नेशनल एपिलेप्सी डे: मिर्गी के खतरे को ऐसे करें कम

मिर्गी

बिच्छू डॉट कॉम। देश में हर साल 17 नवंबर को नेशनल एपिलेप्सी डे मनाया जाता है। यह खास दिन लोगों को एपिलेप्सी यानी मिर्गी के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। दरअसल, मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर Neurological Disorders) यानी तंत्रिका तंत्र संबंधी रोग है। जिससे पीड़ित होने पर तंत्रिका कोशिकाओं (Nerve Cell) की गतिविधि में रुकावट आने लगती है और मरीज को दौरे पड़ने शुरू हो जाते हैं।

मिर्गी के दौरे हल्के या फिर गंभीर भी हो सकते हैं। जिससे राहत पाने के लिए कई तरह की थेरेपी और उपचार प्रक्रिया मौजूद है।बहुत कम लोग जानते हैं कि कुछ प्राकृतिक तरीकों से भी मिर्गी का उपचार (Natural Treatments for Epilepsy) किया जा सकता है। हालांकि, मिर्गी के इलाज की प्रक्रिया रोगी की स्थिति पर भी निर्भर करती है। ऐसे में इस रोग से राहत पाने के लिए उपचार प्रक्रिया के साथ कुछ साधारण तरीके या उपाय भी आजमाए जा सकते हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।

मिर्गी रोग के लक्षण-
1. मिर्गी के मरीजों के शरीर में जकडऩ होना
2. चेहरे और हाथ-पैरों का तिरछा हो जाना
3. बेहोश हो जाने पर मुंह से झाग निकलना

शरीर में इन चीजों की कमी बढ़ा सकती हैं मिर्गी का खतरा-

​विटामिन बी 6 की कमी पूरी करें
शरीर में विटामिन बी 6 के साथ विटामिन ई और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों की कमी भी मिर्गी की समस्या को बढ़ा या पैदा कर सकती है। ऐसे में इन पोषक तत्वों और विटामिन की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दी जाती है।

विटामिन E
कई बार कुछ रोगियों में विटामिन E की कमी से भी मिर्गी के दौरे पड़ने लगते हैं। विटामिन E शरीर में एंटीऑक्सीडेंट गुणों को बढ़ाता है। 2016 की एक स्टडी के अनुसार,विटामिन E मिर्गी के लक्षणों को कंट्रोल करता है।

मैग्नेशियम
शरीर में मैग्नीशियम की अधिक कमी होने से भी मिर्गी के दौरे का खतरा बढ़ सकता है। एक शोध के अनुसार मैग्नेशियम सप्लीमेंट मिर्गी के लक्षण को कम करते हैं ।

मिर्गी रोग से पीड़ित होने पर काम आएंगे ये उपाय

तनाव
मिर्गी की समस्या से पीड़ित व्यक्ति के लिए तनाव या डिप्रेशन बहुत ज्यादा दिक्कत पैदा कर सकता है। ऐसे में मिर्गी के रोग से पीड़ित व्यक्ति को ऐसी जगह से दूर रहना चाहिए जहां काम का प्रेशर अधिक होता है। इसके अलावा मेडिटेशन, योग करने के साथ एस्सेंसिअल ऑयल्स जैसे लैवेंडर और कैमोमाइल के तेल से भी मालिश करने में राहत मिल सकती है।

हर्ब्स का उपयोग 
मिर्गी के उपचार में कुछ हर्ब्स का उपयोग भी किया जाता है, ताकि रोगी को दौरा ना पड़े। इसके लिए कैमोमाइल, पैशन फ्लावर, और वैलेरियन का इस्तेमाल किया जा सकता है। इनके उपयोग से मरीज में जल्दी ही सुधार होने लगता है। इन हर्ब्स या जड़ी बूटियों के उपयोग एक्सपर्ट से पूछकर करें।

पौष्टिक आहार
मिर्गी से जल्दी छुटकारा पाने के लिए एक सही आहार और कुछ दवाओं का सेवन करने की सलाह दी जाती है। मिर्गी के दौरे की समस्या कम पैदा हो इसके लिए कीटोजेनिक आहार दिया जाना चाहिए। यह आहार गुड फैट और कम कार्ब्स वाले होते हैं। इसके अलावा रोगी एटकिन्स आहार यानी हाई प्रोटीन डाइट का भी सेवन कर सकता है।

रखें इन बातों का ख्याल
-खाना खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह धो लें।
-फास्ट फूड से करें परहेज
-मादक पदार्थों का सेवन करने से बचें।
-रोगी को अकेला कभी न छोड़ें।
-दौरा आने पर नाक पर दवा का स्प्रे करें।
-रोगी को तालाब-नदी जैसी जगह पर नहाने से परहेज करना चाहिए।
-दौरा पड़ने पर मरीज को एक साइड लिटाएं, जिससे लार आसानी से बाहर आ जाए।
-बहुत ज्यादा शोर वाली जगह पर जाना अवॉयड करें।

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