नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमारे समाज में भेदभाव मौजूद है और जब तक असमानता बनी रहेगी तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। बुधवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘अखंड भारत’ आज के युवाओं के बूढ़े होने से पहले एक वास्तविकता बन जाएगा, क्योंकि 1947 में भारत से अलग होने वाले लोग अब महसूस कर रहे हैं कि उन्होंने गलती की है।
आरक्षण पर भागवत का बयान ऐसे समय आया है जब महाराष्ट्र में आरक्षण के लिए मराठा समुदाय का आंदोलन एक बार फिर तेज हो गया है। भागवत ने कहा, हमने अपने ही साथी मनुष्यों को सामाजिक व्यवस्था में पीछे रखा। हमने उनकी परवाह नहीं की और यह सिलसिला 2000 साल तक चलता रहा। जब तक हम उन्हें समानता प्रदान नहीं करते, तब तक कुछ विशेष उपाय करने होंगे और आरक्षण उनमें से एक है। इसलिए आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए जब तक ऐसा भेदभाव हो। हम आरएसएस में संविधान में प्रदत्त आरक्षण को पूरा समर्थन देते हैं। सरसंघचालक ने कहा कि यह केवल वित्तीय या राजनीतिक समानता सुनिश्चित करने के लिए नहीं, बल्कि सम्मान देने के लिए भी है। उन्होंने कहा कि भेदभाव झेलने वाले समाज के कुछ वर्गों ने 2000 सालों तक यदि परेशानियां उठाईं तो क्या हम हम और 200 साल कुछ दिक्कतें नहीं उठा सकते?
उन्होंने ‘अखंड भारत’ पर कहा कि जो लोग भारत से अलग हो गए, उन्हें लगता है कि उन्होंने गलती की है। भारत होना यानी भारत के स्वभाव को स्वीकार करना…। मोहन भागवत ने कहा कि संघ की संस्कृति में जहां भी राष्ट्र के गौरव और राष्ट्रीय ध्वज का सवाल होगा, संघ कार्यकर्ता अपने जीवन का बलिदान देने के लिए हमेशा सबसे आगे रहेंगे।