तीनों सेनाएं बदलाव की दहलीज पर खड़ी: सीडीएस अनिल चौहान

अनिल चौहान

नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान ने कहा कि वर्ष 1999 के युद्ध में देश के सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। उन्होंने इस बात का दावा किया कि भारत की तीनों सेनाएं अब एक बड़े बदलाव की दहलीज पर खड़ी हैं। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक बयान में बताया गया है कि सीडीएस अनिल चौहान ने कारगिल युद्ध के 25 वर्ष पूरे होने पर भारत के सभी सशस्त्र बलों को शुभकामनाएं प्रेषित कीं हैं। जनरल चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की तीनों सेनाएं (थल सेना, वायुसेना, नौसेना) बदलाव की दहलीज पर खड़ी हैं। यह बदलाव संगठनात्मक, संरचनात्मक और वैचारिक होगा।

चौहान ने कहा, ‘युद्ध कौशल में प्रगति करना और सशस्त्र बलों को हर समय युद्ध के लिए तैयार रखना इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य है। हमें पुरानी पद्धति को छोड़ने के लिए तैयार रहना होगा और नए सुधारों को स्वीकार करना होगा। इन सुधारों में भारतीय चुनौतियों की झलक दिखनी चाहिए।’ कारगिल युद्ध के वीरों को याद करते हुए जनरल चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि अगर खून बहाकर कोई सबक मिलता है, तो उसे कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि गलतियां नहीं दोहराई जानी चाहिए और सही दिशा में मजबूती से कदम रखे जाने चाहिए।

सीएडीएस चौहान ने कहा कि कारगिल युद्ध में वीरों द्वारा दिया गया सर्वोच्च बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘कारगिल युद्ध की कहानी भारत में आगे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी। यह कहानी सिर्फ भारतीय सैनिकों ही नहीं बल्कि युवाओं को भी प्रेरित करती रहेगी।’ कारगिल युद्ध की विशेषता का जिक्र करते हुए सीडीएस चौहान ने कहा कि यह युद्ध देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों के लिए एक सबक की तरह है। कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर, सीडीएस ने भारतवासियों को आश्वासन दिया कि देश के ‘अमृत काल’ में कदम रखने के साथ ही सशस्त्र बल भी नई ऊर्जा से लबरेज हैं। उन्होंने कहा कि ‘विकसित भारत’ के लिए सशस्त्र बल भी कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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