डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून जैसे विधेयक संविधान के अनुसार हों: जस्टिस हिमा कोहली

जस्टिस  हिमा कोहली

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश हिमा कोहली ने संविधान को किसी भी कानून का आधार बताया है। उन्होंने यह टिप्पणी प्रस्तावित डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक, 2024 को लेकर की। न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने कहा कि डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक, 2024 जैसे नए कानून ‘जांच और संतुलन’ के संवैधानिक सिद्धांतों के अनुसार होने चाहिए। न्यायमूर्ति कोहली ने अपने संबोधन में कहा,’भारत में संविधान ही किसी भी कानून का आधार है। आधुनिक कानूनों को भी ‘जांच और संतुलन’ के संवैधानिक सिद्धांतों के मुताबिक होना चाहिए।’ न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह के दौरान ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि इंटरनेट इस्तेमाल करने के मामले में भारत, विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। देश में 88 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जिन्हें डिजिटल बाजार में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक (डीसीबी) को लेकर जल्द ही मंत्रालयों के बीच परामर्श प्रक्रिया शुरू हो सकती है। उन्होंने कहा कि मंत्रालयों को डिजिटल बाजार की समस्याओं के निपटारे पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘डीसीबी का असर विभिन्न प्रकार के क्षेत्रों में पड़ सकता है। इनमें उपयोगकर्ता अनुभव, डेटा सुरक्षा, आपूर्ति श्रृंखला, निवेश, व्यावसायिक लागत जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं। मंत्रालयों के बीच परामर्श को अंतिम रूप देने से पहले, सभी पक्षों की समस्याओं का सावधानीपूर्वक निपटारा आवश्यक है।’ न्यायमूर्ति कोहली ने इस दौरान डीसीबी की तुलना यूरोपीय संघ के डिजिटल बाजार अधिनियम के साथ भी की। उन्होंने कहा कि डिजिटल बाजार की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना ही डीसीबी का उद्देश्य होना चाहिए। न्यायाधीश ने कहा कि डीसीबी के समर्थकों का तर्क है कि इससे नवाचार बढ़ेगा लेकिन, आलोचकों ने चेताया है कि इससे डिजिटल बाजार की प्रगति रुक सकती है।

Related Articles