देर रात खाने की आदत आपके लिए हो सकती है घातक

खाने की आदत

बिच्छू डॉट कॉम। क्या आप देर रात तक टीवी देखने या सोशल मीडिया पर दोस्तों के साथ गपशप करने के आदी हैं? क्या इस दौरान भूख महसूस होने पर आप अक्सर फास्टफूड या स्नैक्स खा लेते हैं? अगर हां तो संभल जाइए। अमेरिका स्थित ब्रिघम एंड विमेंस हॉस्पिटल के हालिया अध्ययन में यह सलाह दी गई है। शोधकर्ताओं की मानें तो देर रात खाने-पीने की आदत नींद की कमी से ज्यादा घातक है। इससे खून में मौजूद ग्लूकोज का इस्तेमाल करने की ऊतकों की क्षमता घटाती है। नतीजतन व्यक्ति ‘हाइपरग्लाइसीमिया’ का शिकार हो जाता है, जिसमें खून में ग्लूकोज का स्तर सामान्य से काफी अधिक रहता है। यह स्थिति आगे चलकर टाइप-2 डायबिटीज और हृदय रोगों का रूप भी अख्तियार कर सकती है।

मुख्य शोधकर्ता फ्रैंक एजेएल शीयर के मुताबिक देर रात भोजन या स्नैक्स का सेवन करने से शरीर की ‘केंद्रीय’ और ‘पेरिफेरल’ जैविक घड़ी (सिर्काडियन क्लॉक) के बीच का तालमेल बिगड़ जाता है। ये दोनों ही घड़ियां चौबीस घंटे के अंतराल में किसी भी व्यक्ति में होने वाले शारीरिक, मानसिक और व्यावहारिक बदलावों को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती हैं। फ्रैंक ने दावा किया कि ‘केंद्रीय’ और ‘पेरिफेरल’ जैविक घड़ी के बीच का संतुलन बिगड़ने से बीटा-कोशिकाओं की क्रिया भी प्रभावित होती है। अग्नाशय में मौजूद ये कोशिकाएं इंसुलिन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार हैं। इनके सामान्य तौर पर काम न करने पर शरीर में इंसुलिन की मात्रा घटने और ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने की शिकायत सता सकती है। अध्ययन के नतीजे ‘साइंस एडवांसेज जर्नल’ के हालिया अंक में प्रकाशित किए गए हैं।

अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने 19 स्वस्थ प्रतिभागियों को 14 दिन की नियंत्रित दिनचर्या में रखा। उन्हें कम प्रकाश वाले वातावरण में लगातार 32 घंटे तक जगे रहने को कहा गया। हर घंटे सभी प्रतिभागियों से समान शारीरिक क्रिया करवाई गई। उन्हें एक जैसा स्नैक्स और भोजन भी दिया गया। इसके बाद प्रतिभागियों से रात की शिफ्ट में काम करवाया गया। आधे प्रतिभागियों को शिफ्ट के दौरान मनमुताबिक खाने का निर्देश दिया गया। वहीं, बाकियों से खाने के लिए सुबह का इंतजार करने को कहा गया। इस दौरान रात भर जगने के बावजूद सुबह होने पर ही कुछ खाने वाले प्रतिभागियों के खून में ग्लूकोज का स्तर बेहतर मिला। वहीं, रात में खाने वालों का ब्लड शुगर काफी अधिक पाया गया। इससे स्पष्ट है कि रात में जगने के मुकाबले इस दौरान कुछ खाते-पीते रहना ज्यादा खतरनाक है।

फ्रैंक और उनके साथियों ने रात की शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को टाइप-2 डायबिटीज के खतरे के प्रति अधिक सतर्क रहने की नसीहत दी। उन्होंने जर्मनी की कोलोन यूनिवर्सिटी के उस शोध का हवाला दिया, जिसमें रात की शिफ्ट या अलग-अलग पालियों में काम करने वाले कर्मचारियों के खून में ग्लूकोज का स्तर काफी अधिक मिला था। ‘बॉडी क्लॉक’ के बिगड़ने से चयापचय क्रिया का प्रभावित होना इसकी मुख्य वजह था।

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