चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ ने रविवार को कहा कि चंद्रयान-3 मिशन लोगों के दिलों से जुड़ा था और इसकी चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग भारतीय के लिए गौरव का क्षण था। उन्होंने कहा कि भारत चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा और दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला देश पहला देश बन गया।
उन्होंने कहा, चंद्रयान-3 ने युवाओं, बच्चों और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का अध्ययन करने वाले लोगों के मन में भावनात्मक उत्साह पैदा किया। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों से प्रेरित होकर अपनी उपलब्धि को पूरे देश को दिखाने में सक्षम रहे। अंतरिक्ष विभाग के सचिव ने तमिलनाडु सरकार द्वारा यहां वैश्विक निवेशक सम्मेलन (GIM2024) की तर्ज पर आयोजित एक विशेष सत्र के दौरान ये टिप्पणियां कीं।
उन्होंने कहा, ‘देखिए चंद्रयान-3 वास्तव में लोगों के दिलों से जुड़ा हुआ था। हम ऐसा करने में सक्षम थे। चंद्रमा पर लैंडिंग हर किसी के लिए एक वैज्ञानिक घटना नहीं थी। यह पूरे भारतीयों के लिए गौरव का क्षण था।’ उन्होंने बताया कि मिशन पूरी तरह से भारत द्वारा ‘घरेलू’ ज्ञान और ‘प्रौद्योगिकी’ के साथ विकसित किया गया था। उन्होंने कहा कि हम चंद्रमा पर उतरने वाले चौथे और दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाले पहले देश हैं। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘जब भी मैं देश भर में यात्रा करता हूं, जहां भी मैं युवाओं से मिलता हूं, वे कहते हैं कि वे इसरो में शामिल होना चाहते हैं और हर कोई खगोल भौतिकीविद् बनना चाहता है। चंद्रयान-3 के बाद कोर इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों की मांग बढ़ गई है।’ सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद इंजीनियरिंग कॉलेजों में रिक्तियां भी भरी जा रही हैं, क्योंकि कोर इंजीनियरिंग स्ट्रीम की खूब मांग है।
उन्होंने कहा, यह एक प्रेरक कारक है कि कैसे लोगों के सामने रखा गया एक महान वैज्ञानिक प्रयोग एक बड़ा प्रभाव पैदा कर सकता है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 2019 में चंद्रयान-2 की विफलता के बाद पहली और सबसे बड़ी चुनौती यह समझना था कि इसमें क्या गलत हुआ। कई घटनाएं एक समस्या पैदा करती हैं और यह समझने के लिए इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है कि क्या गलत हुआ और इसका समाधान निकाला जाए। 14 जुलाई, 2023 को उड़ान भरने के बाद भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन को सफलता मिली,जब चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान ने 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट-लैंडिंग की। केंद्र ने इस उल्लेखनीय उपलब्धि की याद में इस दिन को ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ के रूप में अधिसूचित किया है।