संविधान के साथ होना चाहिए सर्वोच्च हित: जस्टिस चंद्रचूड़

नागपुर। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को नागपुर के उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के शताब्दी वर्ष समारोह में भाग लिया। इस समारोह के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका इतनी मजबूत है कि अपनी प्रशंसा के साथ साथ अपनी आलोचना सहने की भी क्षमता रखती है। इस बीच उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि वकीलों की लंबित मामलों या फैसलों पर टिप्पणी करने की आदत बहुत परेशान करने वाली लगती है। उन्होंने कहा कि बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों और सदस्यों को न्यायिक निर्णयों पर प्रतिक्रिया करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि वे आम आदमी नहीं बल्कि अदालत के अधिकारी हैं।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका बार-बार अपनी स्वतंत्रता और पक्षपात को खत्म करने के लिए आगे आई है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बार की स्वतंत्रता के बीच घनिष्ठ संबंध है। उन्होंने कहा कि न्यायिक स्वतंत्रता, संवैधानिक मूल्यों और न्यायालय की गरिमा को बनाए रखना बेहद जरूरी है। भारत जैसे लोकतंत्र में अधिकांश व्यक्तियों की राजनीतिक विचारधारा अलग होती है लेकिन बार के सदस्यों के लिए सर्वोच्च हित अदालत और संविधान के साथ होना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठों के फैसले कठोर कार्यवाही, संपूर्ण कानूनी विश्लेषण और संवैधानिक सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। एक बार फैसला सुनाए जाने के बाद हम प्रशंसा और आलोचना दोनों सुनने के लिए तैयार रहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि वकीलों को अदालत के फैसलों पर प्रतिक्रिया करते समय खुद को आम व्यक्ति से अलग करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि बार एसोसिएशन के सदस्य लंबित फैसलों या मामलों पर टिप्पणी करते हैं, यह प्रवृत्ति परेशान करने वाली है।

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