बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना वायरस से जंग लड़ते हुए दो साल का वक्त बीत चुका है। कोविड19 वैक्सीनेशन के बाद भी आज दुनिया पर नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा मंडरा रहा है। इस कारण से वैक्सीनेशन के बाद भी सुरक्षा नियमों का पालन करना बहुत जरूरी हो गया है। सुरक्षा नियमों के तहत मास्क लगाना भी बेहद जरूरी है लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोरोना से बचाव में कपड़े का मास्क पूरी तरह बचाव नहीं करता। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दिसंबर 2020 में जारी अपने दिशा-निर्देशों में, कहा था कि कोरोना वायरस से बचाव करने में मास्क एक अहम भूमिका निभाता है लेकिन फिर भी मास्क कोरोना से पूरी तरह बचाव करने में सक्षम नहीं है, चाहें आप इसका इस्तेमाल कितना ही सही से क्यों न करें, लेकिन सही से सैनेटाइज किया गया मास्क असरदार हो सकता है। COVID-19 के खिलाफ एहतियात के तौर पर कई तरह के मास्क का उपयोग किया जा रहा है। यू।एस। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने मास्क को कई हिस्सों में बांटा है। जिनमें कपड़ा मास्क सूती या सिंथेटिक कपड़े से बने मास्क, सर्जिकल या डिस्पेंसेबल मास्क, जो तीन लेयर्स वाले होते हैं। इसके अलावा N95 मास्क चार या पांच लेयर्स वाले घुमावदार डिजाइन के नॉन सर्जिकल मास्क शामिल हैं।
मास्क का इस्तेमाल क्यों जरूरी
मेयो क्लिनिक, यूएसए के विशेषज्ञों के मुताबिक कपड़े के मास्क को लगाने से मुंह से निकलने वाली सांस मास्क की लेयर्स तक ही सीमित रह जाती है। वहीं, पहनने वाले के बोलने, खांसने या छींकने पर का असर दूसरों पर नहीं पड़ता। यह पहनने वाले को दूसरों द्वारा छोड़ी गई बूंदों को अंदर लेने से बचाने के लिए एक प्रोटेक्शन के तौर पर काम करता है। सबसे प्रभावी कपड़े के मुखौटे सूती जैसे कसकर बुने हुए कपड़े की कई लेयर्स से बने होते हैं। वहीं, यह पता लगाना मुश्किल है कि आस-पास की दुकानों में बेचे जाने वाले मास्क अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हैं या नहीं। इसके अलावा यह बात भी साफ नहीं है कि मास्क से वायरस इंफेक्शन से बचाव होता है या नहीं।