदाय का तुष्टिकरण किया है। इस देश के सहिष्णु और बहुसंख्यक हिंदू समाज ने इसे चुपचाप सहन किया और स्वीकार किया। लेकिन ऐसा करते हुए हिंदुओं की आस्थाओं का मजाक उड़ाने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को किसने दिया? कांग्रेस को हिंदुओं के वोट चाहिए, लेकिन फिर हिंदुओं से इतनी नफरत क्यों है? आखिर हिंदुओं ने ऐसी क्या गलती की है? स्वतंत्र भारत के इतिहास में छह दशक से अधिक समय तक आपको सत्ता में रखा, क्या यही हिंदुओं की गलती है? लोकसभा में भले ही 99 सांसद हों, लेकिन हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान तो कर सकते थे। अगर आप उनका मजाक उड़ाकर अपमान कर रहे हैं, तो यह अधिकार आपको किसने दिया? यह सवाल आज हिंदुस्तान की जनता के मन में उठ रहे हैं। इस देश की जनता ने लगातार तीन बार कांग्रेस को साफ नकारा, फिर भी कांग्रेस को अक्ल नहीं आई। ऐसे में जनता इस पार्टी को और क्या सजा दे सकती है? निश्चित रूप से देश की समझदार जनता इस पर विचार करेगी। लेकिन आज सत्ता में न रहते हुए भी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंभ मेले का मजाक उड़ा रहे हैं। कल अगर गलती से उनकी सत्ता आ गई, तो भविष्य में कुंभ मेले पर प्रतिबंध लगाए बिना ये नहीं रुकेंगे, यह डर आज देश के हिंदू समाज के मन में पैदा हो गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का एक बार फिर से कड़ा विरोध और तीव्र निषेध।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि भाजपा नेता तब तक डुबकी लगाते हैं जब तक यह कैमरों में अच्छा दिखे। खरगे ने कहा कि मोदी के झूठे वादों के झांसे में न आएं। क्या गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी खत्म होती है? क्या इससे आपका पेट भरता है? जब बच्चे भूख से मर रहे हैं, स्कूल नहीं जा रहे हैं, मजदूरों को उनकी मजदूरी नहीं मिल रही है, तब ये लोग हजारों रुपये खर्च कर गंगा में डुबकी लगाने की प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।