ब्लैक फंगस से बचाव के घरेलू तरीके

ब्लैक फंगस

बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस से लोगों में दहशत है। इस बीच व्हाइट और येलो फंगस के मामले भी सामने आए हैं। देश के कुछ हिस्सों में ऐसे मामले भी रिपोर्ट किए गए हैं जिनमें मरीज को कोरोना नहीं था फिर भी उनमें ब्लैक फंगस का संक्रमण था। इस पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह फंगल इन्फेक्शन बिना कोरोना हुए भी हो सकता है। डॉक्टर्स पहले भी बता चुके हैं कि फंगस हवा और मिट्टी में रहता है। जिनकी इम्यूनिटी वीक है, मास्क लगाने में स्वच्छता का ध्यान नहीं रख रहे या जिनका ब्लड शुगर हाई है, उनको ज्यादा खतरा है।

नीति आयोग (हेल्थ) के सदस्य वीके पॉल का कहना है, यह इन्फेक्शन कोरोना के पहले भी मौजूद था। मेडिकल स्टूडेंट्स को पढ़ाया जाता है कि ब्लैक फंगस डायबीटीज के मरीजों को संक्रमित करता है। खासकर जिनकी डायबीटीज अनकंट्रोल्ड होती है। कुछ और बीमारियां भी ब्लैक फंगस की वजह बन सकती हैं। डॉक्टर पॉल ने बताया, ब्लड शुगर लेवल अगर 700-800 पहुंच जाता है तो इस स्थिति को मेडिकल की भाषा में डायबिटिक कीटोएसिडोसिस कहा जाता है। इसमें ब्लैक फंगस का अटैक चाहे वो बच्चे हों या बड़े, कॉमन होता है। वहीं निमोनिया जैसी बीमारियां भी खतरे को बढ़ा देती हैं। कोरोना भी एक वजह है। वहीं स्टेरॉड्स का इस्तेमाल सिचुएशन को और बिगाड़ देता है। उन्होंने बताया कि अगर शरीर में दूसरी कंडीशंस हैं तो बिना कोरोना के भी म्यूकरमाइकोसिस हो सकता है।

वहीं AIIMS के डॉक्टर निखिल टंडन का कहना है, हेल्दी लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं हैं लेकिन जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है उनको ज्यादा खतरा है। एम्स के डॉक्टर गुलेरिया बता चुके हैं कि कोरोना के मरीजों में ब्लैक फंगस के केसेज ज्यादा सामने आ रहे हैं इसकी एक वजह है, उनकी लिम्फोसाइट्स का गिरना। लिम्फोसाइट्स हमारे शरीर में आने वाले बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट्स से खत्म करते हैं। इनकी कमी में इन्फेक्शन से बचाव नहीं हो पाता।

शरीर में कोई इन्फेक्शन हो तो लिम्फोसाइट्स कम हो जाती हैं। लिम्फोसाइट्स कम होने की वजह वायरल इन्फेक्शन, न्यूट्रीशन की कमी, कीमोथेरेपी, कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स का इस्तेमाल और स्ट्रेस हो सकता है। आप इम्यून सिस्टम ठीक रखने के लिए लाइफस्टाइल और खानपान में सुधारकर लिम्फोसाइट्स बढ़ा सकते हैं।

सही मात्रा में प्रोटीन खाने से लिम्फोसाइट्स बनती हैं और इम्यून सिस्टम को सपोर्ट मिलता है। आप खाने में बीन्स, दालें, अंडे की सफेदी, कॉटेज चीज, मछली शामिल कर सकते हैं। आपको कितने मात्रा में प्रोटीन लेना है, इसका आइडिया आप अपने वजन के हिसाब से किसी डायटीशन से ले सकते हैं। डायटरी रिफरेंस इनटेक (DRI) के मुताबिक, वजन के लिहाज से .8 ग्राम प्रति किलो बॉडी वेट के हिसाब से प्रोटीन लेने की सलाह दी जाती है।

एक्पर्ट्स बताते हैं, अच्छे इम्यून सिस्टम के लिए तली-भुनी चाजें ना खाएं बल्कि ओमेगा-3 फैटी एसिड्स लें। ये लिम्फोसाइट्स बढ़ाते हैं। इसके लिए खाने में नट्स, सी फूड, प्लांट ऑइल जैसे सोयबीन ऑइल वगैरह शामिल करें। पालक, गाजर, शकरकंद, लहसुन, ग्रीन टी, सिट्र्स फ्रूट्स (नींबू, मौसमी, संतरा), आम, पीनट बटर  लें। इनसे आपको नैचुरल विटामिन्स मिलेंगे, बिना डॉक्टर की सलाह के सप्लिमेंट्स ना लें। 7 से 9 घंटे सोएं और 20 मिनट टहलें। स्ट्रेस कम करने के लिए योग या अपनी कोई भी फेवरिट ऐक्टिविटी कर सकते हैं। खूब पानी पिएं, हरी सब्जियां खाएं और चीनी कम कर दें।

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