बिच्छू डॉट कॉम। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने सोमवार को कांग्रेस सदस्यों से वित्तीय अनियमितता के मामले में पार्टी के शीर्ष नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा तलब किए जाने पर विरोध प्रदर्शन करने से परहेज करने का आह्वान करते हुए कहा कि ”कानून को अपना काम करना चाहिए।” टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि कांग्रेस नेता अधीर चौधरी ने भी इसी तरह का रुख अपनाया था, जब ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी के सांसद अभिषेक बनर्जी से कोयला चोरी के मामले की जांच के तहत केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने पूछताछ की थी। हालांकि, कांग्रेस की त्रिपुरा इकाई के अध्यक्ष बिरजीत सिन्हा ने घोष पर निशाना साधते हुए कहा कि ”गांधी के विपरीत टीएमसी सांसद कई मामलों में आरोपी थे और दोनों मुद्दों की तुलना नहीं की जा सकती।” सिन्हा ने हालांकि बनर्जी के खिलाफ अपने बयान में उन मामलों का जिक्र नहीं किया, जिनकी ओर उनका इशारा था। घोष ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ”राहुल गांधी को प्रवर्तन निदेशालय के समन पर हमें कुछ नहीं कहना है। कांग्रेस और माकपा ने अभिषेक बनर्जी से सीबीआई और ईडी की पूछताछ का स्वागत किया था।”
घोष ने कहा, ”उन्होंने कहा था कि कानून को अपना काम करना चाहिए। अगर चौधरी का यही रुख है, तो उन्हें आदर्श रूप से गांधी के साथ ईडी कार्यालय जाना चाहिए था।” कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दिन में ईडी अधिकारियों की पूछताछ का सामना करना पड़ा, जबकि उनकी मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए और समय मांगा। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को देश भर में विरोध प्रदर्शन करते हुए दावा किया कि इसके नेताओं को परेशान करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का ”दुरुपयोग” किया जा रहा है।
यह आरोप लगाते हुए कि कांग्रेस पश्चिम बंगाल में भाजपा की ‘बी टीम’ के रूप में काम कर रही है, घोष ने कहा कि एक पार्टी को एक ही विषय पर दो दृष्टिकोण नहीं रखने चाहिए। उन्होंने कहा, ”जब टीएमसी ने केंद्र द्वारा केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के खिलाफ आवाज उठाई थी, तो कांग्रेस और माकपा के नेता सुनने के मूड में नहीं थे। यही कारण है कि दोनों दलों का अस्तित्व बंगाल में लगभग समाप्त हो गया है।” इस बीच, घोष की टिप्पणी पर उनकी आलोचना करते हुए, सिन्हा ने आरोप लगाया, ”देश जानता है कि दीदी (ममता बनर्जी) ने अपने भतीजे (अभिषेक) को बचाने के लिए अंदरखाने से (प्रधानमंत्री) मोदीजी से हाथ मिला लिया था। राहुल गांधी को ईडी ने तलब किया था, इसके बावजूद कि किसी भी भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं हैं। दोनों मामले अलग हैं।”